लुधियाना नगर निगम (MC) ने हाइबोवाल डेयरी कॉम्प्लेक्स में डेयरी फार्म द्वारा प्रदूषण फैलाने पर सख्ती बढ़ा दी है। मंगलवार को गंदगी और गोबर के कचरे के अनुचित निपटान के कारण चार चालान जारी किए गए। यह कदम चंडीगढ़ में हुई एक उच्च-स्तरीय समीक्षा बैठक के बाद उठाया गया, जिसमें स्थानीय निकाय मंत्री रवजोत सिंह, आप सांसद बलबीर सिंह सीचेवाल, विधायक और निगम अधिकारी शामिल थे।
सख्त कार्रवाई और निरीक्षण
बैठक के दौरान अधिकारियों ने डेयरी संचालकों पर कड़ी निगरानी रखने और नियमों के पालन को सुनिश्चित करने पर जोर दिया। MC की हेल्थ ब्रांच और ऑपरेशन एंड मेंटेनेंस सेल ने संयुक्त रूप से सफाई और कचरा प्रबंधन के नियमों को लागू करने के लिए अभियान शुरू किया है।
नगर निगम के एक अधिकारी ने बताया कि पिछले हफ्ते से अधिकारियों ने डेयरी फार्मर्स को निर्देश दिया है कि वे अपने कचरे को कॉम्प्लेक्स में निर्धारित स्थान पर ही फेंकें। हालांकि, नजदीक होने के बावजूद कई डेयरी फार्मर्स इस निर्देश का पालन नहीं कर रहे हैं। अधिकारी ने कहा, “पहले यह स्थान डेयरी यूनिट्स से काफी दूर था, लेकिन अब पास होने के बावजूद अवहेलना हो रही है, जिससे चालान काटने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचता।”
बुद्धा दरिया और अपशिष्ट प्रबंधन
हाइबोवाल डेयरी कॉम्प्लेक्स में इफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट (ETP) लगाए गए हैं। लेकिन कई यूनिट्स ने अपने वेस्टवाटर लाइनों को ETP से जोड़ने में हेरफेर किया है। नतीजतन, गोबर या तो सीवरेज सिस्टम में चला जाता है या सीधे बुद्धा दरिया में बहता है, जो कि पूरी तरह से प्रतिबंधित है।
आप सांसद बलबीर सिंह सीचेवाल ने अधिकारियों की निष्क्रियता की आलोचना की और सुझाव दिया कि गौघाट पर पंपिंग स्टेशन जैसी परियोजनाओं को लागू किया जाना चाहिए। पर्यावरण कार्यकर्ताओं द्वारा किए गए निरीक्षण में पाया गया कि ETP से पर्याप्त मात्रा में प्रदूषित पानी अभी भी बुद्धा दरिया में छोड़ा जा रहा है। डेयरी स्लज की अत्यधिक मात्रा ट्रीटमेंट सिस्टम की क्षमता से अधिक है।
पर्यावरणीय प्रभाव और आगे की कार्रवाई
नगर निगम प्रदूषण को रोकने के लिए अपनी मुहिम जारी रखेगा। यह कार्रवाई लुधियाना की जलधाराओं, विशेष रूप से बुद्धा दरिया को, और अधिक प्रदूषण से बचाने के लिए जरूरी है। डेयरी फार्म्स द्वारा फैलाए जा रहे प्रदूषण ने नदियों की स्थिति को और खराब कर दिया है।
इस बीच, उत्तर-पश्चिम भारत और पाकिस्तान में पराली जलाने के मामलों में कमी दर्ज की गई है। हालांकि, विशेषज्ञों को संदेह है कि किसान सेटेलाइट निगरानी से बचने के लिए पराली जलाने का समय बदल सकते हैं।
समस्या का समाधान क्या हो सकता है?
- डेयरी कचरे का सही निपटान: कचरे को एकत्र करने और ईंधन या खाद के रूप में उपयोग करने के लिए सुविधाएं बढ़ानी चाहिए।
- ETP की क्षमता बढ़ाना: ट्रीटमेंट प्लांट की क्षमता में सुधार और निगरानी बढ़ाई जाए।
- कानून का कड़ाई से पालन: चालान और सख्त दंड जैसे उपाय लागू किए जाएं।
- जनता और किसानों की जागरूकता: प्रदूषण रोकने के लिए जागरूकता अभियान चलाए जाएं।
लुधियाना का यह कदम महत्वपूर्ण है, लेकिन दीर्घकालिक सुधार के लिए ठोस और समग्र प्रयासों की जरूरत है।