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नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) की पश्चिमी बेंच ने महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (MPCB) को निर्देश दिया है कि वह देहूनगर पंचायत पर पर्यावरणीय क्षति मुआवजा (Environmental Damage Compensation – EDC) का अनुमान लगाए। यह कदम इंद्रायणी नदी में बढ़ते प्रदूषण और हालिया ‘फिश किल’ घटना के मद्देनजर उठाया गया है।
क्या है मामला?
- घटना की पृष्ठभूमि: 13 मार्च को देहु क्षेत्र में इंद्रायणी नदी के किनारे बड़ी संख्या में मरी हुई मछलियाँ पाई गईं।
- जांच में खुलासा: MPCB की जांच में पता चला कि नदी में अशोधित पानी प्रवेश कर रहा था। पानी के नमूनों में सीवेज प्रदूषण की पुष्टि हुई।
- देहूनगर पंचायत की जिम्मेदारी: पंचायत ने दावा किया कि वह सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (STP) स्थापित करेगी, लेकिन अब तक स्थिति में सुधार नहीं हुआ।
NGT के निर्देश
- पर्यावरण क्षति मुआवजा: MPCB से कहा गया है कि वह पर्यावरणीय क्षति का मूल्यांकन करे और इसका मुआवजा तय करे।
- नए हलफनामे की मांग: MPCB को चार सप्ताह के भीतर मुआवजे की राशि और उसकी वसूली अवधि का विवरण देते हुए नया हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया गया है।
- अभियोजन की संभावना: NGT ने MPCB को यह भी कहा है कि वह देहूनगर पंचायत के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने पर विचार करे।
आगे की प्रक्रिया
- अगली सुनवाई: यह मामला 27 जनवरी को फिर से NGT के सामने पेश किया जाएगा।
- MPCB को तब तक अपने जवाब और कार्रवाई की रिपोर्ट जमा करनी होगी।