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फरवरी में महंगाई की मार: चीनी, दूध और तेल के दाम बढ़े, जानिए वजह

by kishanchaubey
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नई दिल्ली: जनवरी में थोड़ी राहत के बाद फरवरी में खाद्य वस्तुओं की कीमतों में फिर से तेजी देखी गई है। खासतौर पर चीनी, डेयरी उत्पाद और खाद्य तेलों के दामों में बड़ा उछाल आया है। यह सिर्फ भारत में ही नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी खाद्य कीमतें बढ़ रही हैं

संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन (FAO) द्वारा जारी रिपोर्ट के मुताबिक, फरवरी 2025 में खाद्य मूल्य सूचकांक (FPI) 127.1 अंक पर पहुंच गया, जो जनवरी की तुलना में 1.6% अधिक है। पिछले साल की तुलना में यह 8.2% ज्यादा है।

कीमतों में बढ़ोतरी क्यों हुई?

1. चीनी के दाम में जबरदस्त उछाल (6.6% वृद्धि)

  • भारत और ब्राजील में खराब मौसम के कारण चीनी उत्पादन में गिरावट आई।
  • वैश्विक बाजार में चीनी की आपूर्ति में कमी दर्ज की गई।
  • इसी कारण फरवरी में चीनी मूल्य सूचकांक 118.5 अंक तक पहुंच गया, जो तीन महीने की गिरावट के बाद अचानक बढ़ा है।

2. दूध और डेयरी उत्पाद महंगे (4% वृद्धि)

  • प्रमुख निर्यातक देशों में दूध और डेयरी उत्पादों की मांग ज्यादा रही, लेकिन आपूर्ति सीमित रही।
  • इस वजह से डेयरी मूल्य सूचकांक 148.7 अंक तक पहुंच गया

3. खाद्य तेलों के दाम बढ़े (2% वृद्धि)

  • वनस्पति तेल मूल्य सूचकांक फरवरी में 156 अंक पर पहुंच गया, जो जनवरी से 2% और पिछले साल फरवरी से 29.1% अधिक है।
  • दक्षिण पूर्व एशिया में पाम, सोया और सूरजमुखी तेल की आपूर्ति में रुकावट आई।
  • बायोडीजल उद्योग की मजबूत मांग ने भी कीमतों को और बढ़ाया।

4. गेहूं और अनाज भी महंगे हुए

  • रूस में गेहूं उत्पादन में कमी आई, जिससे अंतरराष्ट्रीय बाजार में मांग बढ़ी।
  • यूरोप, अमेरिका और रूस में खराब फसल की आशंका से कीमतों में तेजी आई।
  • फरवरी में अनाज मूल्य सूचकांक 112.6 अंक पर पहुंच गया, जो जनवरी से 0.7% अधिक है।

महंगाई कब थमेगी?

विशेषज्ञों का मानना है कि अगले कुछ महीनों तक खाद्य कीमतों में गिरावट की संभावना कम है। भारत में मानसून और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला इस पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकते हैं।

सरकार क्या कदम उठा रही है?

  • क्या सरकार महंगाई को रोकने के लिए कोई ठोस नीति बनाएगी?
  • क्या चीनी, दूध और तेल के दाम और बढ़ सकते हैं?
  • आम जनता को राहत कब मिलेगी?

इन सवालों के जवाब आने वाले समय में सामने आ सकते हैं। तब तक उपभोक्ताओं को सतर्क रहकर अपने बजट को संतुलित करने की जरूरत है।

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