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Forest Fire In India: गढ़चिरौली देश में सबसे आगे, महाराष्ट्र पांचवें स्थान पर

by kishanchaubey
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Forest Fire In India : नवंबर 2023 से जून 2024 के बीच, महाराष्ट्र में 16,008 वनाग्नि घटनाएँ दर्ज की गईं, जिससे राज्य देश में पांचवें स्थान पर रहा। इस दौरान, महाराष्ट्र के गढ़चिरौली जिले ने 7,042 वनाग्नि घटनाओं के साथ देश में सबसे अधिक घटनाएँ दर्ज कीं। इन घटनाओं का पता SNPP-VIIRS सेंसर सिस्टम के माध्यम से लगाया गया, जिसे फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया (FSI) द्वारा उपयोग किया जाता है।

भारत में वनाग्नि: संक्षेप में आंकड़े
हाल ही में पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MOEFCC) ने ‘इंडिया स्टेट ऑफ फॉरेस्ट रिपोर्ट 2023’ (ISFR 2023) जारी की। यह रिपोर्ट 21 दिसंबर को प्रकाशित हुई, जिसमें भारत में वनाग्नि की घटनाओं और उनके प्रभावों का विस्तृत विवरण दिया गया है।

रिपोर्ट के अनुसार, 2023-24 के मौसम में 2,03,544 आग के हॉटस्पॉट SNPP-VIIRS सेंसर द्वारा दर्ज किए गए। यह संख्या 2021-22 (2,23,333) और 2022-23 (2,12,249) की तुलना में कम है।
2023-24 में सबसे अधिक वनाग्नि वाले राज्य:

  1. उत्तराखंड
  2. ओडिशा
  3. छत्तीसगढ़

जली हुई भूमि का आकलन और प्रभाव
इस रिपोर्ट में जली हुई भूमि (बर्न्ट एरिया) का भी आकलन किया गया है, जिसमें आग से प्रभावित क्षेत्रों और वन जैव विविधता पर हुए नुकसान का विश्लेषण शामिल है। यह कार्य रिमोट सेंसिंग और GIS तकनीक के माध्यम से किया गया।

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  • सबसे अधिक जली हुई भूमि: आंध्र प्रदेश (5286.76 वर्ग किमी)
  • दूसरा स्थान: महाराष्ट्र (4095 वर्ग किमी)

आकलन के अनुसार, 93% घटनाएँ सतही आग (सरफेस फायर) की श्रेणी में आती हैं, जो अपेक्षाकृत कम नुकसान पहुँचाती हैं। मंत्रालय एक अलग रिपोर्ट में राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के आधार पर जली हुई भूमि का वर्गीकरण, ईंधन भार का अनुमान और आग के जोखिम वाले क्षेत्रों का विवरण प्रकाशित करने की योजना बना रहा है।

वनाग्नि की रोकथाम और समाधान
वनाग्नि पर नज़र रखने और रोकथाम के लिए बहु-कालिक सैटेलाइट डेटा का उपयोग किया जा रहा है। यह तकनीक वनों में होने वाले परिवर्तनों की पहचान करने और वास्तविक समय में नुकसान का आकलन करने में मदद करती है।

महाराष्ट्र और देश के अन्य हिस्सों में वनाग्नि रोकने के लिए:

  1. समुदाय जागरूकता कार्यक्रम चलाए जाने चाहिए।
  2. रियल-टाइम मॉनिटरिंग को बढ़ावा दिया जाना चाहिए।
  3. जोखिम वाले क्षेत्रों में स्थानीय प्रशासन और वन विभाग को मजबूत किया जाना चाहिए।

वनाग्नि की घटनाओं को कम करने के लिए स्थानीय सहभागिता और प्रौद्योगिकी का प्रभावी उपयोग आवश्यक है।

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