environmentalstory

Home » 2023-2024 के वनाग्नि सीजन में जंगलों को भारी नुकसान, कुल 686 घटनाएं दर्ज

2023-2024 के वनाग्नि सीजन में जंगलों को भारी नुकसान, कुल 686 घटनाएं दर्ज

by kishanchaubey
0 comment

2023-2024 के वनाग्नि सीजन में राज्य के जंगलों को भारी नुकसान झेलना पड़ा। वन विभाग के आंकड़ों के अनुसार, कुल 686 आगजनी की घटनाएं दर्ज की गईं, जिनमें 11,032 हेक्टेयर जंगल और वृक्षारोपण क्षेत्र आग से प्रभावित हुए। इन घटनाओं के कारण पर्यावरण और वन विभाग को लगभग 3.24 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।

सबसे ज्यादा प्रभावित क्षेत्र

वन विभाग के फायर इंसीडेंट रिपोर्टिंग इंजन (FIRE) नामक ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के आंकड़ों के मुताबिक,

  • कुल्लू सर्कल में आग से सबसे ज्यादा नुकसान हुआ। यहां 127 घटनाओं में 2,924.92 हेक्टेयर जंगल जले और 83 लाख रुपये का आर्थिक नुकसान हुआ।
  • मंडी सर्कल में 105 घटनाओं के कारण 706 हेक्टेयर जंगल आग की चपेट में आए, जिससे 54 लाख रुपये का नुकसान हुआ।
  • सोलन सर्कल में भले ही केवल 6 घटनाएं हुईं, लेकिन फिर भी 70 हेक्टेयर वन क्षेत्र जल गया और 1.72 लाख रुपये का नुकसान हुआ।

कुल नुकसान का आंकलन

686 घटनाओं में, सबसे ज्यादा नुकसान प्राकृतिक जंगलों को हुआ।

  • 2,171 हेक्टेयर प्राकृतिक जंगल जलकर राख हो गए।
  • 846 हेक्टेयर वृक्षारोपण क्षेत्र को नुकसान पहुंचा।
  • 402 हेक्टेयर घास के मैदान और अन्य क्षेत्र भी आग की चपेट में आए।
    आग से होने वाले कुल नुकसान का अनुमान 3.24 करोड़ रुपये लगाया गया है।

वनाग्नि के कारण

इन आग की घटनाओं के पीछे मुख्य कारण सूखा मौसम और मानवीय लापरवाही को बताया गया है। गर्मियों के दौरान सूखे हालात आग को तेजी से फैलने का मौका देते हैं।

banner

पर्यावरण पर प्रभाव

  1. ग्रीन कवर का नुकसान: इतने बड़े स्तर पर जंगलों के जलने से पर्यावरण का संतुलन बिगड़ रहा है।
  2. वायु प्रदूषण: आग से निकलने वाला धुआं वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड और अन्य विषैले गैसों की मात्रा बढ़ा देता है।
  3. जैव विविधता को खतरा: आग से वन्यजीवों के आवास नष्ट हो जाते हैं, जिससे कई प्रजातियों के विलुप्त होने का खतरा बढ़ता है।
  4. मृदा की उर्वरता कम होना: आग लगने से जमीन की ऊपरी सतह जल जाती है, जिससे मिट्टी की उर्वरता घट जाती है।

स्वास्थ्य पर प्रभाव

  1. सांस की समस्याएं: धुएं और प्रदूषण के कारण स्थानीय लोगों में अस्थमा और फेफड़ों की बीमारियां बढ़ रही हैं।
  2. मानसिक तनाव: लगातार आगजनी की घटनाओं से लोग भय और तनाव महसूस कर रहे हैं।

आगे की योजना और सुझाव

वन विभाग ने स्थानीय समुदायों और प्रशासन से सतर्क रहने की अपील की है। विभाग ने आग रोकने और प्रबंधन के लिए निम्नलिखित उपाय सुझाए हैं:

  • बेहतर निगरानी प्रणाली: जंगलों की निगरानी के लिए आधुनिक तकनीकों का उपयोग।
  • तेज प्रतिक्रिया समय: आग की घटनाओं पर तुरंत कार्रवाई।
  • जन जागरूकता: स्थानीय लोगों को आग से बचाव के तरीकों और इसकी गंभीरता के बारे में जागरूक करना।
  • सामुदायिक भागीदारी: आग रोकने के लिए ग्रामीणों और स्वयंसेवी संगठनों को शामिल करना।

वनों को बचाने के लिए सभी का योगदान जरूरी है। यह सिर्फ पर्यावरण के लिए नहीं, बल्कि हमारी आने वाली पीढ़ियों के भविष्य के लिए भी अनिवार्य है।

You may also like