Air Pollution News: केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के ताजा आंकड़ों के अनुसार, उत्तर प्रदेश का गाजियाबाद एक बार फिर देश का सबसे प्रदूषित शहर बन गया है। गुरुवार को यहां वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 430 तक पहुंच गया, जो विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की निर्धारित सुरक्षित सीमा से करीब 800 प्रतिशत अधिक है। एक दिन पहले यानी 19 नवंबर को गाजियाबाद में AQI 422 था, यानी 24 घंटे में 8 अंकों की बढ़ोतरी हुई है।
देश के दस सबसे प्रदूषित शहरों की सूची में उत्तर प्रदेश के सात शहर शामिल हैं:
- गाजियाबाद – 430 (गंभीर)
- बागपत – 428 (गंभीर)
- नोएडा – 408 (गंभीर)
- दिल्ली – 391 (बेहद खराब)
- हापुड़ – 388 (बेहद खराब)
- ग्रेटर नोएडा – 380 (बेहद खराब)
- भिवाड़ी (राजस्थान) – 349 (बेहद खराब)
- मेरठ – 345 (बेहद खराब)
- मुजफ्फरनगर – 336 (बेहद खराब)
- मानेसर (हरियाणा) – 312 (बेहद खराब)
गाजियाबाद, बागपत और नोएडा में AQI ‘गंभीर’ (401-500) श्रेणी में बना हुआ है, जबकि बाकी शहर ‘बेहद खराब’ (301-400) श्रेणी में हैं।
देशभर की स्थिति
- कुल 237 शहरों के आंकड़े जारी किए गए।
- सिर्फ 5% (12 शहर) में हवा ‘अच्छी’ (0-50)
- 26.6% (63 शहर) में ‘संतोषजनक’ (51-100)
- 68.4% शहरों में हवा चिंताजनक (मध्यम से गंभीर तक)
सबसे साफ हवा वाला शहर: नागांव (असम) – AQI सिर्फ 32 (यानी गाजियाबाद की तुलना में नागांव की हवा करीब 13 गुना बेहतर)
प्रमुख शहरों का AQI
- दिल्ली: 391 (कल से मामूली सुधार)
- गुरुग्राम: 302
- फरीदाबाद: 255
- लखनऊ: 193
- मुंबई: 145
- चेन्नई: 94
- कोलकाता, हैदराबाद, बेंगलुरु आदि में स्थिति मध्यम से संतोषजनक
क्या है AQI की श्रेणी और इसका मतलब?
- 0-50 → अच्छी
- 51-100 → संतोषजनक
- 101-200 → मध्यम
- 201-300 → खराब
- 301-400 → बेहद खराब (गंभीर स्वास्थ्य प्रभाव)
- 401-500 → गंभीर (स्वस्थ लोगों को भी खतरा, मरीजों के लिए जानलेवा हो सकता है)
विशेषज्ञों का कहना है कि उत्तर भारत में पराली जलाने का मौसम खत्म होने के बावजूद स्थानीय स्रोत (वाहन, उद्योग, निर्माण कार्य, सड़क की धूल) और मौसम की स्थिरता के कारण प्रदूषण अभी भी खतरनाक स्तर पर बना हुआ है।
लोगों को सलाह दी जा रही है कि गंभीर और बेहद खराब AQI वाले इलाकों में बाहर निकलते समय N95 मास्क पहनें, बच्चों-बुजुर्गों को घर में ही रहने की सलाह दी गई है।
