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जैसे ही रबी सीजन की शुरुआत होती है, किसान सब्जियों की बुवाई में जुट जाते हैं। कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार, अक्टूबर का महीना भिंडी की बुवाई के लिए सबसे उपयुक्त समय होता है। अगर किसान सही किस्मों का चुनाव करें तो कम लागत में अधिक मुनाफा कमा सकते हैं। इस खबर में हम आपको बताएंगे कि कौन-कौन सी भिंडी की उन्नत किस्में हैं, जिन्हें अपनाकर किसान अधिक उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं।
उन्नत किस्में जो बढ़ा सकती हैं उत्पादन
- पूसा ए-4 (Pusa A-4)
भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली द्वारा विकसित पूसा ए-4 किस्म येलो वेन मोजैक वायरस से लड़ने में सक्षम है। इस किस्म की विशेषता यह है कि बुवाई के 15 दिन बाद फल आना शुरू हो जाता है और पहली तुड़ाई 45 दिनों में हो जाती है। किसान इस किस्म से प्रति हेक्टेयर 15 टन से अधिक उत्पादन कर सकते हैं। - अर्का अनामिका (Arka Anamika)
भारतीय बागवानी अनुसंधान संस्थान, बैंगलोर द्वारा विकसित इस किस्म के पौधे 120-150 सेंटीमीटर तक ऊंचे होते हैं। अर्का अनामिका किस्म येलो वेन मोजैक वायरस के प्रतिरोधक होने के साथ-साथ रबी और खरीफ दोनों सीजन के लिए उपयुक्त है। इससे 12-15 टन प्रति हेक्टेयर तक उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है। - हिसार उन्नत (Hisar Unnat)
चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, हिसार द्वारा विकसित इस किस्म के पौधे 90-120 सेंटीमीटर ऊंचे होते हैं। यह किस्म गर्म तापमान को सहन करने में सक्षम है और 46-47 दिन में पहली तुड़ाई हो जाती है। किसान इससे 13 टन प्रति हेक्टेयर तक उत्पादन हासिल कर सकते हैं। - वीआरओ-6 (VRO-6)
इसे काशी प्रगति के नाम से भी जाना जाता है। भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान, वाराणसी द्वारा विकसित इस किस्म के पौधे 175 सेंटीमीटर तक ऊंचे होते हैं। यह किस्म भी येलो वेन मोजैक वायरस से लड़ने में सक्षम है और रबी और खरीफ दोनों सीजन में बुवाई के लिए उपयुक्त है। किसान इस किस्म से प्रति हेक्टेयर 18 टन तक उपज प्राप्त कर सकते हैं।
उपज बढ़ाने के लिए खाद और उर्वरक का सही उपयोग
भिंडी की अच्छी उपज के लिए किसानों को प्रति हेक्टेयर लगभग 15-20 टन गोबर की खाद का उपयोग करना चाहिए। साथ ही नाइट्रोजन और पोटाश का भी समय पर छिड़काव करना आवश्यक है।