जंगल, जो पृथ्वी की हरियाली और प्राकृतिक सौंदर्य का प्रतीक हैं, न केवल पर्यावरण संतुलन बनाए रखते हैं बल्कि अर्थव्यवस्था को भी मजबूती देते हैं। लेकिन हाल के एक अध्ययन से पता चला है कि जंगल अब बढ़ते खतरों का सामना कर रहे हैं, और इसकी एक बड़ी वजह है – पेड़ों की प्रजातियों में कमी।
जंगलों में विविधता क्यों है जरूरी?
प्रकृति की स्थिरता का आधार है विविधता। किसी भी पारिस्थितिकी तंत्र में जितनी अधिक विविधता होती है, वह उतना ही मजबूत और टिकाऊ होता है।
लेकिन जब जंगलों में केवल एक ही तरह के पेड़ होते हैं, जैसे स्वीडन के जंगलों में लॉजपोल पाइन (Lodgepole Pine), तो वे आसानी से बीमारियों और प्राकृतिक आपदाओं का शिकार बन जाते हैं।
जंगलों को प्रभावित करने वाले कारक
स्वीडन के जंगलों पर हुए अध्ययन में यह बात सामने आई कि जंगलों की सेहत को नुकसान पहुंचाने वाले कई कारक हैं:
- आग और कीट: जंगलों में लगने वाली आग और कीड़ों का हमला जंगलों को कमजोर बना देता है।
- जानवर: मूस जैसे बड़े जानवर जंगलों के छोटे पौधों को खा जाते हैं, जिससे जंगलों की बढ़त रुक जाती है।
- फफूंद और बीमारियां: पेड़ों पर फफूंद का संक्रमण तेजी से फैलता है और जंगलों की जैव विविधता को नष्ट करता है।
जलवायु परिवर्तन का असर
जलवायु परिवर्तन जंगलों के लिए सबसे बड़ी चुनौती बन गया है। बढ़ते तापमान और बदलते मौसम के कारण जंगलों पर कई प्रकार के खतरों का दबाव बढ़ गया है।
- गर्मी और सूखा: अधिक गर्मी से जंगलों में आग लगने और कीटों के हमले का खतरा बढ़ता है।
- नए कीट और रोग: बदले हुए मौसम में नए कीट और बीमारियां तेजी से जंगलों को नुकसान पहुंचा रही हैं।
अध्ययन के प्रमुख शोधकर्ता माइकल जॉनसन के अनुसार, “गरम जलवायु में जंगलों को बचाने के लिए उनके नुकसान के कारणों को समझना और उन्हें रोकने के तरीके ढूंढना बेहद जरूरी है।”
शोध में क्या मिला?
स्वीडन के राष्ट्रीय वन सर्वेक्षण (2003 से डेटा) के आधार पर किए गए अध्ययन में पाया गया कि:
- 94% पेड़ों को किसी न किसी प्रकार का नुकसान हुआ था।
- हवा और बर्फ से सबसे ज्यादा नुकसान हुआ। इसके बाद जंगलों की कटाई और फफूंद से पेड़ों को नुकसान पहुंचा।
- युवा पेड़, खासकर गर्म क्षेत्रों में पाए जाने वाले कोनिफर पेड़, अधिक जोखिम में हैं।
- लॉजपोल पाइन, एक बाहरी प्रजाति, सबसे ज्यादा प्रभावित हुई।
विविधता में है बचाव
हालांकि, अध्ययन ने एक अच्छी खबर भी दी।
जिन जंगलों में पेड़ों की अधिक प्रजातियां थीं, वे नुकसान के बावजूद अधिक टिकाऊ साबित हुए। खासकर गर्म जलवायु में, विविधता ने जंगलों को मजबूत और लचीला बनाया।
इस पर सह-शोधकर्ता जैन बेंगटसन का कहना है, “स्वीडन के जंगलों में अधिक पेड़ों की प्रजातियों को शामिल करना भविष्य की गरम जलवायु के लिए एक प्रभावी उपाय हो सकता है।”
पर्यावरण और स्वास्थ्य पर प्रभाव
- पर्यावरणीय प्रभाव:
- जंगलों की खराब स्थिति से मिट्टी का कटाव बढ़ता है।
- कार्बन डाइऑक्साइड का अधिक उत्सर्जन होता है, जिससे जलवायु परिवर्तन तेज हो सकता है।
- जैव विविधता का नुकसान पारिस्थितिकी तंत्र को कमजोर करता है।
- स्वास्थ्य पर प्रभाव:
- जंगलों का कटाव हवा की गुणवत्ता को खराब करता है, जिससे श्वसन रोग बढ़ सकते हैं।
- जंगलों से जुड़े संसाधनों की कमी से लाखों लोगों की आजीविका प्रभावित हो सकती है।
क्या करना चाहिए?
- विविधता बढ़ाना: जंगलों में अधिक प्रकार के पेड़ लगाना।
- प्राकृतिक आपदाओं की तैयारी: आग, कीट और बीमारियों से बचाव के लिए उपाय करना।
- जंगल प्रबंधन में सुधार: आधुनिक तकनीकों का उपयोग करके जंगलों की सुरक्षा।
- जलवायु परिवर्तन से लड़ाई: ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन को कम करना।
- जन जागरूकता: स्थानीय लोगों को जंगलों की देखभाल में शामिल करना।
निष्कर्ष
जंगलों को बचाने के लिए विविधता बढ़ाना और बेहतर प्रबंधन करना समय की जरूरत है। अगर हम अभी कदम नहीं उठाते, तो यह पर्यावरण और मानव जीवन दोनों के लिए विनाशकारी हो सकता है। आने वाले समय में जंगलों की सेहत हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है, और हमें इसे प्राथमिकता देनी चाहिए।