हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले के बड़ा भुईं पंचायत क्षेत्र में मंगलवार रात को जंगल में भीषण आग लग गई। इस आग की लपटें दूर से ही दिखाई दे रही थीं, जिससे स्थानीय लोग भयभीत हो गए।
पिछले दो हफ्तों में 50 हेक्टेयर भूमि प्रभावित
कुल्लू सर्कल के वन विभाग के संरक्षक संदीप शर्मा ने बताया कि पिछले दो हफ्तों में कुल्लू क्षेत्र में करीब 50 हेक्टेयर जंगल आग से प्रभावित हुआ है। इस आग ने सूखी घास और कुछ पेड़ों को भी नुकसान पहुंचाया है।
शर्मा ने कहा, “पिछले दो हफ्तों में 50 हेक्टेयर क्षेत्र प्रभावित हुआ है, जिसमें कुछ वृक्षारोपण क्षेत्र भी शामिल हैं। आग से लगभग पांच लाख रुपये का आर्थिक नुकसान हुआ है। हमारी टीमें आग बुझाने और नुकसान का आकलन करने में जुटी हुई हैं। वास्तविक नुकसान का आंकलन अभी बाकी है।”
आग का पर्यावरण और स्वास्थ्य पर प्रभाव
- पर्यावरण पर प्रभाव:
- जैव विविधता को नुकसान: आग के कारण जंगल के कई पेड़-पौधे और जीव-जंतु नष्ट हो जाते हैं। इससे पारिस्थितिकी तंत्र पर बुरा असर पड़ता है।
- मिट्टी की गुणवत्ता में गिरावट: जंगल की आग मिट्टी को बंजर बना सकती है, जिससे पुनर्विकास में मुश्किल होती है।
- कार्बन उत्सर्जन: जंगल की आग से बड़ी मात्रा में कार्बन डाइऑक्साइड और अन्य प्रदूषक गैसें वायुमंडल में फैलती हैं, जो जलवायु परिवर्तन को तेज कर सकती हैं।
- स्वास्थ्य पर प्रभाव:
- वायु प्रदूषण: आग से निकलने वाला धुआं हवा की गुणवत्ता को खराब करता है, जिससे सांस संबंधी बीमारियां बढ़ सकती हैं।
- स्थानीय लोगों पर प्रभाव: आग की वजह से लोगों को अपनी जगह छोड़नी पड़ सकती है, और धुएं के संपर्क में आने से आंखों में जलन और फेफड़ों की समस्याएं हो सकती हैं।
- खतरनाक परिस्थितियां: आग पर काबू पाने में लगे दमकलकर्मियों और वनकर्मियों के लिए यह काम बेहद जोखिम भरा होता है।
नुकसान को कम करने के उपाय
- जागरूकता अभियान: स्थानीय लोगों को जंगल की आग के खतरों और इसे रोकने के उपायों के बारे में जागरूक किया जाना चाहिए।
- फायर ब्रेक्स का निर्माण: जंगलों में आग को फैलने से रोकने के लिए फायर ब्रेक्स (विशेष क्षेत्रों को खाली छोड़कर) बनाए जाने चाहिए।
- आधुनिक उपकरणों का इस्तेमाल: आग बुझाने के लिए आधुनिक तकनीक और उपकरणों का उपयोग किया जाना चाहिए।
- स्थायी निगरानी प्रणाली: जंगलों में आग का पता लगाने और तुरंत कार्रवाई के लिए निगरानी प्रणाली स्थापित की जानी चाहिए।
कुल्लू की यह आग हिमालयी क्षेत्र में बढ़ते पर्यावरणीय संकट का संकेत है। इसे नियंत्रित करने के लिए स्थानीय प्रशासन और समुदायों को मिलकर काम करना होगा।