हर साल 22 मई को मनाया जाने वाला अंतर्राष्ट्रीय जैव विविधता दिवस (आईडीबी) जैव विविधता के महत्व को रेखांकित करने और इसके संरक्षण की तत्काल आवश्यकता पर ध्यान केंद्रित करने का एक वैश्विक मंच प्रदान करता है।
इस वर्ष 2025 की थीम “प्रकृति के साथ सामंजस्य और सतत विकास” है, जो जैव विविधता संरक्षण को सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) और कुनमिंग-मॉन्ट्रियल वैश्विक जैव विविधता ढांचे (केएमजीबीएफ) के साथ जोड़ने पर जोर देती है। यह थीम 2030 एजेंडा और वैश्विक जैव विविधता लक्ष्यों के बीच गहरे संबंध को दर्शाती है, जो मानवता और ग्रह की भलाई के लिए एकजुट प्रयासों की आवश्यकता को उजागर करती है।
जैव विविधता का महत्व और चुनौतियां
जैव विविधता केवल पौधों, जानवरों और सूक्ष्मजीवों की प्रजातियों की विविधता तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें प्रजातियों के भीतर आनुवंशिक विविधता और पारिस्थितिकी तंत्रों, जैसे जंगल, झीलें, और रेगिस्तान, की विविधता भी शामिल है। यह स्वच्छ हवा, पानी, मिट्टी की उर्वरता, जलवायु नियंत्रण और परागण जैसी महत्वपूर्ण पारिस्थितिकी सेवाएं प्रदान करती है।
वैश्विक स्तर पर करीब तीन अरब लोग अपनी 20% पशु प्रोटीन की आवश्यकता मछलियों से पूरी करते हैं, 80% से अधिक भोजन पौधों से प्राप्त होता है, और विकासशील देशों में 80% लोग पारंपरिक पौधों पर आधारित दवाओं पर निर्भर हैं।
हालांकि, मानवजनित गतिविधियां जैसे आवास विनाश, प्रदूषण, जलवायु परिवर्तन और प्राकृतिक संसाधनों का अत्यधिक दोहन जैव विविधता को तेजी से नष्ट कर रहे हैं। आंकड़ों के अनुसार, भूमि आधारित पर्यावरण का 75% और समुद्री पर्यावरण का 66% हिस्सा मानवीय गतिविधियों से प्रभावित हो चुका है। वर्तमान में 10 लाख से अधिक पशु और पौधों की प्रजातियां विलुप्त होने के कगार पर हैं।
जैव विविधता का यह नुकसान न केवल पर्यावरण के लिए, बल्कि मानव स्वास्थ्य के लिए भी खतरा है, क्योंकि यह जूनोसिस (जानवरों से मनुष्यों में फैलने वाली बीमारियां) के प्रसार को बढ़ा सकता है। इसके विपरीत, जैव विविधता का संरक्षण कोरोनावायरस जैसी महामारियों से लड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
आईडीबी का इतिहास
अंतर्राष्ट्रीय जैव विविधता दिवस की स्थापना 1993 में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा की गई थी, जब 1992 में रियो डी जेनेरियो में आयोजित पृथ्वी शिखर सम्मेलन में जैव विविधता पर कन्वेंशन (सीबीडी) को अपनाया गया था। शुरुआत में यह दिवस 29 दिसंबर को मनाया जाता था, लेकिन वर्ष 2000 में इसे सीबीडी की स्वीकृति तिथि के उपलक्ष्य में 22 मई को स्थानांतरित कर दिया गया।
आईडीबी 2025 का उद्देश्य
आईडीबी 2025 का मुख्य लक्ष्य लोगों को जैव विविधता के महत्व के बारे में जागरूक करना और इसके संरक्षण के लिए वैश्विक कार्रवाई को प्रोत्साहित करना है। यह दिवस सतत विकास और जैव विविधता संरक्षण के बीच गहरे संबंध को रेखांकित करता है, जो ग्रह और मानवता के भविष्य के लिए महत्वपूर्ण है। यह लोगों को यह समझने के लिए प्रेरित करता है कि जैव विविधता का नुकसान मानवता के लिए भी एक बड़ा खतरा है।
आह्वान: प्रकृति के साथ सामंजस्य
जैव विविधता हमारी सभ्यता का आधार है, और इसके संरक्षण के बिना सतत विकास संभव नहीं है। अंतर्राष्ट्रीय जैव विविधता दिवस 2025 हमें याद दिलाता है कि प्रकृति के साथ सामंजस्य स्थापित करके और सतत विकास लक्ष्यों को अपनाकर हम एक स्वस्थ और समृद्ध भविष्य सुनिश्चित कर सकते हैं। यह समय है कि हम व्यक्तिगत और सामूहिक स्तर पर जैव विविधता के संरक्षण के लिए ठोस कदम उठाएं और अपने ग्रह की रक्षा करें।
हम क्या कर सकते हैं?
- जागरूकता फैलाएं: स्थानीय समुदायों और सोशल मीडिया के माध्यम से जैव विविधता के महत्व को साझा करें।
- सतत जीवनशैली अपनाएं: जैविक उत्पादों का उपयोग करें, प्लास्टिक का उपयोग कम करें और ऊर्जा संरक्षण को बढ़ावा दें।
- स्थानीय संरक्षण प्रयासों में भाग लें: वृक्षारोपण, वन्यजीव संरक्षण और स्वच्छता अभियानों में शामिल हों।
- नीतिगत समर्थन: सरकारों और संगठनों से जैव विविधता संरक्षण के लिए मजबूत नीतियों का समर्थन करें।
अंतर्राष्ट्रीय जैव विविधता दिवस 2025 हमें एकजुट होकर ग्रह की जैव विविधता को संरक्षित करने और सतत भविष्य की दिशा में कदम उठाने का अवसर प्रदान करता है। आइए, हम सब मिलकर प्रकृति के साथ सामंजस्य स्थापित करें और अपने ग्रह को हरा-भरा और जीवंत बनाए रखें।