दिल्ली-एनसीआर में हवा की गुणवत्ता बिगड़ने के कारण आयोग ने 8 बजे से ग्रैप (GRAP) स्टेज 3 लागू कर दिया है। इसमें गैर-जरूरी निर्माण, तोड़फोड़, और प्रदूषण फैलाने वाले उद्योगों की गतिविधियों पर रोक लगाई गई है। साथ ही BS-III पेट्रोल और BS-IV डीजल वाहनों पर भी प्रतिबंध लगाया गया है।
दिल्ली की हवा तीसरे दिन भी ‘गंभीर’ श्रेणी में बनी हुई है, जिससे एक घना धुंध का परत क्षेत्र को ढक रहा है और जहरीली गैसें जमा हो रही हैं। इस साल पराली जलाने, मौसमी प्रदूषण और ट्रैफिक से निकलने वाले धुएं ने स्थिति को और गंभीर बना दिया है, जिससे प्रशासन को सख्त कदम उठाने पड़े हैं।
दिल्ली ने 14 जनवरी को इस सीजन की सबसे खराब वायु गुणवत्ता (AQI 447) दर्ज की। इस दिन पलम इलाके में दृश्यता सुबह 8 से 9:30 बजे तक शून्य हो गई थी। सफदरजंग बेस स्टेशन में भी दृश्यता 7 बजे पर 200 मीटर तक कम हो गई। पूरे दिन कम दृश्यता और धूप की कमी के कारण अधिकतम तापमान 27.8°C तक गिर गया, जो सामान्य से पांच डिग्री कम था।
GRAP स्टेज-1 से स्टेज-4 कब लागू होते हैं?
- स्टेज-1 (AQI 201-300): इसमें जनता को सावधानियाँ बरतने की सलाह दी जाती है, धूल को नियंत्रित करने के उपाय और खुले में कचरा जलाने पर रोक लगाई जाती है।
- स्टेज-2 (AQI 301-400): डीजल जनरेटर सेट पर रोक, सड़कों की अधिक बार सफाई और पानी का छिड़काव जैसी गतिविधियाँ शामिल हैं।
- स्टेज-3 (AQI 400+): गैर-जरूरी निर्माण गतिविधियों पर सख्त रोक, भारी वाहनों के प्रवेश पर रोक और ईंट भट्टों व पत्थर तोड़ने के कार्य पर प्रतिबंध लगाया जाता है।
- स्टेज-4 (AQI 450+): पूरी तरह से निर्माण गतिविधियाँ बंद, स्कूल बंद कर दिए जाते हैं और निजी वाहनों के लिए ऑड-ईवन जैसी योजनाएँ लागू होती हैं।
GRAP-3 के तहत मुख्य प्रतिबंध
ग्रैप-3 के लागू होने से विशेष रूप से निर्माण और वाहन प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए सख्त कदम उठाए गए हैं।
- निर्माण और तोड़फोड़ पर रोक: धूल और प्रदूषण रोकने के लिए, ज़मीन खोदना, तोड़फोड़, ओपन ट्रेंचिंग, आरएमसी संयंत्र, पेंटिंग, पॉलिशिंग, फ्लोरिंग, और वॉटरप्रूफिंग जैसी सभी गतिविधियाँ प्रतिबंधित की गई हैं। इसके अलावा, निर्माण सामग्री जैसे सीमेंट, रेत, और फ्लाई ऐश की ढुलाई पक्की सड़कों पर ही हो सकती है।
- महत्वपूर्ण परियोजनाओं के लिए छूट: रेलवे, मेट्रो, एयरपोर्ट, बस अड्डे, राष्ट्रीय सुरक्षा, स्वास्थ्य सुविधाएँ और सड़कें जैसी सार्वजनिक सेवा परियोजनाओं को सख्त धूल नियंत्रण और कचरा प्रबंधन के तहत छूट दी गई है।
- वाहन उत्सर्जन मानदंडों का कड़ाई से पालन:
- दिल्ली और आसपास के क्षेत्रों में BS-III पेट्रोल और BS-IV डीजल वाहनों पर प्रतिबंध।
- BS-III डीजल मीडियम गुड्स वाहन (MGV) और NCR राज्यों से आने वाली गैर-बीएस-वीआई डीजल अंतरराज्यीय बसों के प्रवेश पर रोक।
- सार्वजनिक स्वास्थ्य एवं स्कूल सुरक्षा:
- छोटे बच्चों (कक्षा V तक) की शारीरिक कक्षाएँ अब ऑनलाइन होंगी ताकि प्रदूषित हवा के संपर्क में कमी आए।
- रहवासियों के लिए दिशानिर्देश:
- पैदल चलने, साइकिलिंग या सार्वजनिक परिवहन का उपयोग करें।
- वर्क फ्रॉम होम का विकल्प अपनाएँ।
- कोयला या लकड़ी जलाने से बचें और अपनी यात्राओं को संयोजित करें।
- कर्मचारियों को हीटर प्रदान करें ताकि खुले में जलाने की आवश्यकता न हो।
- दिल्ली मेट्रो सेवाओं का विस्तार:
- प्रदूषण को कम करने के लिए दिल्ली मेट्रो ने 60 अतिरिक्त ट्रिप शुरू किए हैं ताकि अधिक लोग निजी वाहनों के बजाय मेट्रो का इस्तेमाल कर सकें।
पर्यावरण और स्वास्थ्य पर प्रभाव
प्रदूषण का बढ़ना न केवल पर्यावरण को नुकसान पहुँचाता है बल्कि इसका सीधा असर स्वास्थ्य पर भी पड़ता है। वायु में मौजूद सूक्ष्म कण (PM2.5, PM10) हमारे श्वसन तंत्र को प्रभावित करते हैं, जिससे अस्थमा, एलर्जी, फेफड़ों में संक्रमण और अन्य गंभीर बीमारियाँ हो सकती हैं। लंबे समय तक ऐसे माहौल में रहने से हृदय रोगों का खतरा बढ़ जाता है। बच्चों, बुजुर्गों और गर्भवती महिलाओं के लिए यह स्थिति और भी खतरनाक साबित हो सकती है।
प्रदूषण कम करने के इन प्रयासों से उम्मीद है कि लोगों की सेहत पर इसका बुरा असर कुछ कम होगा और धीरे-धीरे दिल्ली-एनसीआर की हवा साफ होगी।