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प्रयागराज में महाकुंभ 2025 के दौरान जल की स्वच्छता सवालों के घेरे में है। 14 जनवरी, 2025 तक 2.50 करोड़ श्रद्धालु संगम में डुबकी लगा चुके हैं, लेकिन गंगा जल की गुणवत्ता को लेकर चिंताएं बनी हुई हैं। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के अनुसार, महाकुंभ में गंगा जल नहाने, पीने और आचमन करने योग्य होना चाहिए।
गंगा जल की गुणवत्ता पर सवाल
- केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के रीयल-टाइम मॉनिटरिंग सिस्टम के अनुसार, 14 जनवरी को संगम में यमुना नदी के पानी में बॉयोकेमिकल ऑक्सीजन डिमांड (BOD) का स्तर 4.25 एमजी/लीटर दर्ज किया गया।
- उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (UPPCB) के मानकों के अनुसार, संगठित स्नान के लिए BOD का स्तर 3 एमजी/लीटर या उससे कम होना चाहिए।
जल की गुणवत्ता मापदंड
- BOD (बॉयोकेमिकल ऑक्सीजन डिमांड):
अधिक BOD का मतलब है पानी में जैविक प्रदूषण अधिक है। - फीकल कोलिफॉर्म:
मल से संबंधित बैक्टीरिया का उच्च स्तर, जिससे पानी अस्वास्थ्यकर होता है। - डीओ (डिजॉल्व्ड ऑक्सीजन):
पानी में घुली ऑक्सीजन का स्तर 5 एमजी/लीटर से कम होने पर नदी मृतप्राय हो सकती है। - पीएच स्तर:
6 से 8 के बीच होना चाहिए, अन्यथा यह त्वचा और संवेदनशील अंगों को प्रभावित कर सकता है।
एनजीटी के आदेशों का पालन नहीं
- एनजीटी ने आदेश दिया था कि श्रद्धालुओं को जल की गुणवत्ता के बारे में सूचित किया जाए।
- “सूटेबिलिटी ऑफ रिवर गंगा वाटर” प्लेटफॉर्म, जो जल गुणवत्ता की जानकारी प्रदान करने के लिए बनाया गया था, फिलहाल काम नहीं कर रहा है।
- यूपीपीसीबी की वेबसाइट पर केवल नवंबर 2024 तक के आंकड़े उपलब्ध हैं।
सीपीसीबी की पिछली रिपोर्ट से खुलासा
2019 के कुंभ की “एनवायरनमेंटल फुटप्रिंट्स ऑफ मास बाथिंग ऑन वाटर क्वालिटी” रिपोर्ट में भी जल गुणवत्ता के खराब होने की पुष्टि हुई थी।
- प्रमुख स्नान के दिनों में BOD और फीकल कोलिफॉर्म का स्तर मानकों से अधिक था।
- शाम को जल की गुणवत्ता सुबह की तुलना में अधिक खराब थी।
महाकुंभ 2025 की चुनौतियां
- नदी में जल प्रवाह बनाए रखने के लिए पानी छोड़ा जा रहा है, लेकिन सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (STP) और नालों से जल प्रबंधन सही नहीं है।
- संगम पर जल गुणवत्ता की मॉनिटरिंग में नियमितता की कमी है।
- यमुना नदी का पानी भी प्रदूषित है, जो गंगा में मिलकर स्थिति को और खराब कर रहा है।
बेहतर उपायों की जरूरत
- रीयल-टाइम मॉनिटरिंग डेटा को श्रद्धालुओं के लिए सार्वजनिक करना।
- STP और नालों के माध्यम से प्रदूषण रोकने के लिए सख्त कदम उठाना।
- नदी में जल प्रवाह को बढ़ाने के लिए अतिरिक्त पानी छोड़ना।