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मलिहाबाद के दशहरी आम पर संकट: अमेरिकी टैरिफ से निर्यातक और किसान परेशान

by kishanchaubey
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Malihabad's Dussehri mango

Malihabad’s Dussehri Mango: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से सिर्फ 30 किलोमीटर दूर मलिहाबाद का दशहरी आम अपनी मिठास और खुशबू के लिए पूरी दुनिया में मशहूर है। गर्मियों में लोग इस आम का बेसब्री से इंतजार करते हैं। लेकिन इस बार मलिहाबाद के किसान और निर्यातक चिंता में हैं।

अमेरिका ने भारत के सामानों पर 26% टैरिफ (आयात शुल्क) लगाने की घोषणा की है, जिसका असर दशहरी आम के निर्यात पर पड़ सकता है। आइए, इस खबर को आसान शब्दों में समझते हैं और जानते हैं कि मलिहाबाद के आम की कहानी क्या है।

दशहरी आम की खासियत

  • कब आता है?: दशहरी आम जून के पहले हफ्ते से बाजार में आना शुरू होता है। अभी इसके आने में कुछ समय बाकी है, लेकिन चिंता बढ़ रही है।
  • मलिहाबाद का गौरव: मलिहाबाद के दशहरी आम को ज्योग्राफिकल इंडिकेटर (GI) टैग मिला है। इसका मतलब है कि इसकी मिठास और स्वाद दुनिया में अनोखा है।
  • इतिहास: 18वीं सदी में मलिहाबाद में दशहरी आम की खेती शुरू हुई। माना जाता है कि यह प्रजाति यहीं विकसित हुई।
  • उत्पादन:
    • क्षेत्र: मलिहाबाद में 30,000 हेक्टेयर में आम की खेती होती है।
    • पिछले साल: 2024 में 1.25 लाख मीट्रिक टन आम का उत्पादन हुआ।
  • किस्में: मलिहाबाद में दशहरी के अलावा चौसा, सफेदा, और 100 से ज्यादा अन्य किस्में उगाई जाती हैं।
  • मांग: खाड़ी देश (जैसे UAE, सऊदी अरब), यूरोप, और अमेरिका में मलिहाबाद के आम की भारी डिमांड है।

अमेरिकी टैरिफ का खतरा

  • क्या हुआ?: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत से आयात होने वाले सामानों पर 26% रेसिप्रोकल टैरिफ लगाने का ऐलान किया है। इसका मतलब है कि भारतीय सामान अमेरिका में महंगे हो जाएंगे।
  • अस्थायी रोक: अभी इस टैरिफ पर 90 दिन की रोक लगी है, लेकिन अनिश्चितता बनी हुई है।
  • प्रभाव:
    • महंगा निर्यात: टैरिफ लागू होने से आम की कीमत बढ़ेगी, जिससे मांग कम हो सकती है।
    • निर्यातकों की चिंता: अगर अमेरिका में आम रिजेक्ट हुए, तो भारी नुकसान होगा।
    • किसानों पर असर: निर्यात कम होने से घरेलू बाजार में आम सस्ते बिकेंगे, जिससे किसानों की कमाई घटेगी।

निर्यात की चुनौतियां

  • अमेरिका के सख्त नियम: अमेरिका में आम भेजने के लिए विशेष ट्रीटमेंट (जैसे विकिरण) जरूरी है, ताकि आम खराब न हों। मलिहाबाद में रहमान खेड़ा का एपीडा मैंगो पैक हाउस है, लेकिन वहां पूरी सुविधाएं नहीं हैं। इसलिए आम को पहले कर्नाटक भेजा जाता है, जिससे लागत बढ़ती है।
  • रिजेक्शन का डर: अगर अमेरिका में आम की खेप खराब हुई या नियमों को पूरा नहीं किया, तो निर्यातक को बड़ा नुकसान उठाना पड़ता है।
  • महंगी लागत: भारत से हवाई जहाज के जरिए आम भेजने की लागत ज्यादा है। बिना टैरिफ के एक बॉक्स (लगभग 3-4 किलो) की कीमत 35 डॉलर है। टैरिफ लागू होने पर यह 60 डॉलर तक पहुंच सकती है।
  • प्रतिस्पर्धा: दक्षिण अमेरिका के आम (जैसे मेक्सिको, ब्राजील) सस्ते हैं (8-9 डॉलर प्रति बॉक्स)। टैरिफ के बाद भारतीय आम और महंगे हो जाएंगे, जिससे उनकी मांग घट सकती है।

