ग्लोबल विटनेस की हालिया रिपोर्ट ‘रूट्स ऑफ रेसिस्टेन्स’ के अनुसार, 2012 से 2024 के बीच 2,253 भूमि और पर्यावरण रक्षकों की हत्या या गायब होने की घटनाएं दर्ज की गई हैं। इनमें से 2,015 रक्षकों की हत्या हो चुकी है, जबकि 92 लापता हैं।
2024 में अकेले 142 पर्यावरण रक्षकों ने जल, जंगल और जमीन की रक्षा करते हुए अपनी जान गंवाई, और चार गायब हुए। औसतन, इस साल हर हफ्ते तीन रक्षक मारे गए या लापता हुए।
हालांकि 2023 के 196 की तुलना में 2024 में हत्याओं की संख्या में कमी आई है, लेकिन यह रक्षकों की सुरक्षा में सुधार का संकेत नहीं है। कई देशों में ऐसी घटनाएं दर्ज ही नहीं हो पातीं, जिससे वास्तविक आंकड़ा और भी अधिक हो सकता है।
ये हमले न केवल रक्षकों, बल्कि उनके परिवारों और समुदायों पर भी गहरा प्रभाव डालते हैं, जिससे मानवाधिकार और पर्यावरण संरक्षण के प्रयास कमजोर पड़ते हैं।
दक्षिण अमेरिका में सबसे ज्यादा खतरा
रिपोर्ट के अनुसार, 2024 में मारे गए या गायब हुए रक्षकों में से एक-तिहाई मामले अकेले कोलंबिया में दर्ज किए गए, जहां 48 रक्षकों की हत्या हुई। 2023 में यह आंकड़ा 79 था।
कोलंबिया में ड्रग तस्करी और अवैध खनन जैसी गतिविधियां जैव विविधता वाले क्षेत्रों को नुकसान पहुंचा रही हैं। दक्षिण अमेरिका में 80% से अधिक हत्याएं और गायब होने की घटनाएं दर्ज हुईं, जो इस क्षेत्र को पर्यावरण रक्षकों के लिए सबसे खतरनाक बनाता है।
अन्य देशों में भी स्थिति चिंताजनक है। 2024 में ग्वाटेमाला में 20, मेक्सिको में 19, ब्राजील में 12 और फिलीपींस में 8 मामले सामने आए। ये रक्षक खनन, अवैध वनों की कटाई और बड़े पैमाने की कृषि परियोजनाओं का विरोध कर रहे थे।
कई लोग भूमि असमानता, पर्यावरण विनाश और संगठित अपराध जैसी जटिल समस्याओं से जूझ रहे थे।
रक्षकों की भूमिका और चुनौतियां
मारे गए रक्षकों में किसान, आदिवासी, पत्रकार, वकील और रेंजर्स शामिल हैं, जो पर्यावरण और भूमि के अधिकारों की रक्षा के लिए काम कर रहे थे। ये लोग स्वच्छ और स्वस्थ पर्यावरण के लिए संघर्ष कर रहे थे, लेकिन लालच और संगठित अपराध के कारण इन्हें निशाना बनाया गया।
रिपोर्ट इस बात पर जोर देती है कि पर्यावरण रक्षकों की सुरक्षा सुनिश्चित करना वैश्विक स्तर पर एक बड़ी चुनौती है।
हिंसा की इन घटनाओं का असर पूरे समुदाय पर पड़ता है, जिससे परिवार टूटते हैं और पर्यावरण संरक्षण के प्रयास कमजोर होते हैं। ग्लोबल विटनेस ने सरकारों और अंतरराष्ट्रीय समुदाय से रक्षकों की सुरक्षा के लिए ठोस कदम उठाने की मांग की है।
