environmentalstory

Home » Mysore : देश का सबसे बड़ा तेंदुआ पुनर्वास केंद्र बनने जा रहा है

Mysore : देश का सबसे बड़ा तेंदुआ पुनर्वास केंद्र बनने जा रहा है

by kishanchaubey
0 comment

Mysore: मैसूर में तेंदुआ-मानव संघर्ष के बढ़ते मामलों को देखते हुए, वन विभाग ने देश का सबसे बड़ा तेंदुआ बचाव और पुनर्वास केंद्र बनाने का प्रस्ताव रखा है। यह केंद्र आधुनिक सुविधाओं से लैस होगा और इसका उद्देश्य घायल तेंदुओं की जीवन दर को बेहतर बनाना है।

केंद्र की खासियत

  • खर्च: इस प्रोजेक्ट पर लगभग ₹70 करोड़ खर्च होंगे।
  • क्षमता: यह केंद्र एक समय में 100 तेंदुओं को संभालने में सक्षम होगा।
  • लोकेशन: मैसूर तालुक के येलावल रेजिडेंसी कम्पाउंड में 92 एकड़ भूमि चिन्हित की गई है, जो 1899 से संरक्षित वन क्षेत्र है।
  • उपयोग: यह स्थान बांदीपुर, नागरहोल, बीआरटी टाइगर रिजर्व, मडिकेरी, मैसूर और मांड्या जिलों से आसानी से पहुंचा जा सकता है।

तेंदुआ बचाव और पुनर्वास की जरूरत

  • हर साल कर्नाटक में लगभग 250 तेंदुओं को बचाया जाता है।
  • जनवरी 2023 से दिसंबर 2024 तक, मैसूर और मांड्या जिलों में 117 तेंदुओं को बचाया गया।
  • वर्तमान में, तेंदुओं को बेंगलुरु के बन्नेरघट्टा बचाव केंद्र में भेजा जाता है, जो मैसूर से 150 किमी दूर है।
  • चुनौतियां:
    • घायल तेंदुओं के लिए अस्थायी रूप से रखने की सुविधा की कमी।
    • वेटरनरी जांच और इलाज के लिए उचित केंद्र नहीं है।
    • माइक्रोचिपिंग और ईयर नोटिंग जैसी प्रक्रियाओं के लिए साधन उपलब्ध नहीं हैं।

नए केंद्र की सुविधाएं

वन विभाग ने एक विस्तृत प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार की है, जिसमें निम्नलिखित सुविधाएं शामिल हैं:

  1. इंटीग्रेटेड रेस्क्यू व्हीकल और एंबुलेंस: तेंदुओं को प्राथमिक उपचार देने के लिए।
  2. उपग्रह वेटरनरी अस्पताल: पुनर्वास, डायग्नोसिस और व्यक्तिगत तेंदुओं को रखने की सुविधा।
  3. इलाज और ट्रांजिट केंद्र: घायल तेंदुओं को 2-3 महीने तक निगरानी में रखने के लिए।
  4. क्वारंटाइन सेंटर और पोस्टमार्टम रूम:
    • गहरी फ्रीजिंग और जलाने की सुविधा (इंसीनरेटर)।
  5. फॉरेंसिक केंद्र: सबूत आधारित जांच के लिए।
  6. खुले खाई क्षेत्र (Open Moats): ऐसे तेंदुओं को रखने के लिए जो स्थायी रूप से विकलांग हो गए हैं और जंगल में नहीं छोड़े जा सकते।

समाज के लिए लाभ

  • यह केंद्र तेंदुआ-मानव संघर्ष वाले इलाकों में लोगों को जागरूक करने और उनका भरोसा जीतने में मदद करेगा।
  • विकलांग तेंदुओं को केंद्र में रखकर उनके बारे में डेटा और विश्लेषण जुटाया जाएगा, जिससे भविष्य में तेंदुआ-मानव संघर्ष को कम करने की योजना बनाई जा सके।

अन्य स्थानों की तुलना

  • वर्तमान में, देश का सबसे बड़ा तेंदुआ पुनर्वास केंद्र गुजरात के गिर नेशनल पार्क में है, जिसकी क्षमता 50 तेंदुओं की है।
  • कर्नाटक में ज़ू अथॉरिटी द्वारा संचालित केंद्र:
    • बन्नेरघट्टा नेशनल पार्क: 42 तेंदुए।
    • मैसूर ज़ू: 9 तेंदुए।
    • शिवमोगा: 6 तेंदुए।
    • गडग और हम्पी: 5-5 तेंदुए।

नतीजा

नए तेंदुआ पुनर्वास केंद्र की स्थापना न केवल तेंदुआ-मानव संघर्ष को कम करेगी, बल्कि घायल तेंदुओं की देखभाल और पुनर्वास को भी बेहतर बनाएगी। इस केंद्र का निर्माण न केवल कर्नाटक, बल्कि पूरे भारत में वन्यजीव संरक्षण के क्षेत्र में एक मील का पत्थर साबित होगा।

अगर आपको यह जानकारी उपयोगी लगी हो, तो इसे शेयर करें और वन्यजीव संरक्षण में अपना योगदान दें।

banner

You Might Be Interested In

You may also like