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IIT बॉम्बे के वैज्ञानिकों ने मिट्टी प्रदूषण से निपटने के लिए खोजा नया तरीका

by kishanchaubey
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IIT बॉम्बे के वैज्ञानिकों ने मिट्टी के प्रदूषण को कम करने के लिए एक अनोखा और कारगर समाधान खोजा है। उन्होंने ऐसी बैक्टीरिया प्रजातियों की पहचान की है जो मिट्टी में मौजूद जहरीले रसायनों को खत्म कर देती हैं और इसके साथ ही पौधों की वृद्धि के लिए आवश्यक पोषक तत्व भी प्रदान करती हैं।

प्रमुख बिंदु:

1. शोध का उद्देश्य:

  • इस शोध का मुख्य उद्देश्य ऐसे बैक्टीरिया की खोज करना था, जो मिट्टी में मौजूद खतरनाक रसायनों और प्रदूषकों को खत्म कर सकें।
  • इन बैक्टीरिया का उपयोग मिट्टी में मौजूद कार्बनिक प्रदूषकों को हटाने के लिए किया गया।

2. बैक्टीरिया के लाभ:

  • ये बैक्टीरिया जहरीले रसायनों को सरल और हानिरहित यौगिकों में बदल देते हैं।
  • ये पौधों की वृद्धि को बढ़ावा देते हैं, ग्रोथ हार्मोन को सक्रिय करते हैं, हानिकारक फंगस के विकास को रोकते हैं, और पौधों को आवश्यक पोषक तत्व प्रदान करते हैं।
  • इन बैक्टीरिया के इस्तेमाल से रासायनिक खाद और कीटनाशकों पर निर्भरता कम हो सकती है।

3. मिट्टी प्रदूषण की समस्या:

  • अरोमैटिक कंपाउंड्स (जैसे बेंज़ीन आधारित रसायन) से मिट्टी का प्रदूषण एक बड़ी समस्या है।
  • ये जहरीले रसायन मुख्य रूप से कीटनाशकों, शाकनाशकों और औद्योगिक उप-उत्पादों में पाए जाते हैं।
  • ये पौधों के अंकुरण (germination) में बाधा डालते हैं, उनकी वृद्धि को धीमा करते हैं, फसल उत्पादन कम करते हैं और पौधों के ऊतकों में जमा हो जाते हैं।

4. आम प्रदूषक:

  • कार्बेरिल, नेफ्थलीन, बेंजोएट, 2,4-डायक्लोरोफेनॉक्सीएसेटिक एसिड, और फैलेट्स जैसे रसायन विभिन्न उद्योगों (जैसे सौंदर्य प्रसाधन, कपड़ा, निर्माण, पेट्रोलियम, और प्लास्टिक) से आते हैं।
  • इन्हें हटाने के पारंपरिक तरीके जैसे रासायनिक उपचार या मिट्टी हटाना महंगे और कम प्रभावी होते हैं।

5. समाधान:

  • IIT बॉम्बे के शोधकर्ताओं ने अत्यधिक प्रदूषित जगहों से बैक्टीरिया की पहचान की।
  • Pseudomonas और Acinetobacter नामक बैक्टीरिया प्रजातियां अरोमैटिक कंपाउंड्स को तोड़ने में बेहद प्रभावी साबित हुईं।
  • ये बैक्टीरिया प्रदूषित मिट्टी और कृषि क्षेत्रों से एकत्र किए गए।
  • ये जहरीले रसायनों को सरल, अविषाक्त यौगिकों में बदल देते हैं और प्राकृतिक रूप से मिट्टी को साफ करने का काम करते हैं।

6. शोध का नेतृत्व:

  • यह शोध IIT बॉम्बे के बायोसाइंसेज और बायोइंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर प्रशांत फले के मार्गदर्शन में किया गया।
  • इस शोध का नेतृत्व संदेश पपड़े ने किया, जो अपनी पीएचडी के तहत यह काम कर रहे थे।

फायदे और संभावनाएं:

1. पर्यावरण पर सकारात्मक प्रभाव:

  • यह समाधान प्राकृतिक संसाधनों को प्रदूषण से बचाने का सस्ता और प्रभावी तरीका है।
  • प्रदूषित मिट्टी को साफ कर पर्यावरण को फिर से स्वस्थ बनाया जा सकता है।

2. कृषि क्षेत्र में लाभ:

  • फसलों की पैदावार बढ़ाने में मदद।
  • रासायनिक खाद और कीटनाशकों की आवश्यकता कम होगी।

3. आर्थिक प्रभाव:

  • पारंपरिक विधियों की तुलना में यह समाधान अधिक किफायती है।

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