Injured Elephant : शुक्रवार को अथिराप्पिल्ली के पास एक गंभीर रूप से घायल हाथी का सफलतापूर्वक इलाज किया गया और उसे वापस जंगल में छोड़ दिया गया। यह ऑपरेशन प्लांटेशन कॉर्पोरेशन के रबर एस्टेट के पहले ब्लॉक में हुआ और इसका नेतृत्व मुख्य पशु चिकित्सा सर्जन डॉ. अरुण ज़कारिया ने किया।
तीन दिन तक चला रेस्क्यू ऑपरेशन
रेस्क्यू ऑपरेशन बुधवार को शुरू हुआ। पहले दिन जब हाथी को ढूंढने की कोशिश की गई, तो वह जंगल के और अंदर चला गया। इसके बाद दूसरे दिन टीम की संख्या 20 से बढ़ाकर 50 कर दी गई। ड्रोन्स का भी इस्तेमाल किया गया, लेकिन उस दिन हाथी को नहीं ढूंढा जा सका।
तीसरे दिन, हाथी को वेट्टिलाप्पारा 14 के पास देखा गया। उस समय वह दो अन्य हाथियों के साथ था और उसके सिर के घाव से मवाद निकल रहा था। टीम ने पहले उसे समूह से अलग किया और फिर डॉ. अरुण ज़कारिया ने चार ट्रैंक्विलाइजर डार्ट्स का उपयोग कर उसे शांत किया।
इलाज और देखभाल
हाथी को शांत करने के बाद उसकी निगरानी 30 मिनट तक की गई। गर्मी से बचाने के लिए उसके शरीर पर पानी डाला गया। डॉक्टरों ने सीढ़ी का इस्तेमाल कर सिर के गहरे घाव की सफाई की, मवाद निकाला और एंटीबायोटिक्स दिए। घाव लगभग तीन सप्ताह पुराना था और बेहद गंभीर स्थिति में था। इसके साथ एक मामूली चोट भी थी।
डॉ. अरुण ज़कारिया ने बताया कि जांच के दौरान हाथी के शरीर में कोई धातु का टुकड़ा नहीं मिला, जिससे यह साफ हुआ कि यह गोली लगने का मामला नहीं था। घाव हाथियों के आपसी लड़ाई में लगा था।
इलाज के बाद जंगल में वापसी
इलाज के बाद जब हाथी को होश आया, तो वह कुछ समय वहीं रुका और फिर जंगल की ओर चला गया। हाथी की उम्र करीब 35 साल है और उसकी हालत कमजोर है। डॉक्टरों की टीम अगले कुछ दिनों तक उसकी स्थिति पर नजर रखेगी।
समय पर हुई मदद से बची जान
टीम की तत्परता और डॉ. अरुण ज़कारिया के नेतृत्व में हाथी को सही समय पर इलाज मिला। यह ऑपरेशन पर्यावरण संरक्षण और वन्यजीवों की देखभाल का एक शानदार उदाहरण है।