Changes in Agriculture Sector : कृषि और महंगाई को लेकर कई महत्वपूर्ण मुद्दे हाल के दिनों में चर्चा का केंद्र बने हुए हैं। एक तरफ खाद्य पदार्थों की कीमतों को महंगाई मापने के सूचकांक से हटाने की मांग हो रही है, तो दूसरी ओर यह सुनिश्चित करने की जरूरत है कि किसानों की फसलें सरकार द्वारा तय न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से कम पर न बेची जाएं।
MSP से कम कीमत पर बिकती फसलें
केंद्र सरकार द्वारा 14 फसलों के लिए MSP घोषित किया जाता है। लेकिन अक्टूबर-दिसंबर 2024 की खरीफ कटाई के दौरान, इन 14 में से 10 फसलों की मंडी कीमतें MSP से 2-25% कम थीं। केवल कपास, धान, तिल और तूर की कीमतें MSP से ऊपर रहीं।
खाद्य महंगाई और मध्यम वर्ग की चिंता
फसल खरीद की कम कीमतों के बावजूद, खाद्य महंगाई का असर सबसे ज्यादा मध्यम वर्ग पर पड़ता है। यह वर्ग अक्सर खाद्य पदार्थों की बढ़ती कीमतों से परेशान रहता है।
कृषि क्षेत्र में संभावित विकास
कृषि और किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अनुमान लगाया है कि 2024-25 में कृषि क्षेत्र 3.5-4% की दर से बढ़ेगा, जो 2023-24 में 1.4% थी। यह उम्मीद रिकॉर्ड खाद्यान्न उत्पादन और पिछले वर्ष के निम्न आधार से जुड़ी है।
2024 में कई कृषि उत्पादों की कीमतों में वृद्धि हुई, जिससे कृषि क्षेत्र के सकल मूल्य वर्धन (GVA) में वृद्धि हुई। इस क्षेत्र का GVA 2023-24 में ₹4.73 लाख करोड़ था।
GM फसलें और नई तकनीक
सरकार ने स्पष्ट किया है कि वह भारत में GM (जेनेटिकली मॉडिफाइड) फसलों को अनुमति देने की योजना नहीं बना रही है। हालांकि, जीन एडिटिंग तकनीक से विकसित फसलों को मंजूरी दी गई है ताकि जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम किया जा सके।
कृषि विस्तार प्रणाली की कमी
भारत में नई तकनीकों को खेतों तक पहुंचाने में अभी भी बड़ी समस्याएं हैं। कृषि विस्तार प्रणाली कमजोर हो चुकी है, और सरकार का भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) पर अत्यधिक निर्भर होना भी एक बड़ी चुनौती है।
प्राकृतिक खेती की ओर कदम
सरकार ने रासायनिक उर्वरकों पर निर्भरता कम करने और प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने की नीति अपनाई है। इसके चलते उर्वरक कंपनियां गैर-रासायनिक कृषि पोषक तत्वों की ओर रुख कर रही हैं।
कृषि सुधार और विपणन नीति
2021 में वापस लिए गए तीन कृषि कानूनों के मुद्दे फिर से उठाए गए हैं। केंद्र ने “राष्ट्रीय कृषि विपणन नीति ढांचा” का मसौदा जारी किया है। इस नीति का उद्देश्य किसानों को बेहतर कीमत दिलाने के लिए उनके उत्पादों को उपयुक्त बाजार उपलब्ध कराना है।
अब केंद्र सरकार राज्यों से अनुरोध कर रही है कि वे इस राष्ट्रीय ढांचे के अनुरूप अपनी राज्य-स्तरीय नीतियां बनाएं।
मसौदा नीति के अनुसार,
“किसानों के लिए एक जीवंत विपणन प्रणाली बनाना जहां सभी श्रेणियों के किसानों को अपने उत्पाद की सर्वोत्तम कीमत पाने के लिए बाजार का विकल्प मिल सके। यह पारदर्शिता, डिजिटल तकनीक और कृषि मूल्य शृंखला आधारित विपणन के माध्यम से संभव होगा।”