हाल ही में कृषि मंत्रालय ने 2024-25 खरीफ सीजन में खाद्यान्न उत्पादन में रिकॉर्ड वृद्धि का अनुमान लगाया है, जिससे कृषि अर्थव्यवस्था में सुधार की उम्मीद जगी है। हालांकि, धान के अलावा अन्य फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर खरीद अभी भी बहुत कम है, जिससे किसानों को पर्याप्त लाभ नहीं मिल रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि खेती में विकास की दर इस वित्तीय वर्ष में 3-3.2% तक रह सकती है।
खरीफ फसल में रिकॉर्ड उत्पादन का अनुमान
पहले अनुमान के अनुसार, 2024-25 के खरीफ सीजन में 164.7 मिलियन टन (MT) खाद्यान्न उत्पादन होने की उम्मीद है, जो पिछले वर्ष की तुलना में 5.4% अधिक है। यह उत्पादन वृद्धि कृषि क्षेत्र की जीवीए (ग्रोस वैल्यू एडेड) में वृद्धि, किसानों की आय में सुधार और ग्रामीण खपत को बढ़ाने में मदद कर सकती है। लेकिन इसका फायदा तभी मिलेगा, जब किसानों को फसलों के उचित मूल्य मिलेंगे। MSP पर दलहन और तिलहन की खरीद को बढ़ाने की आवश्यकता है, क्योंकि सोयाबीन और अन्य तेल फसलों के लिए MSP पर खरीद बहुत कम है।
रबी फसल के लिए बेहतर स्थिति
रबी (सर्दी की) फसल के लिए गेहूं, सरसों और चने की बुवाई का क्षेत्र बढ़ने की संभावना है। जून से सितंबर के बीच 8% अधिक बारिश होने से मिट्टी में नमी बनी हुई है, जिससे रबी की फसलें अच्छी तरह बढ़ सकेंगी। इस वर्ष देश की 155 प्रमुख जलाशयों में पानी का स्तर 86% तक पहुंच गया है, जो पिछले वर्ष की तुलना में 25% अधिक है। अगर मार्च और अप्रैल में मौसम अनुकूल रहता है, तो गेहूं और अन्य रबी फसलों का उत्पादन भी बढ़ सकता है, जिससे कृषि वस्तुओं की कीमतों में गिरावट की उम्मीद है।
तेलहन और दलहन के आयात में कमी की संभावना
कृषि मंत्रालय ने सोयाबीन और सरसों जैसी तेल फसलों की MSP पर खरीद की घोषणा की है। 2024-25 में तेल फसलों का उत्पादन 44.75 मिलियन टन (MT) होने की उम्मीद है, जो पिछले वर्ष की तुलना में 13% अधिक है। इसी साल सितंबर में सरकार ने खाद्य तेलों पर आयात शुल्क में 20% की बढ़ोतरी की थी, जिससे तेलों का आयात घटकर 15 MT हो सकता है, जबकि पिछले वर्ष यह 16 MT था।
दलहन की अधिक पैदावार के चलते इसके आयात में भी कमी की संभावना है। चने का उत्पादन, जो भारत के दलहन उत्पादन का 50% है, 2023-24 में 11.03 MT था जो इस साल 13.65 MT तक पहुंच सकता है। पिछले साल चने की फसल खराब मौसम के कारण प्रभावित हुई थी, जिसके चलते सरकार को पीले मटर और देसी चने पर आयात शुल्क में छूट देनी पड़ी थी।
खाद्य मुद्रास्फीति और कीमतों पर असर
ग्रामीण खपत में वृद्धि का संबंध महंगाई से भी है। हाल ही में खाद्य कीमतों में वृद्धि के चलते महंगाई बढ़ी है। अक्टूबर 2024 में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) आधारित खुदरा महंगाई दर 6.21% तक पहुंच गई, जबकि खाद्य मूल्य सूचकांक (CFPI) 10.87% तक रहा। उच्च खाद्य महंगाई का कारण सब्जियों, फलों, तेल और वसा की कीमतों में तेजी है।
2024-25 में चावल का उत्पादन 119.93 MT तक पहुंचने की उम्मीद है और गेहूं का उत्पादन भी रिकॉर्ड 115 MT रहने का अनुमान है। इससे देश में खाद्य आपूर्ति स्थिर रहेगी और भारत को आवश्यक रबी फसलों का आयात करने की जरूरत नहीं होगी।
इस उत्पादन वृद्धि से किसानों की आय में सुधार की संभावना है और अगर MSP की खरीद बढ़ाई जाती है, तो यह किसानों को बेहतर लाभ देने में मददगार होगी।