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वन विभाग ने जंगल की आग पर नियंत्रण के लिए अपनाई नई तकनीक, ‘एवेंजा मैप्स’ ऐप से होगी आग की बेहतर निगरानी

by kishanchaubey
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भुवनेश्वर: ओडिशा वन विभाग 2025 की आगामी वनाग्नि (जंगल की आग) सीजन में संवेदनशील क्षेत्रों में आग से सुरक्षा के लिए “एवेंजा मैप्स” मोबाइल ऐप का उपयोग करने की योजना बना रहा है। प्रधान मुख्य वन संरक्षक (PCCF) और हेड ऑफ फॉरेस्ट फोर्स (HoFF) देबिदत्ता बिस्वाल ने बताया कि पिछले सीजन में इस ऐप का इस्तेमाल पारलाखेमुंडी वन मंडल में सफलतापूर्वक किया गया था, और इस बार इसे अन्य वन और वन्यजीव विभागों में भी लागू किया जाएगा।

कैसे काम करेगा एवेंजा मैप्स ऐप? इस नई तकनीक के तहत, विभाग द्वारा गूगल अर्थ पर आग की रोकथाम के लिए खींची गई फायर लाइन की जानकारी एवेंजा मैप्स में ट्रांसफर की जाएगी। इस ऐप का इस्तेमाल विभाग के फील्ड कर्मचारियों द्वारा फायर लाइनों को ट्रैक करने और स्थिति की तस्वीरें जोड़ने के लिए किया जाएगा। यह जानकारी वन विभाग को फील्ड वर्क की तुलना और निरीक्षण में मदद करेगी, जिससे आग की रोकथाम की बेहतर योजना बन सकेगी।

ओडिशा में हर साल करीब 12,000 से 13,000 किलोमीटर की फायर लाइन तैयार और बनाए रखी जाती है। बिस्वाल ने बताया कि इस ऐप के उपयोग से राज्य में जंगल की आग पर नियंत्रण की क्षमता में सुधार की उम्मीद है।

आगामी वनाग्नि सीजन की तैयारियां वनाग्नि सीजन 1 जनवरी, 2025 से शुरू हो रहा है। PCCF ने सभी डीएफओ को नए ज़िला अग्नि रोकथाम और प्रबंधन योजना को 20 नवंबर तक प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं। इस संबंध में एक प्रारंभिक बैठक भी हो चुकी है और तैयारियों की समीक्षा के लिए जल्द ही एक और बैठक आयोजित की जाएगी।

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वन विभाग की सफलताएं और तैयारियां ओडिशा ने 2024 के वनाग्नि सीजन में प्रभावी नियंत्रण रखा, जिसमें 99.86 प्रतिशत की रिस्पॉन्स दर हासिल की गई, जो 2023 में 98.93 प्रतिशत और 2022 में 91.62 प्रतिशत थी। 2024 में राज्य में 22,868 आग के बिंदु पाए गए, जिनमें से 22,837 पर समय पर प्रतिक्रिया दी गई। इससे प्रभावित क्षेत्र को 4,067 हेक्टेयर तक सीमित किया जा सका, जबकि 2022 में 8,414 हेक्टेयर और 2023 में 9,550 हेक्टेयर क्षेत्र आग से प्रभावित हुआ था।

वन विभाग ने आग के प्रभाव को कम करने के लिए 590 बहुत उच्च आवृत्ति (VHF) स्टेशन बनाए हैं, साथ ही 880 वॉकी-टॉकी यूनिट्स भी संचार नेटवर्क को मजबूत करने के लिए तैनात किए गए हैं।

पर्यावरण पर प्रभाव जंगल की आग से न केवल वनस्पतियों और जीवों का नुकसान होता है, बल्कि यह वायु प्रदूषण को भी बढ़ाती है, जिससे वातावरण में हानिकारक गैसों का उत्सर्जन होता है। वन विभाग की यह नई तकनीक न केवल पर्यावरण की सुरक्षा को सुनिश्चित करने में सहायक होगी, बल्कि जैव विविधता को भी संरक्षित करने में मददगार साबित होगी।

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