मल्कानगिरी जिले में लगभग 100 एकड़ जंगल की जमीन पर कथित अवैध कब्जा किए जाने की खबर पर वन विभाग ने कार्रवाई का आदेश दिया है। इस जमीन पर ‘इस्लाम नगर’ के नाम से एक नई बस्ती बसाई जा रही है।
यह मामला तब सामने आया जब नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) ने अपने स्तर पर इस मामले को संज्ञान में लिया। आरएसएस के मुखपत्र ‘ऑर्गेनाइज़र’ में 30 सितंबर को प्रकाशित एक रिपोर्ट में दावा किया गया था कि जंगल की इस जमीन पर अवैध रूप से इमारतें, सड़कें और अन्य संरचनाओं का निर्माण किया गया है। रिपोर्ट के मुताबिक, इस बस्ती में सड़क निर्माण, मिट्टी की सड़कों और तार की बाड़ लगाने जैसे कार्य किए गए हैं।
सरकारी योजनाओं के माध्यम से फंडिंग का आरोप
रिपोर्ट में आरोप लगाया गया कि इस निर्माण कार्य के लिए महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (MGNREGA) सहित अन्य सरकारी योजनाओं का दुरुपयोग किया गया। MGNREGA के तहत इस सड़क निर्माण पर करीब 9 लाख रुपये खर्च किए गए हैं। इसके साथ ही, एक बड़ा तालाब खोदा गया है, गोदाम बनाए गए हैं, और ट्रांसफार्मर भी लगाए गए हैं, जो वन संरक्षण अधिनियम 1980 और पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986 का उल्लंघन है।
NGT के आदेश पर जांच का निर्देश
NGT के मुख्य न्यायाधीश प्रकाश श्रीवास्तव, न्यायाधीश अरुण कुमार त्यागी और विशेषज्ञ सदस्य डॉ. ए. सेंथिल वेल की पीठ ने इस मामले में मुख्य वन संरक्षक (PCCF) और मल्कानगिरी के कलेक्टर को नोटिस जारी किया। PCCF देबिदत्ता बिस्वाल के अनुसार, मल्कानगिरी के DFO को स्थल निरीक्षण कर रिपोर्ट देने के लिए कहा गया है।
अवैध निर्माण और स्वास्थ्य पर असर
मल्कानगिरी के कलेक्टर आशीष ईश्वर पाटिल ने बताया कि यह भूमि राजस्व वन और राजस्व भूमि का मिश्रण है। किसी भी प्रकार का घर या अन्य निर्माण करना अवैध है। वर्ष 2022 में किए गए बेदखली आदेश पर उड़ीसा उच्च न्यायालय का स्थगन आदेश जारी है, इसलिए हम अभी अवैध संरचनाओं को हटा नहीं सकते।
साथ ही, इस जमीन पर अवैध रूप से एक दवाई निर्माण इकाई भी चलाई जा रही थी जिसे सील कर दिया गया है क्योंकि यह स्वास्थ्य मानकों के अनुरूप नहीं थी। इन अवैध संरचनाओं को उच्च न्यायालय के आदेश हटने के बाद हटाया जाएगा।
पर्यावरण और स्वास्थ्य पर असर
जंगल की जमीन पर कब्जा और निर्माण कार्य का पर्यावरण पर गहरा प्रभाव पड़ता है। जंगलों का विनाश पर्यावरण संतुलन को बिगाड़ता है, जिससे वायु प्रदूषण, जलवायु परिवर्तन और बाढ़ का खतरा बढ़ता है। इसके अलावा, जंगलों का क्षेत्र घटने से वन्यजीवों के आवास पर भी खतरा मंडराता है। अवैध निर्माण कार्यों से आसपास के क्षेत्रों में स्वास्थ्य समस्याएं भी उत्पन्न हो सकती हैं, जैसे कि पानी और वायु की गुणवत्ता में गिरावट।
इस तरह के अवैध निर्माण को रोकना और जंगलों की सुरक्षा करना, हमारे पारिस्थितिकी तंत्र को संतुलित बनाए रखने और स्वास्थ्य को सुरक्षित रखने के लिए जरूरी है।