भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान बॉम्बे (IIT बॉम्बे) के वैज्ञानिकों ने पानी में मौजूद हानिकारक प्रदूषकों जैसे फिनोल और बेंजीन का सटीक पता लगाने के लिए एक किफायती और पोर्टेबल डिवाइस विकसित किया है। इस डिवाइस का नाम ‘AroTrack’ है, जो पानी प्रदूषण के बढ़ते खतरों को देखते हुए एक बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है।
पानी प्रदूषण और इसकी चुनौतियां
आज के समय में औद्योगीकरण, शहरीकरण और बिना उपचार किए उद्योगों के रसायनयुक्त कचरे को नदियों में बहा देने के कारण ताजा पानी के स्रोत तेजी से प्रदूषित हो रहे हैं। पानी में बेंजीन, फिनोल और ज़ाइलीन जैसे रसायनों की उपस्थिति मानव स्वास्थ्य और पर्यावरण के लिए गंभीर खतरा बन रही है। ये रसायन, जिन्हें ‘एरोमैटिक ज़ीनोबायोटिक’ कहा जाता है, अत्यधिक जहरीले होते हैं और इन्हें पहचानना बेहद मुश्किल है।
पिछले कुछ वर्षों में, इन प्रदूषकों के कारण लाखों लोग स्वास्थ्य संकट का सामना कर चुके हैं। उदाहरण के लिए, चीन के लानझोऊ में एक तेल रिसाव ने 2.4 मिलियन लोगों को बेंजीन के संपर्क में ला दिया। भारत के मदुरै में भी बेंजीन-प्रदूषित पानी से स्वास्थ्य जोखिम बढ़ा है।
AroTrack: एक अनोखा समाधान
इस समस्या का समाधान निकालने के लिए, IIT बॉम्बे के प्रोफेसर रुचि आनंद (रसायन विभाग) और प्रोफेसर रजदीप बंद्योपाध्याय (रासायनिक अभियांत्रिकी विभाग) की टीम ने AroTrack नामक डिवाइस विकसित किया है। यह डिवाइस सस्ता, उपयोग में आसान और पोर्टेबल है, जिससे आम लोग भी आसानी से इसका इस्तेमाल कर सकते हैं।
कैसे काम करता है AroTrack?
AroTrack में ऐसे प्रोटीन का उपयोग किया गया है, जो प्रदूषित वातावरण में रहने वाले बैक्टीरिया से लिए गए हैं। जब पानी के सैंपल में यह प्रोटीन डाला जाता है, तो अगर उसमें फिनोल या बेंजीन जैसे रसायन होते हैं, तो यह प्रोटीन खास रासायनिक प्रतिक्रिया करता है। इस प्रतिक्रिया के दौरान पानी के रंग में बदलाव आता है, जिसे AroTrack द्वारा आसानी से पहचान लिया जाता है।
डिवाइस का मुख्य सेंसर, MopR, विशेष रूप से फिनोल का पता लगाने के लिए डिजाइन किया गया है। इसे 2017 में Acinetobacter calcoaceticus बैक्टीरिया से विकसित किया गया था। IIT बॉम्बे की टीम ने इस प्रोटीन में बदलाव कर इसे अन्य रसायनों जैसे बेंजीन और ज़ाइलीन की पहचान करने में सक्षम बनाया है।
डिवाइस की खासियतें
- छोटा और पोर्टेबल: यह डिवाइस आकार में प्रोजेक्टर से भी छोटा है और इसे ग्रामीण क्षेत्रों या दूरस्थ स्थानों तक ले जाया जा सकता है।
- कम लागत: केवल ₹5000 (लगभग $50) की लागत में यह उपलब्ध है।
- तेज और सटीक परिणाम: डिवाइस 10-200 ppb (पार्ट्स पर बिलियन) की कम सांद्रता पर भी रसायनों की पहचान कर सकता है।
- तेजी से काम: 30 मिनट के भीतर सटीक परिणाम।
- सटीकता: आधुनिक स्पेक्ट्रोफोटोमीटर की तरह ही सटीक परिणाम देता है।
- ऊंचे तापमान पर भी काम: यह डिवाइस 50°C तक के पानी में भी प्रभावी है।
स्वास्थ्य और पर्यावरण पर प्रभाव
- स्वास्थ्य पर प्रभाव:
- फिनोल और बेंजीन जैसे रसायन कैंसर, त्वचा रोग, और श्वसन समस्याओं का कारण बनते हैं।
- ग्रामीण इलाकों में प्रदूषित पानी पीने से बच्चों और गर्भवती महिलाओं पर विशेष खतरा रहता है।
- पर्यावरण पर प्रभाव:
- नदियों और झीलों का प्रदूषण जलीय जीवन को प्रभावित करता है।
- खेती में प्रदूषित पानी का उपयोग फसलों और मिट्टी को नुकसान पहुंचाता है।
भविष्य की योजनाएं
टीम अब इस डिवाइस की क्षमता बढ़ाने और इसे और अधिक प्रकार के रसायनों की पहचान करने में सक्षम बनाने पर काम कर रही है। इसे बाइफिनाइल एरोमैटिक्स और अन्य जटिल रसायनों का पता लगाने के लिए तैयार किया जा रहा है।
सारांश
IIT बॉम्बे का AroTrack डिवाइस पानी की गुणवत्ता को सटीक और सस्ते तरीके से जांचने में मदद करेगा। यह डिवाइस ग्रामीण और कम आय वाले क्षेत्रों के लिए आदर्श साबित हो सकता है। प्रदूषण नियंत्रण के लिए यह एक महत्वपूर्ण कदम है, जो मानव स्वास्थ्य और पर्यावरण को सुरक्षित बनाने में मदद करेगा।