असम में अभी तक सात लोगों की मौत 40 डिग्री की गर्मी के कारण हो चुकी है, लेकिन इस तापमान को कुछ मोबाइल फोन एप्लीकेशन ’50 डिग्री जैसा महसूस’ बता रहे हैं। असम के निवासियों के लिए संकट यह है कि असामान्य रूप से उच्च तापमान के कारण रात में ठंडक नहीं मिल रही है।
भारत के पूर्वोत्तर राज्यों के लोग पिछले कुछ दिनों से इस ‘हीट डोम इफेक्ट’ से जूझ रहे हैं। हीट डोम इफेक्ट एक प्रकार की उच्च-दबाव प्रणाली (जिसे प्रति-चक्रवात भी कहा जाता है) है, जो वायुमंडल में एक बड़े क्षेत्र में बनती है, तथा अत्यंत गर्म और शुष्क मौसम की स्थिति उत्पन्न करती है।
विशेषज्ञों के अनुसार, मॉनसून का कमजोर परिसंचरण, मिट्टी की नमी में कमी, सूर्य के प्रकाश के अत्यधिक संपर्क के अलावा भारी वनों की कटाई और औद्योगिक गतिविधियों का विस्तार जैसे स्थानीय कारणों से असम में एक सप्ताह से हीट डोम का प्रभाव बना हुआ है।
विशेषज्ञों ने आगे बताया, “आमतौर पर पूर्वोत्तर क्षेत्र में हवा का संचार क्षेत्र को ठंडा रखता है। बंगाल की खाड़ी से आने वाला यह संचार क्षेत्र कम गति की हवाओं के साथ क्षेत्र से टकराता है, जो आवश्यक नमी प्रदान करता है, जिससे सितंबर के पूरे महीने में बारिश के छोटे-छोटे दौर चलते हैं। “
इस साल हमने देखा कि परिसंचरण पूरी तरह से नदारद रहा और इसकी जगह असम और आसपास के राज्यों में एक उच्च दबाव प्रणाली सक्रिय है। मिट्टी की नमी एक और वजह है जो आम तौर पर रात के समय ठंडा प्रभाव डालती है। लेकिन इस साल हमने मिट्टी की नमी की अनुपस्थिति भी देखी, जिसके कारण रात के समय तापमान अधिक रहा है। क्षेत्र के ऊपर वायु परिसंचरण के इस आधार पर कहा जाता है कि यहां हीट-डोम प्रभाव का बना हुआ है।
मॉनसून परिसंचरण की अनुपस्थिति का कारण गल्फ स्ट्रीम का कमजोर होना माना जा सकता है। यह उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में वायुमंडलीय परिसंचरण को नियंत्रित करने वाली जेट धाराओं में से एक है। विशेषज्ञ इसके लिए जलवायु परिवर्तन को भी एक कारण मानते हैं और आगे भी इस तरह के खतरे की आशंका जताते हैं।
विशेषज्ञों के अनुसार पूरे क्षेत्र में जंगलों की कटाई, क्षेत्र में तेजी से औद्योगिकीकरण और शहरी गर्म द्वीपों जैसे स्थानीय कारकों ने भी गर्मी को बढ़ाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। पिछले दो दशकों में असम नेखो गया में 2,690 वर्ग किलोमीटर से अधिक वन क्षेत्र विभिन्न मानवजनित गतिविधियों के कारण प्रभावित हुए हैं।हैं।
हीट स्ट्रोक के कारण मृत्यु
जैसा कि मौसम की अनिश्चितता के मामले में होता है, असम में चल रही भीषण गर्मी का सबसे बुरा असर समाज के वंचित वर्गों पर पड़ रहा है। 23 सितंबर को 35 वर्षीय दिहाड़ी मजदूर बादल भुइयां ऊपरी असम के डेमो के बंदरमारी भुइयां लाइन में अपने घर पहुंचते ही बेहोश हो गए। भुइयां को डिब्रूगढ़ मेडिकल कॉलेज रेफर किया गया, जहां उसी शाम हीट स्ट्रोक के कारण उनकी मृत्यु हो गई।
इसी तरह जोरहाट कस्बे में लगभग 40 और 55 वर्ष की आयु के दो अज्ञात श्रमिकों की हीट स्ट्रोक के कारण मृत्यु हो गई। जोरहाट में पुलिस अधिकारियों को अभी तक उनकी पहचान का पता नहीं चल पाया है।
24 सितंबर को तेजपुर के भारतीय वायु सेना स्टेशन में संविदा कर्मचारी अनूप कोच (44) घर पहुंचने के बाद बेहोश हो गए और तेजपुर के एक सरकारी अस्पताल में उन्होंने अंतिम सांस ली। वे अपने पीछे पत्नी और दो बच्चों को छोड़ गए।
माजुली के मलाया चापोरी में 27 वर्षीय खेत मजदूर दिबाकर कुली को भी इसी तरह हीट स्ट्रोक का सामना करना पड़ा। स्थानीय पत्रकारों ने बताया कि सरकारी एम्बुलेंस देरी से पहुंची, जिसके कारण उसकी मौत हो गई।
दूसरी ओर, जीबाकांता पेगु (30) को देरगांव बस स्टैंड पर स्ट्रोक के कारण बेहोशी की हालत में अस्पताल ले जाया गया। पेगु को जोरहाट सिविल अस्पताल नहीं ले जाया गया, जहां से उसे रेफर कर दिया गया।
इसके अलावा, डिब्रूगढ़ के मोरन में एक चाय बागान में 20 महिला चाय बागान श्रमिक भी बेहोश हो गईं। स्थानीय श्रमिक यूनियनों और चाय बागान प्रबंधन की त्वरित प्रतिक्रिया के कारण, प्राथमिक उपचार के बाद ये महिलाएं ठीक हो गईं।
राज्य की प्रतिक्रिया
मौजूदा भीषण गर्मी की स्थिति को देखते हुए असम राज्य आपदा प्रबंधन एजेंसी (एएसडीएमए) ने जिला स्वास्थ्य अधिकारियों को एक प्रारूप जारी किया है।
एएसडीएमए की परियोजना अधिकारी (नॉलेज एवं जलवायु परिवर्तन) मंदिरा बुरागोहेन ने बताया, “गर्मी के कारण होने वाली मौतों या किसी भी तरह की स्वास्थ्य स्थिति को स्वास्थ्य विभाग रिकॉर्ड करता है। अत्यधिक गर्मी की स्थिति में होने वाली मौतों को हम रिकॉर्ड नहीं करते हैं। हालांकि, मौजूदा स्थिति को देखते हुए हमने स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के बीच गर्मी के कारण होने वाली किसी भी दुर्घटना को ध्यान में रखने के लिए एक प्रारूप प्रसारित किया है। “