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जंगलों में आग से बढ़ा कार्बन उत्सर्जन: जलवायु परिवर्तन और पर्यावरण के लिए गंभीर खतरा

by reporter
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जंगल न केवल पर्यावरण और जैवविविधता को बनाए रखते हैं, बल्कि कार्बन सिंक के रूप में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। यह जंगल वातावरण से कार्बन डाइऑक्साइड (CO₂) अवशोषित करते हैं, जिससे ग्लोबल वार्मिंग को नियंत्रित करने में मदद मिलती है। लेकिन हाल के दशकों में जंगलों में आग लगने की घटनाएं तेजी से बढ़ी हैं, जिससे उनकी कार्बन सिंक के रूप में काम करने की क्षमता घटती जा रही है। यह स्थिति जलवायु परिवर्तन के लिहाज से बेहद चिंताजनक है।

एक नए अध्ययन के अनुसार, 2001 से अब तक जंगलों में आग से होने वाले कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन में 60% की वृद्धि हुई है। खासकर उत्तरी बोरियल वनों में, यह उत्सर्जन तीन गुना तक बढ़ गया है। यह अध्ययन यूनिवर्सिटी ऑफ ईस्ट एंग्लिया के नेतृत्व में किया गया और इसे अंतरराष्ट्रीय जर्नल साइंस में प्रकाशित किया गया है।

जंगल की आग और CO₂ उत्सर्जन में वृद्धि
शोधकर्ताओं ने जंगलों में आग के बढ़ते पैटर्न का विश्लेषण करते हुए दुनिया को अलग-अलग ‘पाइरोम्स’ में वर्गीकृत किया है। पाइरोम्स वे क्षेत्र हैं जहां आग लगने के पर्यावरणीय, मानवजनित और जलवायु संबंधी कारक एक समान होते हैं। अध्ययन से यह पता चला है कि यूरेशिया और उत्तरी अमेरिका के बोरियल वनों में आग से होने वाले उत्सर्जन में 2001 से 2023 के बीच तीन गुना बढ़ोतरी हुई है। इन क्षेत्रों में हर साल करीब 50 करोड़ टन अतिरिक्त CO₂ का उत्सर्जन हो रहा है, जो उष्णकटिबंधीय जंगलों के बाहर के क्षेत्रों में भी तेजी से फैल रहा है।

आग लगने की घटनाओं में वृद्धि के कारण
अध्ययन के अनुसार, आग से होने वाला यह उत्सर्जन मुख्य रूप से जलवायु परिवर्तन से जुड़ा है। सूखा और लू के दौरान गर्म और शुष्क मौसम की वजह से आग की घटनाओं में वृद्धि हो रही है। इसके साथ ही वनस्पति का बढ़ना भी आग को तेज करने वाला कारक बन रहा है। खासकर उत्तरी क्षेत्रों में जहां तापमान वैश्विक औसत से दोगुनी गति से बढ़ रहा है, वहां आग की घटनाएं ज्यादा हो रही हैं।

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शोधकर्ताओं ने यह भी पाया कि पिछले दो दशकों में न केवल आग लगने की घटनाओं में वृद्धि हुई है, बल्कि उनकी गंभीरता भी बढ़ी है। संयुक्त राष्ट्र ने अपनी रिपोर्ट में चेतावनी दी है कि इस सदी के अंत तक तापमान बढ़ने के साथ जंगलों में आग लगने की घटनाओं में 50% तक की वृद्धि हो सकती है।

कार्बन उत्सर्जन और दहन दर में वृद्धि
अध्ययन से यह भी सामने आया है कि आग लगने से प्रति इकाई क्षेत्र में 50% अधिक CO₂ उत्सर्जित हो रहा है। जंगलों में लगने वाली आग अब तेजी से बढ़ रही है और उसका प्रभाव इतना गहरा हो गया है कि जंगलों की बहाली से भी उसे संतुलित नहीं किया जा सकता।

उष्णकटिबंधीय सवाना के बाहर के जंगलों में भी आग से होने वाले उत्सर्जन में वृद्धि हुई है। उदाहरण के तौर पर, ये जंगल अब 20 साल पहले की तुलना में 50 करोड़ टन अधिक CO₂ उत्सर्जित कर रहे हैं। हालांकि, सवाना के घास के मैदानों में आग लगने की घटनाएं कम हुई हैं, लेकिन जंगलों में लगने वाली आग का प्रभाव कहीं ज्यादा गंभीर और लंबे समय तक रहने वाला है।

जंगलों की आग का पर्यावरण और स्वास्थ्य पर प्रभाव
जंगलों में लगने वाली आग से न केवल पेड़-पौधे और वन्यजीव प्रभावित होते हैं, बल्कि इसका सीधा प्रभाव वायु गुणवत्ता और मानव स्वास्थ्य पर भी पड़ता है। आग के धुएं से अस्थमा, फेफड़ों के संक्रमण और हृदय रोग जैसी बीमारियां बढ़ती हैं। साथ ही यह धुआं दूर-दराज के क्षेत्रों में भी वायु गुणवत्ता को खराब कर देता है, जिससे उन क्षेत्रों के लोगों के लिए भी स्वास्थ्य जोखिम बढ़ जाता है।

जंगलों का संरक्षण और उनका महत्व
जंगलों का संरक्षण बेहद जरूरी है, क्योंकि ये जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए अहम हैं। जितने ज्यादा पेड़ होंगे, उतनी ही अधिक मात्रा में कार्बन वातावरण से हटाया जा सकेगा, जिससे ग्लोबल वार्मिंग की गति धीमी होगी।

संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन (FAO) की एक रिपोर्ट के अनुसार, 1990 से अब तक दुनिया भर के करीब 17.8 करोड़ हेक्टेयर जंगल खत्म हो चुके हैं। यदि इस अनुपात को देखा जाए, तो अब प्रति व्यक्ति केवल 0.52 हेक्टेयर जंगल ही बचा है।

आग से जंगलों के संरक्षण की चुनौती
जंगलों में लगने वाली आग और बढ़ते CO₂ उत्सर्जन से बचने के लिए स्थायी वन प्रबंधन और स्थानीय समुदायों के सहयोग से प्रयास करने की जरूरत है। जंगलों में लगने वाली आग को रोकने और उनके बहाल होने की प्रक्रिया को तेज करने के लिए जलवायु परिवर्तन के प्रमुख कारणों से निपटना अनिवार्य हो गया है, जैसे कि जीवाश्म ईंधन से होने वाला उत्सर्जन।

इस अध्ययन ने साबित कर दिया है कि जंगलों में आग का बढ़ता खतरा और उसका प्रभाव मानव और पर्यावरण दोनों के लिए गंभीर खतरा है। ऐसे में जरूरी है कि जागरूकता फैलाने के साथ-साथ ठोस कदम उठाए जाएं ताकि जंगलों की आग से होने वाले नुकसान को कम किया जा सके और पर्यावरण को बचाया जा सके।

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