किसानों और निर्यातकों की बात

सरकारी और संस्थानों की प्रतिक्रिया

  • एपीडा (कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य निर्यात प्राधिकरण):
    • अधिकारी कहते हैं, “2-3 हफ्तों में टैरिफ के असर का पता चलेगा। अभी स्थिति का जायजा लिया जा रहा है।”
    • मलिहाबाद में ट्रीटमेंट सुविधाएं बेहतर करने की जरूरत।
  • केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल:
    • एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल की बैठक में कहा, “निर्यातक घबराएं नहीं। सरकार स्थिति पर नजर रखे है।”
  • लखनऊ कमिश्नर रोशन जैकब:
    • इस साल निर्यात बढ़ाने के लिए रेलवे और हवाई कंपनियों को सुविधाएं देने के निर्देश दिए।
    • लखनऊ हवाई अड्डे से आम के लिए विशेष कार्गो व्यवस्था की जा रही है।
  1. शाहजेब खान (उत्पादक और निर्यातक):
    • कहते हैं, “दशहरी आम यूपी के सहारनपुर, वाराणसी, प्रतापगढ़, गुजरात, और आंध्र प्रदेश में भी उगता है, लेकिन मलिहाबाद का स्वाद बेमिसाल है।”
    • चिंता: टैरिफ से निर्यात घटेगा, जिसका असर किसानों पर पड़ेगा।
  2. परवेज खान (निर्यातक):
    • उनकी कंपनी दक्षिण भारत से नीलम और अलफांसो आम विदेश भेजती है।
    • कहते हैं, “अमेरिका के नियम बहुत सख्त हैं। रिजेक्शन का डर रहता है। टैरिफ से कीमत बढ़ेगी, और मांग कम होगी।”
  3. सुहेब खान (बाग मालिक):
    • मलिहाबाद में अमेरिकी किस्में जैसे टॉमी एटकिन्स और सेंसेशन उगाने की कोशिश कर रहे हैं।
    • कहते हैं, “ये आम लाल रंग के होते हैं और ज्यादा टिकते हैं, लेकिन दशहरी का स्वाद बेजोड़ है। अगर प्रयोग सफल रहा, तो बड़े पैमाने पर खेती करेंगे।”
    • पौधे सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ सबट्रॉपिकल हार्टिकल्चर से लिए गए हैं।
  4. अभिजीत भोंसले (पुणे के निर्यातक):
    • 15 साल से अमेरिका को आम भेज रहे हैं। हर साल 350 टन निर्यात करते हैं।
    • चिंता: “टैरिफ से कीमत बढ़ेगी। दक्षिण अमेरिका के सस्ते आमों से मुकाबला मुश्किल होगा। मुनाफा कम होगा।”
    • सुझाव: सरकार को निर्यातकों की मदद करनी चाहिए।

आम का निर्यात: आंकड़े और तथ्य

  • वैश्विक निर्यात: भारत हर साल 30,000 मीट्रिक टन आम विदेश भेजता है।
  • अमेरिका में निर्यात:
    • 2023-24: 20,434 मीट्रिक टन (पहले 5 महीनों में), जो पिछले साल से 19% ज्यादा।
    • मूल्य: 47.98 मिलियन डॉलर (2023-24, अप्रैल-अगस्त)।
  • निर्यात के देश: अमेरिका, ईरान, मॉरीशस, चेक गणराज्य, नाइजीरिया, और 41 अन्य देश।
  • 2024 का कुल निर्यात: 3,000-3,200 मीट्रिक टन (अमेरिका को)।
  • चुनौती: हवाई मार्ग से भेजने की लागत ज्यादा। टैरिफ लागू होने पर कीमत और बढ़ेगी।

घरेलू और वैश्विक प्रभाव

  • घरेलू बाजार:
    • अगर निर्यात कम हुआ, तो मलिहाबाद के आम सस्ते बिकेंगे।
    • इससे किसानों को कम दाम मिलेंगे, और उनकी आय घटेगी।
  • वैश्विक मांग:
    • अमेरिका और यूरोप में ऑर्डर दिसंबर से शुरू होते हैं।
    • टैरिफ के कारण आयातक डिस्काउंट मांग सकते हैं, जिससे निर्यातकों का मुनाफा कम होगा।
  • अन्य देश:
    • अगर अमेरिका में मांग घटी, तो खाड़ी देशों और यूरोप में भी निर्यात प्रभावित हो सकता है।
  • प्रतिस्पर्धा: दक्षिण अमेरिका के सस्ते आम भारतीय आमों के लिए चुनौती हैं।
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