भद्राद्री कोठागुडेम जिले में बाघ के आने की आशंका के चलते गुरुवार को हाई अलर्ट जारी किया गया था। शुक्रवार को वन अधिकारियों ने बताया कि बाघ ने अपना रास्ता बदलकर अब एटुरुनगरम के जंगलों से मनुगुर के जंगलों की ओर रुख कर लिया है।
वन अधिकारी का बयान
मनुगुर के डिविजनल फॉरेस्ट ऑफिसर एसडी मकसूद ने बताया कि यह नर बाघ हर साल दिसंबर में प्रजनन (मेटिंग) के लिए यहां के जंगलों में आता है। उन्होंने कहा, “पिछले 10 वर्षों के बाघों की गतिविधियों पर नजर डालें, तो इस बाघ ने अब तक किसी इंसान पर हमला नहीं किया है।”
मकसूद ने कहा कि गांव वालों को सतर्क किया गया है और उनसे आग्रह किया गया है कि वे अपने मवेशियों को जंगल में न भेजें। उन्होंने यह भी बताया कि मेटिंग के बाद यह बाघ छत्तीसगढ़ के जंगलों में चला जाता है।
बाघ के हमले की संभावना
मकसूद ने कहा, “हमें संदेह है कि बाघ मनुगुर डिविजन के बय्यारम रेंज में प्रवेश कर चुका है। ऐसे में मवेशियों और अन्य जानवरों पर बाघ के हमले की संभावना अधिक है।”
गांव वालों में डर का माहौल
मनुगुर जंगल क्षेत्र के निवासियों में बाघ को लेकर डर का माहौल है। वे वन अधिकारियों से अपील कर रहे हैं कि बाघ को उनके और उनके मवेशियों को नुकसान पहुंचाने से रोका जाए।
सूत्रों के अनुसार, इस डर के चलते कई कृषि मजदूर खेतों में काम करने से इनकार कर रहे हैं।
सावधानी के उपाय
वन विभाग ने गांव वालों को यह सलाह दी है:
- रात के समय जंगल के आसपास जाने से बचें।
- मवेशियों को जंगल में न चराने भेजें।
- बाघ की मौजूदगी पर तुरंत वन अधिकारियों को सूचना दें।
वन विभाग बाघ की गतिविधियों पर नजर बनाए हुए है और इसे सुरक्षित तरीके से जंगलों में भेजने की कोशिश कर रहा है। अधिकारियों का कहना है कि लोगों को घबराने की जरूरत नहीं है, लेकिन सतर्कता जरूरी है।