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मच्छरों की शिफ्ट ड्यूटी: दिन का डेंगू, रात का मलेरिया – जानें कब कौन काटता है और कैसे बचें

by kishanchaubey
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क्या ये आवाज़ आपको परेशान कर रही है? क्या ये आवाज़ दिन का सुकून और रातों का चैन दोनों छीन रही है? आप क्या सोचते हैं… कि रात को मच्छर काटे, तो बस खुजली होगी, बीमारी नहीं? क्या सचमुच केवल दिन के मच्छर ही डेंगू फैलाते हैं और केवल रात के मच्छर मलेरिया? अगर ऐसा सोचते हैं, तो रुकिए!

आपके स्वास्थ्य को खतरे में डालने वाली एक बड़ी गलतफहमी को आज हम तोड़ने जा रहे हैं। आज हम बात करेंगे मच्छरों की शिफ्ट ड्यूटी के पीछे छिपे विज्ञान की – और यह जानेंगे कि कौन काटता है कब, और कौन फैलाता है क्या!

मलेरिया: रात का खतरा

सबसे पहले बात मलेरिया की – एक जानलेवा बीमारी, जो फैलती है Plasmodium नामक चालाक परजीवी के कारण। इसका साथी है Anopheles मच्छर, जो अपनी ड्यूटी पर निकलता है जैसे ही सूरज छिपता है। एनॉफेलिस मच्छर विशेष रूप से शाम और सुबह के समय सक्रिय रहते हैं।

यानी रात को सोते समय ये मच्छर असली खतरा बनते हैं। अगर रात को मच्छर काटे और बुखार आए, तो सावधान रहें – ये मलेरिया हो सकता है!

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डेंगू: दिन का हमलावर

अब बात डेंगू की, जो डेंगू वायरस से फैलता है और इसका कैरियर है Aedes Aegypti मच्छर। यह मच्छर सुबह 6 से 10 और शाम 4 से 6 बजे के बीच सबसे ज्यादा सक्रिय होता है। इसकी खास पहचान?

सफेद और काले रंग की धारियां – एकदम ज़ेब्रा जैसा लुक! अगर दिन में मच्छर काटे और कुछ दिनों बाद तेज़ बुखार, बदन दर्द, सिरदर्द हो, तो तुरंत डॉक्टर से मिलें।

क्या रात में डेंगू नहीं हो सकता?

क्या रात को काटने वाले मच्छर डेंगू नहीं फैला सकते? वैज्ञानिक जवाब है – एडीज मच्छर सामान्यतः रात में निष्क्रिय रहते हैं। लेकिन अगर पर्यावरणीय परिस्थितियाँ बदलें और मच्छर संक्रमित हों, तो रात में भी डेंगू हो सकता है, हालांकि यह बहुत दुर्लभ है।

Frontiers in Public Health और PLOS Neglected Tropical Diseases जैसे शोध बताते हैं कि पर्यावरणीय बदलाव मच्छरों के व्यवहार को प्रभावित कर सकते हैं।

मच्छरों से बचाव के आसान उपाय

मच्छर कौन सा है, ये जानना ज़रूरी है, लेकिन उससे बचना उससे भी ज़्यादा ज़रूरी है। आइए जानते हैं कुछ आसान और प्रभावी उपाय:

  • घरेलू नुस्खे: नीम और नारियल का तेल मिलाकर लगाएं। यूकेलिप्टस, तुलसी या लैवेंडर ऑयल भी मच्छरों को दूर रखता है। नीम की सूखी पत्तियाँ जलाएं या लोबान का धुआँ करें।
  • रोज़मर्रा की सावधानियाँ: हल्के रंग और पूरी बाँह के कपड़े पहनें। कूलर, गमले, छत पर पानी जमा न होने दें। हफ्ते में एक बार पानी की टंकी साफ़ करें।
  • प्राकृतिक रिपेलेंट: तुलसी, सिट्रोनेला, पुदीना, गेंदा और लेमन ग्रास जैसे पौधे लगाएं। ये मच्छरों को दूर भगाते हैं और घर की सजावट भी बढ़ाते हैं।
  • सुरक्षा के उपाय: खिड़कियों-दरवाज़ों पर महीन जाली लगवाएँ। रात में मच्छरदानी का इस्तेमाल करें।
  • केमिकल विकल्प: मच्छर भगाने वाली अगरबत्ती, कॉइल, क्रीम (जैसे Odomos), वेपोराइज़र, लिक्विड मशीन या फॉगिंग का प्रयोग करें। लेकिन केमिकल का ज़रूरत से ज़्यादा इस्तेमाल न करें, यह स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है।

सावधानी ही बचाव है

अब आप मच्छरों की टाइमिंग और उनकी खतरनाक बीमारियों के बारे में जान चुके हैं। अगली बार अगर कोई कहे, “अरे, ये रात का मच्छर है, इससे डेंगू थोड़े ही होगा,” तो उसे ये जानकारी ज़रूर दें।

मच्छर छोटा ज़रूर है, लेकिन इसकी बीमारी जानलेवा हो सकती है। थोड़ा ध्यान, थोड़ी सावधानी और थोड़ी समझदारी आपको और आपके परिवार को मलेरिया व डेंगू से बचा सकती है।

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