मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के आदमपुर खंती में एक बार फिर कचरे के विशाल ढेर में भीषण आग लगने से हड़कंप मच गया। इस आग की लपटें 50 फीट तक ऊंची उठीं, और घना काला धुआं 15 किलोमीटर दूर तक फैल गया। इस घटना ने न केवल पर्यावरण को नुकसान पहुंचाया, बल्कि स्थानीय प्रशासन और नगर निगम की लापरवाही को भी उजागर कर दिया।
पिछले 18 महीनों में यह 12वीं बार है, जब इस कचरा खंती में आग लगी है, जिससे यह सवाल उठता है कि क्या यह आग स्वतः लग रही है या जानबूझकर लगाई जा रही है?
आदमपुर खंती में करीब 10 लाख टन कचरा जमा है, जिसके निपटान के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं। इस बार की आग इतनी भयावह थी कि आसपास के पांच गांवों की आबोहवा जहरीली हो गई।
धुएं के कारण लोगों को सांस लेने में तकलीफ, आंखों में जलन और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ा। आधा भोपाल इस जहरीले धुएं की चपेट में आ गया, जिससे जनजीवन प्रभावित हुआ।
हैरानी की बात यह है कि इस आपदा के समय नगर निगम और दमकल विभाग की ओर से त्वरित कार्रवाई का अभाव दिखा। स्थानीय लोगों का आरोप है कि दमकल गाड़ियां देरी से पहुंचीं, और तब तक आग ने विकराल रूप धारण कर लिया था।
नगर निगम पर सवाल उठ रहे हैं कि “क्लीन सिटी” का तमगा हासिल करने के लिए केवल कागजी कार्रवाई और फोटो सेशन किए जाते हैं, जबकि जमीनी हकीकत बद से बदतर है।
इस मामले की गंभीरता को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट में भी सुनवाई चल रही है। हालांकि, आरोप है कि जांच एजेंसियों की रिपोर्ट में सब कुछ ठीक दिखाया जाता है, जबकि हकीकत इसके उलट है। पर्यावरणविदों ने चेतावनी दी है कि इस तरह की घटनाएं न केवल पर्यावरण के लिए खतरा हैं, बल्कि लाखों लोगों की सेहत को भी दांव पर लगा रही हैं।
आज “अर्थ डे” के दिन, भोपाल में यह घटना “अनर्थ डे” के रूप में दर्ज हो गई। जनता अब जवाब मांग रही है कि आखिर कब तक यह निकम्मापन और बेशर्मी जारी रहेगी? कब तक कचरे के पहाड़ और जहरीला धुआं भोपाल की पहचान बने रहेंगे?