मुलुगु जिले में जंगल के पुनर्जीवन के लिए एक बड़ी परियोजना शुरू की गई है। यह कदम उस दुर्लभ प्राकृतिक आपदा के बाद उठाया गया है, जिसमें 31 अगस्त को 36,000 से अधिक पेड़ गिर गए थे। वन विभाग ने जंगल को फिर से संरक्षित और मजबूत करने के लिए पांच साल की योजना तैयार की है।
तद्वई रिजर्व फॉरेस्ट के 332 हेक्टेयर क्षेत्र में यह आपदा आई थी। मुलुगु जिले के वन अधिकारी राहुल किसन जाधव ने बताया कि इस योजना में कई कदम शामिल हैं, जैसे:
- आग प्रबंधन
- मिट्टी का कटाव रोकना
- खरपतवार नियंत्रण
- जैविक हस्तक्षेप को कम करना
प्राकृतिक पुनर्जीवन में बाधाएं
राहुल जाधव के अनुसार, इस क्षेत्र में कुछ पेड़ पूरी तरह गिर गए हैं, तो कुछ अपनी जड़ से उखड़ गए और कई पेड़ों की शाखाएं टूट गईं। हालांकि, प्राकृतिक पुनर्जीवन हो रहा है, लेकिन इसमें कई बाधाएं हैं:
- पशुओं की चराई
- मानव और पशुओं की आवाजाही
- आग लगने का खतरा
इन समस्याओं को हल करने के लिए:
- चेन लिंक बाड़ बनाई जाएगी ताकि मानवीय हस्तक्षेप और अतिक्रमण को रोका जा सके।
- 5 मीटर चौड़ी फायरलाइन बनाई जाएगी जो प्रभावित क्षेत्र के चारों ओर और भीतर 80 किमी तक फैली होगी।
बांस के पौधे लगाकर जंगल पुनर्जीवन
पुनर्जीवन में मदद के लिए प्रभावित इलाकों में बांस के पौधे लगाए जाएंगे।
- बांस एक प्राकृतिक विंडब्रेक (तेज हवा को रोकने वाला) का काम करता है।
- जिन इलाकों से गिरे हुए पेड़ों को हटाया जाएगा, वहां बांस लगाने की योजना है।
वन सुरक्षा के लिए स्थानीय युवाओं की मदद
प्रभावित क्षेत्र में क्विक रिस्पॉन्स टीम (QRT) तैनात की जाएगी।
- टीम में 10 स्थानीय आदिवासी युवा होंगे, जिन्हें वन सुरक्षा, आग रोकने और पौधारोपण प्रबंधन का प्रशिक्षण दिया जाएगा।
- यह टीम हर समय तैनात रहेगी ताकि आपात स्थितियों से तुरंत निपटा जा सके।
वैज्ञानिक निगरानी और सर्वेक्षण
वन क्षेत्र की स्थिति पर नजर रखने के लिए:
- वैज्ञानिक निगरानी की जाएगी।
- एफसीआरआई (फॉरेस्ट कॉलेज एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट) और टीएसएफए (तेलंगाना स्टेट फॉरेस्ट एकेडमी) जैसे संस्थानों की मदद ली जाएगी।
- क्षेत्र का LiDAR सर्वेक्षण (लाइट डिटेक्शन एंड रेंजिंग) किया जाएगा ताकि जंगल की सही स्थिति और आंकड़े मिल सकें।
आग से बचाव के उपाय
क्षेत्र में गिरे हुए पेड़ और सूखी वनस्पति आग का खतरा बढ़ाते हैं। इसे रोकने के लिए:
- आग से बचाव के उपायों को लागू किया जाएगा।
- आग रोकने के लिए विशेष प्रबंधन और निगरानी सुनिश्चित की जाएगी।
परियोजना का उद्देश्य
इस योजना का मुख्य उद्देश्य तद्वई रिजर्व फॉरेस्ट में न केवल गिरे हुए जंगल को पुनर्जीवित करना है, बल्कि वन्यजीवों और वनस्पतियों के लिए बेहतर वातावरण तैयार करना भी है। यह परियोजना स्थानीय आदिवासी समुदायों को रोजगार के अवसर प्रदान करने के साथ-साथ पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखने में भी मदद करेगी।