Mahakumbh 2025: दुनिया की सबसे बड़ी धार्मिक सभा, महाकुंभ! जहां करोड़ों श्रद्धालु एकत्रित होते हैं, गंगा-यमुना के पवित्र संगम में स्नान करते हैं, आचमन करते हैं, और मोक्ष की कामना करते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि जिस गंगा जल में डुबकी लगाकर लोग पुण्य कमाने आते हैं, उसी जल को सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड (CPCB) ने नहाने लायक भी नहीं बताया है? सवाल उठता है कि किसकी बात मानी जाए—वैज्ञानिक रिपोर्ट या फिर धार्मिक और राजनीतिक बयान?
महाकुंभ और जल की पवित्रता पर विवाद
महाकुंभ को लेकर एक नया विवाद खड़ा हो गया है। संगम क्षेत्र में गंगा और यमुना के जल की शुद्धता को लेकर दो अलग-अलग रिपोर्ट सामने आई हैं। एक ओर CPCB का कहना है कि गंगा का जल नहाने और धोने लायक नहीं है, वहीं उत्तर प्रदेश सरकार और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इसे पूरी तरह से पवित्र और पीने योग्य बता रहे हैं।
यूपी विधानसभा में मुख्यमंत्री ने दावा किया कि गंगा और यमुना का जल पूरी तरह स्वच्छ और आचमन योग्य है। उन्होंने कहा कि महाकुंभ को बदनाम करने के लिए झूठ फैलाया जा रहा है। वहीं, विपक्ष ने सरकार पर तंज कसते हुए कहा कि अगर जल इतना ही स्वच्छ है, तो बीजेपी नेताओं को इसे रोजमर्रा के इस्तेमाल में लाना चाहिए। सवाल यह है कि क्या जल की गुणवत्ता तय करने का आधार वैज्ञानिक रिपोर्ट होनी चाहिए या फिर धार्मिक और राजनीतिक बयानबाजी?
CPCB बनाम यूपी सरकार: कौन सही, कौन गलत?
CPCB ने महाकुंभ से पहले और आयोजन के दौरान गंगा और यमुना के जल का सैंपल लिया। रिपोर्ट के अनुसार, इस पानी में बैक्टीरिया और प्रदूषण का स्तर इतना अधिक है कि यह न केवल पीने बल्कि स्नान करने योग्य भी नहीं है। रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि जल में टोटल और फीकल कॉलीफार्म बैक्टीरिया की मात्रा काफी अधिक है, जो मल-मूत्र में पाया जाता है और गंभीर बीमारियों का कारण बन सकता है।
लेकिन यूपी सरकार के तहत काम करने वाले उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (UPPCB) ने CPCB की रिपोर्ट को खारिज कर दिया। उन्होंने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) को एक नई रिपोर्ट सौंपी, जिसमें कहा गया कि जल की गुणवत्ता मानकों के अनुरूप है। सवाल यह उठता है कि क्या यह रिपोर्ट दबाव में बदली गई?
क्या जल प्रदूषण से स्वास्थ्य पर असर पड़ रहा है?
महाकुंभ में गंगा स्नान करने के बाद कई श्रद्धालुओं की तबीयत बिगड़ने के मामले सामने आए हैं।
- नर्मदापुरम के मोनू दुबे ने संगम स्नान के बाद बुखार और गले में संक्रमण की शिकायत की।
- भोपाल के सचिन कौरव की तबीयत प्रयागराज से लौटने के बाद बिगड़ गई।
- कई अन्य श्रद्धालुओं को सांस की तकलीफ, जुकाम और बुखार की शिकायतें हुईं।
नई दिल्ली स्थित मौलाना आज़ाद मेडिकल कॉलेज के पूर्व निदेशक डॉ. पन्नालाल के अनुसार, इतनी बड़ी भीड़ में संक्रमण फैलना स्वाभाविक है। उन्होंने बताया कि जल में मौजूद फीकल बैक्टीरिया 20% से अधिक लोगों को प्रभावित कर सकता है।
राजनीति बनाम विज्ञान: किसे दें प्राथमिकता?
CPCB की रिपोर्ट आने के बाद भी यूपी सरकार इसे गलत ठहरा रही है। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि बीजेपी नेताओं को पहले खुद इस जल का उपयोग करके दिखाना चाहिए। वहीं, सपा नेता शिवपाल सिंह यादव ने विधानसभा में कहा कि सरकार ने गंगा को इवेंट मैनेजमेंट का केंद्र बना दिया है।
महत्वपूर्ण सवाल:
- क्या धार्मिक आयोजनों में विज्ञान और तर्क को नज़रअंदाज किया जाना चाहिए?
- क्या सरकार को जल की शुद्धता को लेकर पारदर्शी जांच नहीं करानी चाहिए?
- क्या श्रद्धालुओं की सेहत से खिलवाड़ करना आस्था का सम्मान है?
समाधान क्या हो सकता है?
- विज्ञान को प्राथमिकता: गंगा जल की वास्तविक स्थिति जानने के लिए एक निष्पक्ष वैज्ञानिक समिति बनाई जाए।
- स्वास्थ्य सुरक्षा: महाकुंभ में आने वाले श्रद्धालुओं के लिए स्वास्थ्य जांच और साफ पानी की व्यवस्था की जाए।
- पारदर्शिता: सरकार को सभी रिपोर्ट्स को सार्वजनिक करना चाहिए, ताकि लोग सही निर्णय ले सकें।