21 मई 2025: हर साल 21 मई को विश्व भर में अंतरराष्ट्रीय चाय दिवस मनाया जाता है, जो चाय की सांस्कृतिक, आर्थिक और स्वास्थ्य संबंधी महत्ता को रेखांकित करता है। यह दिन चाय की खेती, टिकाऊ उत्पादन और चाय उत्पादकों के कल्याण पर ध्यान केंद्रित करता है। आइए, चाय के इतिहास, खेती, लाभ और जोखिमों पर नजर डालें।
चाय का इतिहास
चाय की उत्पत्ति 2737 ईसा पूर्व में चीन से मानी जाती है, जब सम्राट शेन नुंग ने कैमेलिया सिनेंसिस की पत्तियों से बने पेय की खोज की। शुरुआत में औषधि के रूप में उपयोग होने वाली चाय टैंग राजवंश में सामाजिक पेय बनी।
8वीं सदी में लू यू की चाय जिंग ने चाय की कला को लोकप्रिय बनाया। बौद्ध भिक्षुओं ने इसे जापान और कोरिया पहुंचाया। 17वीं सदी में यूरोप और 19वीं सदी में भारत में ब्रिटिशों द्वारा असम और दार्जिलिंग में चाय की खेती शुरू हुई।
आज चाय पानी के बाद सबसे अधिक खपत वाला पेय है, जो जापान के चानोयु, भारत की मसाला चाय और ब्रिटेन की आफ्टरनून टी जैसी परंपराओं में समाया है।
चाय की खेती
कैमेलिया सिनेंसिस उष्णकटिबंधीय और उप-उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में उगता है। 2019 में वैश्विक चाय उत्पादन 64.97 लाख मीट्रिक टन था, जिसमें चीन (42.9%) और भारत (21.4%) अग्रणी थे।
भारत में असम, दार्जिलिंग, नीलगिरी और कांगड़ा प्रमुख क्षेत्र हैं। चाय की खेती के लिए 10-30 डिग्री सेल्सियस और 1250-2500 मिमी वर्षा उपयुक्त है। जलवायु परिवर्तन इस उद्योग के लिए चुनौती है। चाय की खेती लाखों छोटे किसानों की आजीविका का आधार है और सतत विकास लक्ष्यों में योगदान देती है।
चाय के स्वास्थ्य लाभ
- हृदय स्वास्थ्य: हरी और काली चाय रक्तचाप और कोलेस्ट्रॉल कम कर सकती हैं।
- कैंसर रोकथाम: हरी चाय के एंटीऑक्सिडेंट्स कुछ कैंसर के जोखिम को कम कर सकते हैं।
- वजन प्रबंधन: हरी चाय चयापचय को बढ़ाती है।
- मानसिक स्वास्थ्य: एल-थियानाइन तनाव कम करता है और मस्तिष्क कार्यों को बेहतर बनाता है।
- हाइड्रेशन: चाय शरीर को हाइड्रेट रखती है और पाचन में मदद करती है।
चाय के जोखिम
- कैफीन: अधिक चाय से अनिद्रा और चिंता हो सकती है।
- आयरन अवशोषण: टैनिन आयरन अवशोषण को कम कर सकते हैं।
- फ्लोराइड और ऑक्सलेट: अधिक फ्लोराइड से हड्डी-दांतों को नुकसान, और ऑक्सलेट से किडनी स्टोन का खतरा।
- कीटनाशक: गैर-जैविक चाय में कीटनाशक अवशेष हो सकते हैं।
अंतरराष्ट्रीय चाय दिवस का महत्व
2019 में संयुक्त राष्ट्र ने इस दिन को मान्यता दी, जो चाय उद्योग के आर्थिक और सांस्कृतिक योगदान को बढ़ावा देता है। यह छोटे किसानों के लिए बेहतर मजदूरी और कार्य परिस्थितियों की वकालत करता है।
भारत में, जहां प्रति व्यक्ति 750 ग्राम चाय खपत होती है, यह दिन नवाचार और टिकाऊ खेती को प्रोत्साहित करता है।