संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन (FAO) की नई रिपोर्ट के अनुसार, लगभग 1.4 अरब हेक्टेयर भूमि, यानी दुनिया की कुल भूमि का 10.7 प्रतिशत, लवणता से प्रभावित है। इसके अलावा, जलवायु परिवर्तन और मानव गतिविधियों के कारण एक अरब हेक्टेयर अतिरिक्त भूमि इस खतरे के दायरे में है। यह स्थिति वैश्विक खाद्य सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा बन रही है।
रिपोर्ट का परिचय
रिपोर्ट का नाम “द ग्लोबल स्टेटस ऑफ सॉल्ट-अफेक्टेड सॉयल्स” है, जिसे FAO ने 11 दिसंबर 2024 को जारी किया। यह रिपोर्ट बीते 50 वर्षों में लवणता प्रभावित मिट्टी की पहली प्रमुख वैश्विक समीक्षा है। इसे अंतरराष्ट्रीय मिट्टी और जल मंच 2024 के दौरान थाईलैंड की राजधानी बैंकॉक में पेश किया गया। यह कार्यक्रम FAO और थाईलैंड के कृषि मंत्रालय ने संयुक्त रूप से आयोजित किया।
लवणता प्रभावित मिट्टी क्या है?
लवणता प्रभावित मिट्टी में या तो घुलनशील लवण (सैलीन मिट्टी) या सोडियम की अधिकता (सोडिक मिट्टी) पाई जाती है। ये दोनों ही प्रकार की मिट्टियाँ अधिकांश पौधों की वृद्धि को प्रभावित करती हैं।
खतरा कितना बड़ा है?
- अत्यधिक लवणता मिट्टी की उर्वरता घटाती है और पर्यावरणीय स्थिरता को नुकसान पहुंचाती है।
- कुछ देशों में लवणता के कारण फसलों की पैदावार, जैसे चावल और बीन्स, में 70 प्रतिशत तक कमी आ सकती है।
- FAO की रिपोर्ट के अनुसार, सिंचित और वर्षा आधारित कृषि भूमि का 10 प्रतिशत हिस्सा लवणता से प्रभावित है।
भविष्य की चिंताएँ
जलवायु परिवर्तन और तापमान में बढ़ोतरी के मौजूदा रुझानों को देखते हुए, प्रभावित क्षेत्र 24 से 32 प्रतिशत तक बढ़ सकता है। यह समस्या मुख्य रूप से विकासशील देशों में अधिक गंभीर होगी।
प्रमुख प्रभावित देश
दुनिया की कुल लवणता प्रभावित भूमि का 70 प्रतिशत इन 10 देशों में है:
ऑस्ट्रेलिया, अर्जेंटीना, कजाकिस्तान, रूस, संयुक्त राज्य अमेरिका, ईरान, सूडान, उज्बेकिस्तान, अफगानिस्तान और चीन।
- सबसे अधिक प्रभावित भूमि:
- ऑस्ट्रेलिया: 357 मिलियन हेक्टेयर (mha)
- अर्जेंटीना: 153 mha
- कजाकिस्तान: 94 mha
- रूस: 77 mha
भारत में स्थिति
भारत में लगभग 6.72 मिलियन हेक्टेयर भूमि लवणता से प्रभावित है, जो देश के कुल भौगोलिक क्षेत्र का 2.1 प्रतिशत है।
- सैलीन भूमि: 2.95 mha
- सोडिक भूमि: 3.77 mha
- प्रमुख प्रभावित राज्य:
- गुजरात (2.23 mha)
- उत्तर प्रदेश (1.37 mha)
- महाराष्ट्र (0.61 mha)
- पश्चिम बंगाल (0.44 mha)
- राजस्थान (0.38 mha)
प्रभावित कृषि
भारत में कुल कृषि भूमि का 20 प्रतिशत लवणता से प्रभावित है, विशेषकर जैसलमेर, गुजरात का तटीय क्षेत्र, और गंगा बेसिन। यहाँ उगाई जाने वाली प्रमुख फसलें हैं:
- चावल
- कपास
- जौ
- ज्वार
- बाजरा
लवणता का कारण
- नमकीन पानी का उपयोग: सिंचाई के लिए किसानों को ब्रैकिश (खारा) पानी का उपयोग करना पड़ता है।
- असंतुलित नहर प्रणाली: नहरों से रिसाव के कारण जलभराव, सतह पर लवणता का जमाव, और मिट्टी की उर्वरता में गिरावट हुई है।
- जलस्तर में वृद्धि: नहरों के रिसाव से जलस्तर बढ़ा, जिससे जमीन पर नमक जमा होने लगा।
महत्वपूर्ण उदाहरण
- राजस्थान में नहर परियोजनाओं के कुछ ही वर्षों में लगभग 0.18 mha भूमि लवणता से प्रभावित हो गई।
- उत्तर प्रदेश के शारदा सहायक नहर कमांड क्षेत्र में तीन दशकों में 0.37 mha भूमि लवणता का शिकार हुई।
निष्कर्ष और समाधान
रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया की बढ़ती आबादी को भोजन उपलब्ध कराने के लिए भूमि की गुणवत्ता में सुधार करना अनिवार्य है। इसके लिए जरूरी है:
- सिंचाई के लिए बेहतर गुणवत्ता वाले पानी का उपयोग।
- नहरों और जल निकासी प्रणालियों में सुधार।
- नमक-सहनशील फसलों की खेती।
यह रिपोर्ट हमें मिट्टी की बढ़ती लवणता से निपटने के लिए ठोस कार्य योजना बनाने का आह्वान करती है।