Golden Jackal : सियार को प्रकृति का सफाईकर्मी कहा जाता है क्योंकि यह सर्वाहारी जानवर जैविक कचरे को खत्म करने में मदद करता है। गिरे हुए फल, सड़ा हुआ मांस, और अन्य जैविक अवशेष इसके भोजन का हिस्सा हैं। सुनहरा सियार (गोल्डन जैकल), जिसे वैज्ञानिक नाम कैनिस ऑरियस से जाना जाता है, भारत के हर प्रकार के आवास में पाया जाता है।
सुनहरे सियार की जीवनशैली और चुनौती
सियार औसतन 8-10 साल तक जीवित रहते हैं। इनकी भूमिका न केवल पर्यावरण को स्वच्छ रखने में है, बल्कि यह लोक कथाओं और गीतों का भी हिस्सा हैं। हालांकि, अवैध शिकार और तेजी से बदलते पर्यावरणीय हालात ने इनकी संख्या पर बुरा प्रभाव डाला है।
1990 के दशक से सियार के आवासों में भारी कमी आई है। हालांकि, अंतरराष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (IUCN) ने इसे “कम चिंता वाली प्रजाति” की श्रेणी में रखा है, लेकिन इसके आवास और खाद्य संसाधनों के लगातार नष्ट होने से यह खतरे में आ गए हैं।
आवास पर खतरों के मुख्य कारण
- अंधाधुंध खेती और पशुपालन में गिरावट।
- आर्द्रभूमि और तटीय क्षेत्रों का विनाश।
- शहरीकरण और जंगलों में बार-बार लगने वाली आग।
- प्लास्टिक प्रदूषण और कचरे का बढ़ता स्तर।
मुंबई में सुनहरे सियार का पुनरुत्थान
वाइल्डलाइफ कंजर्वेशन सोसाइटी-इंडिया की एक रिपोर्ट बताती है कि मुंबई के कुछ क्षेत्रों में सुनहरे सियार अब फल-फूल रहे हैं। यह मुख्य रूप से मुंबई के पूर्वी उपनगरों, वाशी और उत्तरी मुंबई के मैंग्रोव इलाकों में पाए जाते हैं।
शोध से मिले रोचक तथ्य
- कैमरा ट्रैप की मदद:
मुंबई के मैंग्रोव में शोधकर्ताओं ने 3,000 से अधिक तस्वीरें खींचीं, जिनमें से 790 में सियार नजर आए। - प्रजनन का प्रमाण:
शोध के दौरान अलग-अलग उम्र के सियार के बच्चों को देखा गया। यह दर्शाता है कि यहां साल भर प्रजनन होता है। - सियार और कुत्तों का सह-अस्तित्व:
सियार और खुले में घूमने वाले कुत्ते एक ही जगह पर रहते हैं, जिससे बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।
स्वास्थ्य और बीमारियों का खतरा
सियारों और कुत्तों के बीच संपर्क से रेबीज जैसी बीमारियां फैलने का खतरा बढ़ता है। हाल ही में, मुंबई में पांच सियारों में रेबीज की पुष्टि हुई, जो एक महीने के अंदर मर गए। इस समस्या को हल करने के लिए गहन अध्ययन और खून के नमूने लेने जैसे वैज्ञानिक प्रयासों की आवश्यकता है।
वन्यजीव संरक्षण अधिनियम का प्रभाव
2022 के वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम में किए गए संशोधनों के तहत सुनहरे सियार को भारत में कानूनी संरक्षण का उच्चतम स्तर प्रदान किया गया है।
पर्यावरण में भूमिका
सुनहरे सियार जैविक कचरे को खत्म करने, शिकार की आबादी को नियंत्रित करने और पारिस्थितिक संतुलन बनाए रखने में अहम भूमिका निभाते हैं।
सियार का भोजन और जीवनशैली
शोधकर्ताओं ने 38 मल के नमूनों का विश्लेषण किया, जिसमें उनके आहार की विविधता देखी गई:
- स्तनधारी अवशेष: 31.4%
- वनस्पति पदार्थ: 26.7%
- पक्षी: 14.3%
- केकड़े, मछली, और सांप: कभी-कभी।
- चिंताजनक तथ्य: उनके मल में 3% प्लास्टिक के निशान भी मिले।
आवास और संरक्षण की जरूरत
सुनहरे सियार के अस्तित्व को बनाए रखने के लिए उनके आवासों का संरक्षण जरूरी है। मुंबई के मैंग्रोव सियारों के लिए एक सुरक्षित स्थान हैं, लेकिन बढ़ते शहरीकरण और प्रदूषण से यह खतरे में पड़ सकते हैं।
क्या किया जा सकता है?
- मैंग्रोव और अन्य प्राकृतिक आवासों का संरक्षण।
- सियारों और कुत्तों के बीच बीमारी फैलने से रोकने के लिए वैज्ञानिक अध्ययन।
- लोगों को सियारों की पर्यावरणीय भूमिका के प्रति जागरूक करना।
सुनहरा सियार पर्यावरण के सफाईकर्मी होने के साथ-साथ जैव विविधता को बनाए रखने में महत्वपूर्ण है। इन्हें संरक्षित करने के लिए सामूहिक प्रयासों की आवश्यकता है।