environmentalstory

Home » पराली जलाने के मामले में मध्य प्रदेश ने पजाब को पछाड़ा

पराली जलाने के मामले में मध्य प्रदेश ने पजाब को पछाड़ा

by reporter
0 comment

उत्तर भारत में पराली जलाने की घटनाएं, जो वायु प्रदूषण का एक बड़ा कारण हैं, अब नए क्षेत्रों में बढ़ रही हैं। जहाँ पंजाब और हरियाणा जैसे परंपरागत “हॉटस्पॉट” राज्यों में मामलों में गिरावट दिख रही है, वहीं मध्य प्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में इस सीजन में पराली जलाने की घटनाएं तेजी से बढ़ी हैं। खासकर, मध्य प्रदेश ने इस बार पराली जलाने के मामलों में पंजाब को पीछे छोड़ दिया है और 10,000 से ज्यादा मामलों का आंकड़ा पार कर लिया है।

मध्य प्रदेश में पराली जलाने की घटनाओं में बढ़ोतरी

सोमवार को, मध्य प्रदेश में एक ही दिन में 506 पराली जलाने के मामले दर्ज किए गए, जो कि राज्य का अभी तक का उच्चतम स्तर है। इसके पहले, 2 नवंबर को यह संख्या 296 थी। यह आंकड़ा उस दिन देश भर में हुई कुल घटनाओं का आधे से अधिक हिस्सा है, जो राज्य में पराली जलाने के बढ़ते संकट को दर्शाता है। इसके विपरीत, पंजाब में पराली जलाने के मामले 1 नवंबर को 587 थे, लेकिन इसे 4 नवंबर तक घटाकर 262 पर ला दिया गया, जो एक सकारात्मक संकेत है।

उत्तर प्रदेश और राजस्थान में भी बढ़े मामले

मध्य प्रदेश की तरह ही, उत्तर प्रदेश और राजस्थान में भी पराली जलाने के मामलों में वृद्धि देखी गई है। उत्तर प्रदेश में सोमवार को 84 घटनाएं दर्ज की गईं, जो पिछले दिन के 16 मामलों से काफी ज्यादा हैं। इसी तरह, राजस्थान में घटनाओं की संख्या 36 से बढ़कर 98 हो गई, जो इस सीजन का दूसरा सबसे बड़ा आंकड़ा है।

हरियाणा में सुधार की ओर कदम

हरियाणा में पराली जलाने के मामलों में गिरावट देखने को मिल रही है। यहाँ 31 अक्टूबर को 42 घटनाएं दर्ज की गई थीं, जो 4 नवंबर तक घटकर 13 रह गईं। हालांकि, कुछ राज्यों में सुधार के बावजूद, देशभर में पराली जलाने की घटनाओं का कुल आंकड़ा 10,000 को पार कर चुका है। पंजाब अब भी सबसे ज्यादा योगदान देने वाला राज्य बना हुआ है, जिसमें 4,394 मामले दर्ज हुए हैं, उसके बाद मध्य प्रदेश 2,875 मामलों के साथ दूसरे स्थान पर है।

banner

पराली जलाने पर विशेषज्ञों की चिंता और सुझाव

विशेषज्ञों का मानना है कि पराली जलाने की यह बढ़ती प्रवृत्ति नीति-निर्माताओं के लिए एक बड़ी चुनौती बन गई है। अब यह जरूरी हो गया है कि किसान पराली जलाने के बजाय वैकल्पिक और टिकाऊ कृषि पद्धतियों को अपनाएं। पर्यावरण को होने वाले नुकसान को कम करने और खेती को अधिक टिकाऊ बनाने के लिए नीति-निर्माताओं को किसानों को सहायता और समर्थन देना होगा।

निष्कर्ष

पराली जलाने की इस समस्या को हल करने के लिए अधिक जागरूकता, कड़े कदम, और वैकल्पिक साधनों की आवश्यकता है ताकि किसान पराली जलाने की जगह अन्य उपाय अपना सकें और पर्यावरण पर इसका नकारात्मक प्रभाव कम हो सके।

You may also like