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महाकुंभ 2025: प्रयागराज संगम पर गंगा का जल कितना साफ?

by kishanchaubey
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Mahakumbh 2025 : प्रयागराज, उत्तर प्रदेश में चल रहे महाकुंभ के दौरान गंगा नदी के जल की सफाई को लेकर सवाल उठ रहे हैं। मकर संक्रांति पर, 14 जनवरी 2025 तक, दोपहर 3 बजे तक 2.5 करोड़ श्रद्धालुओं ने संगम पर स्नान किया। लेकिन, राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) के निर्देशों के बावजूद, भक्तों को गंगा जल की गुणवत्ता की जानकारी देने की कोई व्यवस्था नहीं की गई।

NGT के निर्देश और जल की स्थिति

दिसंबर 2024 में NGT ने आदेश दिया था कि महाकुंभ के दौरान प्रयागराज में गंगा का जल पीने, आचमन और स्नान के योग्य होना चाहिए। साथ ही, भक्तों को जल की गुणवत्ता के बारे में 24 घंटे ऑनलाइन जानकारी दी जानी चाहिए। इसके लिए “सस्टेनेबिलिटी ऑफ रिवर गंगा वाटर” नाम का एक प्लेटफॉर्म तैयार किया गया था, लेकिन यह अभी काम नहीं कर रहा है।

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के रियल-टाइम जल गुणवत्ता निगरानी सिस्टम के अनुसार, संगम पर 14 जनवरी को दोपहर 2 बजे गंगा के जल का बायोलॉजिकल ऑक्सीजन डिमांड (BOD) स्तर 4 mg प्रति लीटर मापा गया। यह 3 mg प्रति लीटर की सीमा से अधिक है।

BOD और जल की गुणवत्ता

  • BOD का उच्च स्तर पानी में जैविक पदार्थों की अधिकता और खराब जल गुणवत्ता को दर्शाता है।
  • उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (UPPCB) के अनुसार, संगठित स्नान के लिए BOD स्तर 3 mg प्रति लीटर से अधिक नहीं होना चाहिए।

संगम क्षेत्र में लगातार जल छोड़े जाने के बावजूद, BOD स्तर अधिक बना हुआ है, जो यह बताता है कि सीवेज प्रबंधन और जल शोधन संयंत्र (STP) प्रभावी तरीके से काम नहीं कर रहे हैं।

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पिछले कुंभ मेलों से सबक

2019 में कुंभ के दौरान भी CPCB की रिपोर्ट ने संगम पर जल गुणवत्ता की खराब स्थिति को उजागर किया था।

  • प्रमुख निष्कर्ष:
    • सुबह के समय BOD और फीकल कोलिफॉर्म स्तर अधिक पाए गए।
    • महाशिवरात्रि और अन्य महत्वपूर्ण दिनों में जल में फीकल कोलिफॉर्म के स्तर ने स्नान मानकों को पार कर लिया था।

वर्तमान जल गुणवत्ता

  • DO (घुलित ऑक्सीजन): सभी समय पर स्नान मानकों पर खरा।
  • pH स्तर: 6 बार मानकों से बाहर।
  • BOD स्तर: सुबह 16 बार और शाम 15 बार मानकों से अधिक।
  • फीकल कोलिफॉर्म: सुबह और शाम 6 बार अधिक।

संगम पर पानी की विद्युत चालकता 704 माइक्रोसीमेंस प्रति सेंटीमीटर मापी गई, जो फिलहाल ठीक मानी जा रही है। हालांकि, जल प्रवाह कम होने पर यह और खराब हो सकती है।

सीवेज प्रबंधन की स्थिति

सीवेज के प्रबंधन में सुधार न होने से गंगा के छोटे धाराओं में सफाई पूरी तरह संभव नहीं हो पाई है। UPPCB की वेबसाइट पर उपलब्ध जल गुणवत्ता का डेटा नवंबर 2024 तक का ही है, जो स्थिति की पारदर्शिता पर सवाल खड़ा करता है।

समस्या का समाधान

  • सीवेज और जल शोधन संयंत्रों को प्रभावी बनाने की आवश्यकता।
  • जल की गुणवत्ता की जानकारी श्रद्धालुओं तक पहुंचाने के लिए रियल-टाइम अपडेट और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म को सक्रिय करना।
  • प्रदूषण के कारणों को रोकने के लिए कड़े कानून और उनके प्रभावी कार्यान्वयन की जरूरत।

महाकुंभ में गंगा की पवित्रता बनाए रखने के लिए सही कदम उठाना जरूरी है। यह केवल धार्मिक आस्था ही नहीं, बल्कि मानव स्वास्थ्य और पर्यावरण का भी सवाल है।

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