हिमालय पिका, जो ऊंचे पहाड़ी इलाकों में पाया जाता है, जलवायु परिवर्तन और बढ़ती मानवीय गतिविधियों के कारण संकट का सामना कर रहा है। ये छोटे स्तनधारी जीव पारिस्थितिकी तंत्र में अहम भूमिका निभाते हैं और खासकर पौधों की विविधता को बढ़ाने में मदद करते हैं। हालांकि, बढ़ते तापमान, बर्फीले इलाकों में कमी और मानवीय हस्तक्षेप ने इनके अस्तित्व को गंभीर रूप से प्रभावित किया है।
नई अध्ययन के निष्कर्ष
लद्दाख में किए गए एक नए अध्ययन में दो पिका प्रजातियों की सर्दियों में जीवित रहने की रणनीतियों, भोजन संग्रहण की आदतों और उनके बनाए घास-फूस के ढेर की संरचना का विश्लेषण किया गया है। शोध से पता चला कि ये प्रजातियां मौसम के संकेतों का पालन करती हैं और अपने भोजन को बड़े पैमाने पर इकट्ठा करती हैं। उनके द्वारा बनाए गए घास-फूस के ढेर के आकार और संरचना में भी अंतर पाया गया है।
पिका का पारिस्थितिकी तंत्र में महत्व
पिका के बारे में अक्सर यह सोच होती है कि यह एक प्यारा सा चूहा जैसा जीव है, लेकिन असल में ये ऊंचे पहाड़ी क्षेत्रों में जीवित रहते हुए पारिस्थितिकी तंत्र में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। पिका, मर्मोट, और वोल जैसे छोटे स्तनधारी जीव कई अन्य प्रजातियों के लिए भोजन का स्रोत बनते हैं। इसके अलावा, पिका के बस्तियों के आसपास पौधों की विविधता देखी जाती है, क्योंकि ये अपनी गतिविधियों से मिट्टी की स्थिति बदलते रहते हैं, जिससे नए पौधे उगने में मदद मिलती है।
जलवायु परिवर्तन का प्रभाव
जलवायु परिवर्तन और बढ़ती मानव गतिविधियां पिका जैसे ठंडे मौसम में रहने वाले जीवों के अस्तित्व के लिए खतरा पैदा कर रही हैं। ग्लेशियोलॉजिस्ट हिमालय में ग्लेशियरों के पिघलने को देख रहे हैं, जिससे इन जीवों के निवास स्थानों में कमी आ रही है। पिका की आबादी पहले ही घट रही है और अगर उनके आवासों में और कमी आई तो उनका अस्तित्व संकट में पड़ सकता है।
आईआईएसईआर तिरुपति की एसोसिएट प्रोफेसर नंदिनी राजमणि का कहना है कि पिका की स्थिति इस बात का संकेत है कि जलवायु परिवर्तन के कारण जैव विविधता पर गंभीर प्रभाव पड़ रहे हैं। पिका, जो कि उच्चतम ऊंचाइयों पर रहने वाले जीव हैं, का अस्तित्व पूरी तरह से उनके आवास की स्थिति पर निर्भर करता है। अगर ये अपने पुराने ठंडे इलाकों में नहीं रह पाए तो उनकी संख्या में और गिरावट आ सकती है।
पिका की भोजन संग्रहण की आदतें
पिका, ठंडे मौसम में जीवित रहने के लिए अपने भोजन को संग्रहित करने की आदत रखते हैं। ये अपने मुख्य आहार, जैसे पौधों, घास और पत्तों को इकट्ठा करके रखते हैं, कभी-कभी 23 किलो तक। यह “जमाखोरी” इन ठंडे मौसम के जानवरों के लिए एक महत्वपूर्ण रणनीति है, क्योंकि ऊंचाई पर जहां खाना दुर्लभ होता है, वहां यह आदत उनकी जीवित रहने की संभावना को बढ़ाती है। सर्दियों में जब खाद्य संसाधन सीमित हो जाते हैं, पिका इस संग्रहित भोजन का उपयोग करके जीवित रहते हैं।
मानव गतिविधियों और पिका के व्यवहार पर प्रभाव
पिका, जो अक्सर मानव हस्तक्षेप से बचने की कोशिश करते हैं, जब मनुष्य उनके इलाकों में घुसते हैं तो उनकी बचने की रणनीतियां प्रजाति विशेष होती हैं। उदाहरण के लिए, ओचोटोना रॉयली (पाहाड़ी पिका) कभी-कभी मानव निर्मित दीवारों को अपने आश्रय के रूप में उपयोग करते हैं, जबकि ओचोटोना नुब्रिका (नुब्रा पिका) अधिकतर इंसानों से दूर रहने की कोशिश करते हैं।
आगे की दिशा
इस अध्ययन से यह स्पष्ट होता है कि पिका के अस्तित्व के लिए सिर्फ जलवायु परिवर्तन ही नहीं, बल्कि मानव गतिविधियां भी एक बड़ी चुनौती हैं। इन जीवों के संरक्षण के लिए ठोस उपायों की आवश्यकता है ताकि इनकी पारिस्थितिकी तंत्र में भूमिका बनी रहे और जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को कम किया जा सके।