पिछले तीन दशकों में ओडिशा में मानव-हाथी संघर्ष काफी बढ़ा है। इसका मुख्य कारण जंगलों का कटाव और हाथियों के प्राकृतिक आवासों का विभाजन है, जो इंसानी गतिविधियों के कारण हो रहा है। पिछले छह महीनों में लगभग 50 हाथियों की असामान्य मौतों की जांच के आदेश दिए गए हैं।
हाथियों के लिए जगह की कमी और भोजन की दिक्कत:
ओडिशा के मुख्य वन्यजीव संरक्षक सुशांत नंदा ने कहा कि राज्य में लगभग 2,100 हाथी हैं, जो की तुलना में जंगलों में पर्याप्त जगह की कमी है। भारतीय विज्ञान संस्थान (IISc), बेंगलुरु की एक स्टडी के अनुसार, ओडिशा के जंगलों में 1,700 हाथियों को ही सुरक्षित तरीके से रखने की क्षमता है। अधिक हाथियों के कारण जंगलों में भोजन, पानी और जगह की कमी हो रही है, जिससे हाथियों का स्वास्थ्य प्रभावित हो रहा है और उनके बीच बीमारियाँ बढ़ रही हैं।
मानव-हाथी संघर्ष की वजह:
2,100 से अधिक हाथियों के कारण, वे भोजन और जगह की तलाश में मानव बस्तियों में घुसने लगे हैं, जिससे मानव-हाथी संघर्ष बढ़ गया है। विशेषज्ञों का मानना है कि जंगल में 1,700-1,800 हाथी ही ठीक से रह सकते हैं और इस संख्या में हाथियों को कम संघर्ष के साथ संभालना आसान होगा।
संरक्षण के लिए नए प्रयास:
सरकार कुछ हाथियों को मयूरभंज जिले के सिमिलिपाल अभयारण्य में स्थानांतरित करने की योजना बना रही है, ताकि वहां उन्हें सुरक्षित स्थान मिल सके। फिर भी, ओडिशा में लगभग 2,000 हाथियों की संख्या बरकरार रहने की संभावना है।
नवंबर में हाथियों की गणना:
ओडिशा सरकार 14 नवंबर से राज्य में हाथियों की गणना शुरू करेगी, ताकि राज्य में स्थायी और अस्थायी रूप से आने वाले हाथियों की सही संख्या का अनुमान लगाया जा सके। यह गणना पड़ोसी राज्यों जैसे झारखंड और छत्तीसगढ़ से आने वाले हाथियों को भी शामिल करेगी, जिससे भविष्य में बेहतर संरक्षण रणनीतियां बनाई जा सकेंगी।
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