नई दिल्ली: वैज्ञानिकों ने खेती में नाइट्रोजन उपयोग दक्षता (NUE) बढ़ाने का एक नया तरीका खोजा है, जिससे किसान कम उर्वरक में भी अच्छी पैदावार ले सकेंगे। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ प्लांट जीनोम रिसर्च (NIPGR) के शोध में पाया गया कि पौधों में नाइट्रिक ऑक्साइड (NO) के स्तर को नियंत्रित करने से नाइट्रोजन का अवशोषण बढ़ सकता है, जिससे खेती अधिक टिकाऊ और लाभदायक हो सकती है।
किसानों को क्या मिलेगा फायदा?
✅ कम उर्वरक में भी ज्यादा फसल
✅ मिट्टी और पानी की सेहत बेहतर होगी
✅ खेती की लागत घटेगी, मुनाफा बढ़ेगा
✅ पर्यावरण को कम नुकसान होगा
कैसे काम करता है यह तरीका?
शोध के मुताबिक, फाइटोग्लोबिन नामक प्राकृतिक तत्व को बढ़ाने से पौधों में नाइट्रिक ऑक्साइड की मात्रा कम होती है, जिससे वे कम नाइट्रोजन में भी ज्यादा पोषक तत्व अवशोषित कर पाते हैं। इससे खासतौर पर धान और गेहूं जैसी फसलों में अच्छी बढ़त देखी गई है।
रासायनिक उर्वरकों पर निर्भरता होगी कम
वैज्ञानिक अब ऐसे फायदेमंद बैक्टीरिया पर काम कर रहे हैं, जो मिट्टी में नाइट्रोजन की पूर्ति कर सकते हैं। इससे किसानों को महंगे उर्वरकों पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा और जैविक खेती को भी बढ़ावा मिलेगा।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ?
कृषि वैज्ञानिकों का मानना है कि यह तरीका न केवल पैदावार बढ़ाएगा बल्कि खेती की लागत भी कम करेगा। विशेषज्ञों के अनुसार, यदि इस तकनीक को बड़े पैमाने पर अपनाया जाए, तो भारतीय किसानों को बड़ी राहत मिल सकती है।
कब तक मिलेगा किसानों को फायदा?
शोधकर्ताओं की टीम अब इस तकनीक को खेती में लागू करने के व्यावहारिक तरीकों पर काम कर रही है। आने वाले वर्षों में यह खोज किसानों तक पहुंच सकती है, जिससे वे कम लागत में अधिक उत्पादन कर सकेंगे।