प्लास्टिक का बोलबाला हमारी जिंदगी का हिस्सा बन चुका है, लेकिन इसके सूक्ष्म कण—माइक्रोप्लास्टिक—अब हृदय स्वास्थ्य के लिए घातक साबित हो रहे हैं। अमेरिका की यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया, रिवरसाइड (यूसीआर) के वैज्ञानिकों के एक ताजा शोध ने खुलासा किया है कि ये कण धमनियों में सूजन भड़काकर एथेरोस्क्लेरोसिस (धमनी अवरोध) को तेज कर सकते हैं, जो हार्ट अटैक और स्ट्रोक का सबब बनता है। चौंकाने वाली बात: यह खतरा पुरुषों में ज्यादा, जबकि महिलाओं में एस्ट्रोजन जैसी हार्मोनल सुरक्षा के कारण कम।
शोध में हृदय रोग प्रवण चूहों पर प्रयोग किया गया। नौ हफ्तों तक इन्हें स्वस्थ, कम वसा-कम कोलेस्ट्रॉल वाला आहार दिया गया—ठीक वैसा जैसा एक सामान्य इंसान खाता है। रोजाना माइक्रोप्लास्टिक की न्यूनतम मात्रा (खान-पान से मिलने जितनी) दी गई। नतीजे डराने वाले: नर चूहों की मुख्य धमनी में प्लाक 63% बढ़ गया, जबकि दूसरी बड़ी धमनी में यह 600% से अधिक उछल गया। मादा चूहों में कोई खास बदलाव नजर नहीं आया—न वजन बढ़ा, न कोलेस्ट्रॉल। इससे साफ है कि माइक्रोप्लास्टिक का प्रभाव सीधा जैविक है, पारंपरिक जोखिमों से परे।
वैज्ञानिकों ने पाया कि ये कण रक्त नलिकाओं की अंदरूनी परत—एंडोथीलियल कोशिकाओं—को निशाना बनाते हैं। इससे सूजन जीन सक्रिय हो जाते हैं, प्लाक जमा होना शुरू हो जाता है। प्रयोगशाला टेस्ट में माइक्रोप्लास्टिक धमनियों की दीवारों में घुसते और प्लाक में जमा होते दिखे। इंसानी अध्ययनों में भी धमनियों की चर्बी में ये कण पाए गए हैं, जो संयोग नहीं, कारण हैं।
माइक्रोप्लास्टिक? ये प्लास्टिक के टूटने से बने 5 मिमी से छोटे कण हैं, जो पानी, हवा, भोजन और यहां तक कि मानव रक्त में घुलमिल चुके हैं। पुरुषों पर ज्यादा असर का कारण? एस्ट्रोजन की सुरक्षात्मक भूमिका, लेकिन पूर्ण स्पष्टीकरण के लिए और रिसर्च जरूरी।
शोध ‘एनवायरमेंट इंटरनेशनल’ में प्रकाशित हुआ। विशेषज्ञ चेताते हैं: प्लास्टिक प्रदूषण बढ़ते ही स्वास्थ्य संकट गहराएगा। बचाव? प्लास्टिक बोतलों-बैग्स से तौबा करें; कांच-स्टील बर्तन अपनाएं। प्रोसेस्ड फूड कम करें, संतुलित आहार-व्यायाम से हृदय मजबूत रखें। माइक्रोप्लास्टिक पर्यावरण का नहीं, हमारी सेहत का सीधा हमला है—समय रहते सतर्क हों।
