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WWF की रिपोर्ट में भारत की जीत, खाद्य खपत पैटर्न बना पर्यावरण सुरक्षा की मिसाल

by kishanchaubey
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क्लाइमेट चेंज के मुद्दे पर पूरी दुनिया आज गंभीर रूप से चिंतित है, और इसके प्रभावों को कम करने के लिए विभिन्न उपायों पर काम हो रहा है। इस संदर्भ में, खाद्य खपत पैटर्न का क्लाइमेट चेंज से सीधा संबंध है। इसमें जरूरी बदलाव कर हम जलवायु परिवर्तन के खतरों को कम कर सकते हैं। इस दिशा में, भारत ने वैश्विक स्तर पर एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है।

वर्ल्ड वाइड फंड फॉर नेचर (WWF) द्वारा जारी की गई लिविंग प्लैनेट रिपोर्ट के अनुसार, भारत की खाद्य खपत प्रणाली दुनिया की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं (G20 देशों) में सबसे स्थिर और पर्यावरण के लिए सबसे कम हानिकारक है। रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि यदि बाकी देश भारत जैसी खाद्य खपत प्रणाली अपनाएं, तो 2050 तक जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को काफी हद तक कम किया जा सकता है।

भारत का खाद्य खपत पैटर्न: पर्यावरण के लिए सुरक्षित

भारत का खाद्य खपत पैटर्न अन्य देशों से अलग और अधिक पर्यावरणीय अनुकूल है। भारत में अनाज, दालों और पारंपरिक पोषक अनाज जैसे मिलेट, ज्वार और बाजरे का उपयोग अधिक होता है। ये अनाज न केवल स्वास्थ्य के लिए लाभदायक हैं बल्कि जलवायु परिवर्तन के अनुकूल भी हैं। इनका उत्पादन कम पानी, कम रासायनिक उर्वरक और कम भूमि उपयोग के साथ होता है, जिससे पर्यावरण पर कम दबाव पड़ता है।

मिलेट मिशन की सराहना

WWF की रिपोर्ट में भारत के राष्ट्रीय मिलेट अभियान की विशेष सराहना की गई है। इस अभियान का उद्देश्य पोषक अनाजों का उत्पादन और सेवन बढ़ाना है। मिलेट्स को जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के लिए अत्यधिक लचीला और पर्यावरणीय दृष्टि से सुरक्षित माना जाता है। ये अनाज अधिक मौसम परिवर्तनशीलता, सूखा और कम जलवायु परिस्थितियों में भी उगाए जा सकते हैं।

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खेती में बदलाव की जरूरत

रिपोर्ट में यह बताया गया है कि यदि दुनिया के सभी देश भारत जैसी खाद्य खपत प्रणाली अपनाते हैं, तो वैश्विक खाद्य उत्पादन के लिए केवल “0.84 पृथ्वी” की जरूरत होगी। इसका मतलब यह है कि भारत का खाद्य खपत पैटर्न जलवायु सीमा के अंदर रहता है और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने में सबसे प्रभावी है। वहीं, अन्य बड़ी अर्थव्यवस्थाओं जैसे अर्जेंटीना, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया का खाद्य खपत पैटर्न अत्यधिक अस्थिर और पर्यावरण के लिए हानिकारक माना गया है।

दुनिया को भारत से सीखने की जरूरत

WWF की लिविंग प्लैनेट रिपोर्ट इस बात को साफ करती है कि भारत का खाद्य खपत पैटर्न जलवायु संकट को कम करने और पर्यावरण की रक्षा करने के लिए एक आदर्श मॉडल हो सकता है। भारत के मिलेट अभियान और पोषक अनाजों का प्रचार स्वास्थ्य और पर्यावरणीय लाभों को बढ़ावा देने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। अगर बाकी दुनिया भी भारत की तरह अपनी खाद्य खपत प्रणाली को स्थिर और पर्यावरण के अनुकूल बनाए, तो जलवायु परिवर्तन के खतरों को सीमित किया जा सकता है।

खाद्य खपत पैटर्न और पृथ्वी की जरूरत (वैश्विक तुलना):

  • भारत: 0.84 (सबसे स्थिर पैटर्न)
  • इंडोनेशिया: 0.9
  • चीन: 1.7
  • अर्जेंटीना: 7.4 (सबसे अस्थिर पैटर्न)

भारत की इस सफलता से दुनिया को प्रेरणा लेनी चाहिए ताकि वैश्विक स्तर पर क्लाइमेट चेंज से निपटा जा सके और पर्यावरणीय सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।

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