राजस्थान के श्रीगंगानगर और हनुमानगढ़ जिलों के 1,000 से ज्यादा किसानों ने मंगलवार को पंजाब के लुधियाना की ओर प्रदर्शन यात्रा शुरू की। यह आंदोलन सतलुज नदी के प्रदूषण के खिलाफ है। सतलुज का पानी इंदिरा गांधी नहर के जरिए राजस्थान के 12 जिलों में पीने और सिंचाई के लिए सप्लाई किया जाता है।
प्रदूषण का आरोप
किसानों का कहना है कि पंजाब की फैक्ट्रियों का प्रदूषित पानी सतलुज नदी में मिलने से यह पानी जहरीला हो गया है। इससे राजस्थान के लोगों को गंभीर बीमारियां हो रही हैं।
- बुद्धा नाला पर रोक की मांग:
किसान यह भी कह रहे हैं कि पंजाब का बुद्धा नाला, जो सतलुज में मिलता है, सबसे बड़ा प्रदूषण का स्रोत है। इसमें रसायन, कपड़ा और चमड़ा उद्योगों का जहरीला पानी बहता है।
यात्रा और पुलिस की रोक
- मंगलवार को किसान 40 बसों और 20 निजी वाहनों के जरिए लुधियाना के लिए रवाना हुए।
- ग्रामीण किसान मजदूर समिति (GKS) के अध्यक्ष रंजीत सिंह राजू ने कहा, “पंजाब में हर 30 किमी पर पुलिस ने बैरिकेडिंग की थी। अधिकतर बसों को लुधियाना के अंदर नहीं जाने दिया गया।”
- हालांकि, रंजीत सिंह निजी वाहन में यात्रा कर रहे थे, इसलिए वे लुधियाना पहुंचने में कामयाब रहे।
- प्रदर्शन स्थल पर स्थिति:
लुधियाना के प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड कार्यालय के सामने करीब 200 लोग इकट्ठा हुए, लेकिन अधिकांश प्रदर्शनकारियों को पुलिस ने रास्ते में ही रोक दिया।
किसानों की मांग और समस्या
किसानों का आरोप है कि पंजाब सरकार ने एक सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (STP) लगाया है, लेकिन इसका असर दिखाई नहीं दे रहा।
- रवींदर सिंह, एक अन्य प्रदर्शनकारी ने कहा:
“बुद्धा नाला का पानी जहरीला है। इसे पीने से राजस्थान के जिलों में कैंसर, टीबी, और फेफड़ों से जुड़ी बीमारियां हो रही हैं।” - किसानों ने इस समस्या को कई बार उठाया है, लेकिन सरकार इसे नजरअंदाज कर रही है।
आंदोलन का उद्देश्य
- बुद्धा नाला के प्रदूषण को रोकना।
- राजस्थान को स्वच्छ और सुरक्षित पानी की आपूर्ति सुनिश्चित करना।
- किसानों और आम लोगों को प्रदूषित पानी के कारण हो रही बीमारियों से बचाना।
सरकार की प्रतिक्रिया का इंतजार
किसानों का यह आंदोलन सरकार को सतलुज नदी के प्रदूषण पर गंभीर कदम उठाने के लिए मजबूर करना चाहता है। लेकिन अब यह देखना होगा कि क्या सरकार इस समस्या का समाधान निकालती है या नहीं।