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लॉस एंजेलिस की आपदा: भारत में बढ़ते जंगल की आग के खतरे और उससे सबक

by kishanchaubey
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Los Angeles: पिछले एक हफ्ते से, लॉस एंजेलिस में भयंकर जंगल की आग से हजारों लोग प्रभावित हो रहे हैं। सांता एना हवाओं और लंबे समय से चली आ रही सूखे की स्थिति ने इन आग की तीव्रता को और बढ़ा दिया है। इन आगों ने सैकड़ों वर्ग किलोमीटर क्षेत्र को तबाह कर दिया है, जिसमें पैसिफिक पैलिसैड्स और अल्टाडेना जैसे घनी आबादी वाले इलाके शामिल हैं।

भारी नुकसान और आर्थिक प्रभाव

  • अब तक कई लोगों की मौत हो चुकी है, और 2 लाख से अधिक लोग अपने घर छोड़ने को मजबूर हुए हैं।
  • घर, पूजा स्थल और बुनियादी ढांचे को भारी नुकसान हुआ है, जिससे हजारों लोग बिजली और अन्य सुविधाओं से वंचित हैं।
  • इस आपदा से $135 से $150 बिलियन का नुकसान हुआ है, जो इसे अमेरिका के इतिहास की सबसे महंगी जंगल की आग बनाता है।
  • पर्यावरणीय प्रभाव:
    • मिट्टी की गुणवत्ता में गिरावट।
    • जल स्रोतों को नुकसान।
    • वायु गुणवत्ता खराब।
    • वन्यजीवों को भारी क्षति।

भारत के लिए चेतावनी

लॉस एंजेलिस की यह आपदा भारत के लिए एक बड़ा सबक है। आईपीसीसी की छठी आकलन रिपोर्ट के अनुसार, जलवायु परिवर्तन के कारण भारत और दक्षिण एशिया के जंगलों में सूखे और तापमान बढ़ने की संभावना है, जिससे जंगल की आग का खतरा बढ़ेगा।

भारत में जंगल की आग की स्थिति
  1. वन सर्वेक्षण रिपोर्ट (FSI):
    • भारत के 36% जंगल आग के प्रति अत्यधिक संवेदनशील हैं।
    • खासकर उत्तर-पूर्व, गढ़वाल हिमालय, और मध्य भारत के इलाके ज्यादा खतरे में हैं।
  2. मानव गतिविधियों का योगदान:
    • भारत में 90% से अधिक जंगल की आग इंसानी लापरवाही या जानबूझकर किए गए कार्यों के कारण होती है।

भारत के लिए क्या करना जरूरी है?

1. प्रभावी प्रबंधन रणनीति:
  • शुरुआती चेतावनी प्रणाली:
    • जंगल की आग का समय रहते पता लगाने और उसे रोकने के लिए सटीक और आधुनिक तकनीक का उपयोग।
  • राष्ट्रीय कार्य योजना:
    • सेनडाई फ्रेमवर्क फॉर डिजास्टर रिस्क रिडक्शन के तहत एक राष्ट्रीय योजना तैयार करना।
2. नीतिगत सुधार और प्रशिक्षण:
  • जंगल की आग प्रबंधन को राष्ट्रीय और राज्य स्तर की आपदा प्रबंधन योजनाओं में शामिल करना।
  • स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसिजर्स (SOPs) और फील्ड मैनुअल्स को नियमित रूप से अपडेट करना।
  • नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फॉरेस्ट फायर मैनेजमेंट की स्थापना, जो फॉरेस्ट अधिकारियों और समुदाय के सदस्यों को प्रशिक्षण प्रदान करे।
3. आधुनिक तकनीक का उपयोग:
  • ड्रोन, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और सैटेलाइट मॉनिटरिंग का उपयोग करके आग का जल्द पता लगाना और उसे रोकना।
  • नेशनल एयर ऑपरेशन विंग की स्थापना, जो हवाई फायरफाइटिंग ऑपरेशन्स को संभाल सके।
  • स्वदेशी पेड़ों का उपयोग:
    • जंगलों में ऐसी प्रजातियों के पेड़ लगाना, जो आग प्रतिरोधी हों।
4. सामुदायिक भागीदारी:
  • स्थानीय समुदायों को आग बुझाने की ट्रेनिंग देना।
  • मॉक ड्रिल और जागरूकता अभियान चलाना।
5. अनुसंधान और विकास:
  • राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय संगठनों के साथ मिलकर अनुसंधान करना।
  • आधुनिक तकनीकों का विकास, जैसे कि पर्यावरण-अनुकूल आग बुझाने के तरीके।
  • नेशनल फॉरेस्ट फायर नॉलेज नेटवर्क की स्थापना, जहां जानकारी और अनुभव साझा किए जा सकें।

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