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अमूर फाल्कन की अविश्वसनीय यात्रा: भारत से केन्या तक की उड़ान ने खोले प्रवासी पक्षियों के रहस्यों के नए द्वार

by kishanchaubey
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नई दिल्ली: भारत के वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (WII) के वैज्ञानिकों ने अमूर फाल्कन की अद्भुत प्रवासी यात्रा को ट्रैक करने में सफलता हासिल की है। इस परियोजना ने पक्षियों के प्रवासी मार्गों और उनकी अद्भुत सहनशक्ति पर नई जानकारियां उजागर की हैं।

‘चिउलुआन 2’ की अद्भुत यात्रा

मणिपुर के तामेंगलोंग जिले में रेडियो टैग किए गए इस नर अमूर फाल्कन, जिसे ‘चिउलुआन 2’ नाम दिया गया है, ने हजारों किलोमीटर की यात्रा पूरी कर ली है। यह पक्षी वर्तमान में केन्या के त्सावो ईस्ट नेशनल पार्क की ओर बढ़ रहा है।

यह परियोजना 2018 में केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के तहत शुरू हुई थी। इसका उद्देश्य इन पक्षियों के जटिल प्रवासी मार्गों का दस्तावेजीकरण करना है।

यात्रा की मुख्य बातें

  • रेडियो टैगिंग और रिहाई:
    वैज्ञानिकों ने 12 अक्टूबर को मणिपुर में ‘चिउलुआन 2’ और एक मादा पक्षी ‘गुआंग्राम’ को पकड़ा। 8 नवंबर को सैटेलाइट ट्रांसमीटर के साथ उन्हें छोड़ा गया।
  • यात्रा का मार्ग:
    ‘चिउलुआन 2’ ने अपनी यात्रा मणिपुर से शुरू की। 15 नवंबर को यह उड़ीसा के तटीय क्षेत्र में पहुंचा, फिर महाराष्ट्र होते हुए अरब सागर पार कर सोमालिया और उसके बाद केन्या में प्रवेश किया।
  • अमूर फाल्कन का जीवनचक्र:
    ये छोटे शिकारी पक्षी हर साल लगभग 14,500 किलोमीटर की प्रवास यात्रा करते हैं। ये दक्षिण-पूर्वी साइबेरिया और उत्तरी चीन में प्रजनन करते हैं और सर्दियों के लिए दक्षिण और पूर्व अफ्रीकी तटों पर चले जाते हैं। अपनी लंबी यात्रा के दौरान ये लगभग 45 दिन पूर्वोत्तर भारत में बिताते हैं, जहां वे अपनी ऊर्जा को फिर से भरते हैं।

पर्यावरण और स्वास्थ्य पर प्रभाव

  1. पर्यावरण पर प्रभाव:
    • पारिस्थितिकी संतुलन: अमूर फाल्कन प्रवासी पक्षी हैं, जो कीटों को नियंत्रित कर पर्यावरण संतुलन बनाए रखते हैं।
    • वेटलैंड्स का महत्व: इन पक्षियों का संरक्षण जल निकायों और वेटलैंड्स को संरक्षित करने की जरूरत को रेखांकित करता है।
  2. स्वास्थ्य पर प्रभाव:
    • पोलिनेशन और खाद्य सुरक्षा: पक्षी परागण में मदद करते हैं, जिससे फसलों की पैदावार बढ़ती है।
    • जैव विविधता संरक्षण: इन पक्षियों का संरक्षण हमारी जैव विविधता को बनाए रखने के लिए जरूरी है।

वैज्ञानिक महत्व

डॉ. सुरेश कुमार (WII) ने बताया कि यह परियोजना लंबी दूरी तक प्रवास करने वाले पक्षियों की समझ को बेहतर बनाने और उनके संरक्षण की रणनीतियों में मदद करेगी। अमूर फाल्कन की यात्रा हमें उनकी अद्भुत नेविगेशन क्षमता और पर्यावरण में उनके योगदान को समझने का मौका देती है।

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भविष्य की योजना

शोधकर्ता इन पक्षियों के प्रवास मार्गों के बारे में और भी जानकारी जुटाने और उनके जीवन के अन्य पहलुओं को समझने के लिए नए उपकरण और तकनीकों का उपयोग करने की योजना बना रहे हैं।

अमूर फाल्कन की यात्रा एक याद दिलाती है कि कैसे प्रकृति के ये छोटे योद्धा विशाल भूभागों को पार कर अपनी जीवटता का परिचय देते हैं। इनकी सुरक्षा और संरक्षण न केवल जैव विविधता बल्कि मानवता के अस्तित्व के लिए भी महत्वपूर्ण है।

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