नई दिल्ली/जयपुर: दिल्ली और राजस्थान में अतिक्रमण के मुद्दे पर सख्ती दिखाते हुए नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) और संबंधित विभागों ने बड़ा कदम उठाया है। दिल्ली के दक्षिणी रिज क्षेत्र में अतिक्रमण हटाने की प्रगति पर वन एवं वन्यजीव विभाग ने एनजीटी को रिपोर्ट सौंपी है, जबकि राजस्थान के हिंगोनिया बांध के आसपास अवैध निर्माण को लेकर चार सदस्यीय समिति गठित करने का आदेश दिया गया है।
दिल्ली: दक्षिणी रिज में 307 हेक्टेयर वन भूमि पर अब भी अतिक्रमण
दिल्ली के वन विभाग ने 21 जनवरी 2025 को एनजीटी के समक्ष अपनी रिपोर्ट में बताया कि 2019 तक दक्षिणी रिज क्षेत्र में कुल 398.61 हेक्टेयर वन भूमि पर अतिक्रमण की पहचान की गई थी। अब तक 91.15 हेक्टेयर भूमि को अतिक्रमण मुक्त कर दिया गया है, लेकिन 307.46 हेक्टेयर भूमि पर अभी भी अतिक्रमण बना हुआ है।
प्रमुख क्षेत्र:
- मैदानगढ़ी गांव के खसरा नंबर 690/574 को दक्षिणी रिज, मॉर्फोलॉजिकल रिज और असोला भाटी अभयारण्य का हिस्सा बताया गया है। यह क्षेत्र पारिस्थितिक दृष्टि से बेहद संवेदनशील है।
वन संरक्षण में प्रगति:
दिल्ली का वनावरण लगातार बढ़ रहा है। फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया (एफएसआई) की रिपोर्ट के अनुसार, वृक्षारोपण और वन्यजीव संरक्षण में वन विभाग ने अहम योगदान दिया है। राजधानी को चार प्रादेशिक वन प्रभागों में विभाजित किया गया है, जिनका नेतृत्व उप वन संरक्षक (DCF) कर रहे हैं।
राजस्थान: हिंगोनिया बांध पर अतिक्रमण की जांच के लिए समिति गठित
राजस्थान के ऐतिहासिक हिंगोनिया बांध पर अतिक्रमण को लेकर एनजीटी ने 21 जनवरी 2025 को चार सदस्यीय समिति के गठन का आदेश दिया। समिति में जल संसाधन विभाग, शहरी विकास एवं आवास विभाग, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) और राजस्थान प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के प्रतिनिधि शामिल होंगे।
समिति के निर्देश:
- समिति साइट का दौरा करेगी और 5 मार्च 2025 तक एक विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी।
- रिपोर्ट में क्षेत्र की स्थिति, अतिक्रमण की जानकारी और अब तक की कार्रवाई का ब्योरा शामिल होगा।
प्रमुख मुद्दे:
- बांध के जलग्रहण क्षेत्र में अवैध निर्माण।
- जल धाराओं का अवरुद्ध होना।
- होटल, सोसायटी और कार शोरूम जैसे व्यावसायिक अतिक्रमण।
- कचरे की डंपिंग और वनों का विनाश।
याचिका में मांगे गए सुझाव:
- अतिक्रमित भूमि को बहाल किया जाए।
- अवैध निर्माण और कचरे की डंपिंग को रोका जाए।
- बांध और आसपास के क्षेत्रों को प्रदूषण मुक्त किया जाए।
पर्यावरण संरक्षण पर जोर
इन दोनों मामलों में एनजीटी और संबंधित विभागों ने स्पष्ट कर दिया है कि अतिक्रमण और पर्यावरणीय नुकसान को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। वन और जल संसाधनों की सुरक्षा के लिए सख्त कदम उठाए जाएंगे।
अगली सुनवाई:
- दिल्ली के वन भूमि मामले में प्रगति रिपोर्ट पर एनजीटी द्वारा नई समीक्षा की जाएगी।
- राजस्थान के हिंगोनिया बांध मामले की सुनवाई 5 मार्च 2025 को होगी।
