आईआईटी-बॉम्बे के वैज्ञानिकों ने “एरोट्रैक” नामक एक पोर्टेबल और कम लागत वाला उपकरण विकसित किया है, जो पानी में मौजूद खतरनाक प्रदूषकों जैसे फिनोल और बेंजीन का पता लगाने में सक्षम है। यह उपकरण औद्योगिक जल प्रदूषण की चुनौती और मौजूदा महंगे व जटिल तरीकों की समस्याओं का समाधान करता है।
कैसे काम करता है एरोट्रैक?
एरोट्रैक में ऐसे प्रोटीन का उपयोग किया गया है, जो प्रदूषित पर्यावरण में मौजूद बैक्टीरिया से लिए गए हैं। यह उपकरण रसायनिक प्रतिक्रिया के माध्यम से प्रदूषकों की पहचान करता है, जिसमें पानी के रंग में बदलाव होता है। इसका मुख्य सेंसर मॉड्यूल “मोपआर” (MopR) है, जो जटिल पर्यावरणीय परिस्थितियों में भी प्रदूषकों का सटीक पता लगाता है।
यह उपकरण बेहद किफायती है, जिसकी कीमत मात्र 50 डॉलर (लगभग 4,000 रुपये) है। इसे ग्रामीण और दूरदराज़ के क्षेत्रों में आसानी से इस्तेमाल किया जा सकता है। शुरुआती परीक्षणों में यह पाया गया कि यह उपकरण कम सांद्रता वाले प्रदूषकों का भी भरोसेमंद तरीके से पता लगा सकता है।
आने वाले समय में वैज्ञानिक इसे और उन्नत बनाने की योजना बना रहे हैं ताकि यह और अधिक प्रकार के प्रदूषकों की पहचान कर सके।
नैनोएंजाइम्स से चिकित्सा क्षेत्र में नई संभावनाएं
वैज्ञानिक अब “नैनोएंजाइम्स” का उपयोग बायोमटीरियल्स को चिकित्सा और जैविक उद्देश्यों के लिए बदलने में कर रहे हैं। नैनोएंजाइम्स कृत्रिम एंजाइम होते हैं, जो प्रोटीन के साथ क्रिया कर विभिन्न कार्यात्मक प्रोटीन बना सकते हैं।
आईआईटी के डॉ. अमित वर्नेकर और उनकी टीम ने मैंगनीज आधारित नैनोएंजाइम का उपयोग कर कोलेजन नामक प्रोटीन को जोड़ने की प्रक्रिया विकसित की है। कोलेजन का उपयोग बायोमटीरियल्स में महत्वपूर्ण संरचनात्मक तत्व के रूप में होता है। इस तकनीक से जैव चिकित्सा क्षेत्र में नई उन्नति की संभावना है।
इको-फ्रेंडली निकेल-टंगस्टन कोटिंग्स
अंतरराष्ट्रीय पाउडर मेटलर्जी और नई सामग्री अनुसंधान केंद्र (ARCI) के वैज्ञानिकों ने एक पर्यावरण-अनुकूल इलेक्ट्रोडिपोज़िशन प्रक्रिया विकसित की है, जो निकेल-टंगस्टन मिश्रधातु परतें बनाती है। यह तकनीक घर्षण और घिसावट के कारण होने वाले नुकसान को कम करती है।
इस प्रक्रिया में परतों की थर्मल डिफ्यूजिटी को संतुलित किया जाता है, जिससे मशीनरी के पुर्जों का जीवनकाल बढ़ता है। यह तकनीक विशेष रूप से ऑटोमोबाइल गियर और अन्य चलायमान यांत्रिक पुर्जों के लिए लाभकारी हो सकती है।
पर्यावरण और स्वास्थ्य पर प्रभाव
- जल प्रदूषण में कमी: एरोट्रैक का उपयोग पानी के प्रदूषकों का आसानी से पता लगाकर उन्हें नियंत्रित करने में मदद करेगा, जिससे जलस्रोत सुरक्षित होंगे।
- स्वास्थ्य लाभ: स्वच्छ पानी की उपलब्धता से जलजनित रोगों में कमी आएगी।
- ऊर्जा संरक्षण: निकेल-टंगस्टन कोटिंग्स के कारण मशीनरी की ऊर्जा खपत कम होगी, जिससे पर्यावरण पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
- चिकित्सा में सुधार: नैनोएंजाइम्स से नई चिकित्सा तकनीकों के विकास से स्वास्थ्य क्षेत्र में क्रांति आ सकती है।
ये सभी शोध न केवल पर्यावरण संरक्षण के लिए महत्वपूर्ण हैं, बल्कि स्वास्थ्य और तकनीकी उन्नति में भी नई संभावनाएं खोलते हैं।