नई दिल्ली: कृषि, पशुपालन और खाद्य प्रसंस्करण पर संसद की स्थायी समिति ने हाल ही में एक रिपोर्ट जारी की है, जिसमें बताया गया है कि भले ही किसानों की आय में वृद्धि हो रही है, लेकिन खर्चों की रफ्तार आय से कहीं ज्यादा तेज है। इसका सीधा असर यह हो रहा है कि कृषि परिवारों को बढ़ते खर्चों को पूरा करने के लिए ज्यादा कर्ज लेना पड़ रहा है।
किसानों की आय और खर्चों का अंतर बढ़ा
NABARD की 2022-23 की ग्रामीण वित्तीय समावेशन सर्वेक्षण के अनुसार:
- औसत मासिक आय:
2016-17 में ₹8,059 थी, जो 2021-22 में 57.6% बढ़कर ₹12,698 हो गई। - औसत मासिक खर्च:
₹6,646 से बढ़कर ₹11,262 हो गया, यानी इसमें 69.4% की वृद्धि हुई।
आय और खर्चों के इस असंतुलन का नतीजा यह है कि ग्रामीण परिवारों के बीच कर्ज लेने की प्रवृत्ति भी बढ़ रही है।
- कर्ज लेने वाले परिवार:
2016-17 में 47.4% थे, जो 2021-22 में बढ़कर 52% हो गए।
कर्ज की बढ़ती मार और समाधान की जरूरत
समिति ने कहा कि यह स्थिति बेहद चिंता का विषय है और इसे नियंत्रित करने के लिए सटीक योजनाओं की आवश्यकता है। किसानों को उनके कृषि कार्यों में निवेश जारी रखने और कर्ज के चक्र से बचाने के लिए प्रभावी कदम उठाए जाने चाहिए।
समिति ने सरकार से आग्रह किया है कि किसान कल्याण से जुड़ी योजनाओं का जमीन पर ठोस असर हो और किसान असहनीय कर्ज के जाल में न फंसे।
‘कृषि विभाग’ का नाम बदलने का सुझाव
समिति ने ‘कृषि और किसान कल्याण विभाग’ का नाम बदलकर ‘कृषि, किसान और कृषि श्रमिक कल्याण विभाग’ करने की सिफारिश की है।
- क्यों है नाम बदलना जरूरी?
- कृषि श्रमिक कृषि के लिए महत्वपूर्ण हैं।
- वे खाद्य उत्पादन, आर्थिक स्थिरता और सामुदायिक कल्याण में अहम भूमिका निभाते हैं।
- लाभ:
- इससे किसानों और कृषि श्रमिकों दोनों की आजीविका और कल्याण के लिए अधिक केंद्रित नीतियां और पहल लागू हो सकेंगी।
- कृषि क्षेत्र की विविध आवश्यकताओं को बेहतर ढंग से संबोधित किया जा सकेगा।
कृषि श्रमिकों के लिए न्यूनतम जीवन निर्वाह वेतन आयोग की मांग
समिति ने जल्द से जल्द ‘राष्ट्रीय न्यूनतम जीवन निर्वाह वेतन आयोग’ की स्थापना का सुझाव दिया, ताकि कृषि श्रमिकों को उनके अधिकार दिए जा सकें और उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार हो।
समाप्ति
सरकार को किसानों और कृषि श्रमिकों के लिए बेहतर नीतियों और योजनाओं को लागू करने की आवश्यकता है, ताकि ग्रामीण अर्थव्यवस्था में सुधार हो सके। कर्ज के चक्र से किसानों को बचाने और कृषि श्रमिकों के जीवन स्तर को ऊपर उठाने के लिए ठोस प्रयास बेहद जरूरी हैं।