हाल ही में किए गए एक अध्ययन में यह पाया गया है कि पृथ्वी के तापमान को नियंत्रित करने वाली कुछ महत्वपूर्ण प्राकृतिक प्रक्रियाएँ गंभीर रूप से कमजोर हो रही हैं। रिपोर्ट के अनुसार, 2023 में पेड़ों और भूमि द्वारा कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) का अवशोषण लगभग समाप्त हो गया है, जो जलवायु संकट के गहराते खतरे की ओर इशारा करता है।
कार्बन अवशोषण का महत्व
CO2 का अवशोषण एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है जो जलवायु को स्थिर रखने में मदद करती है। पेड़ CO2 को अवशोषित करते हैं, जिससे वातावरण में कार्बन का स्तर नियंत्रित रहता है और ग्लोबल वार्मिंग की रफ्तार धीमी होती है। इसके अलावा, महासागरों में रहने वाले छोटे ज़ूप्लांकटन भी रात में समुद्र की सतह पर आकर सूक्ष्म शैवाल खाते हैं और सालाना लाखों टन कार्बन को वातावरण से हटा देते हैं। ये दोनों प्रक्रियाएँ पृथ्वी को ठंडा रखने में सहायक होती हैं।
2023 में CO2 का बड़ा उछाल
अध्ययन का शीर्षक “Low latency carbon budget analysis reveals a large decline of the land carbon sink in 2023” है। इसमें बताया गया कि 2023 में हवाई के माउना लोआ क्षेत्र में CO2 की वृद्धि दर 3.37 ± 0.11 पार्ट्स प्रति मिलियन (PPM) रही, जो पिछले वर्ष की तुलना में 86% अधिक है। यह 1958 से अब तक का सबसे ऊंचा स्तर है।
इसका मतलब है कि भूमि और महासागर द्वारा CO2 को अवशोषित करने की क्षमता में भारी गिरावट आई है। अध्ययन ने यह सवाल उठाया है कि यह कमी क्यों और कहाँ हो रही है।
प्राकृतिक प्रक्रियाओं पर असर
अध्ययन में यह भी बताया गया कि 2023 में वैश्विक CO2 उत्सर्जन केवल 0.6 ± 0.5 प्रतिशत बढ़ा था, लेकिन फिर भी इतनी अधिक CO2 वातावरण में बनी रही। इसका कारण यह हो सकता है कि भूमि और महासागर में CO2 अवशोषण करने की क्षमता कम हो गई है।
विशेषज्ञों का मानना है कि उत्तरी गोलार्ध में बड़ी जंगल की आगों ने 2023 में भूमि द्वारा CO2 अवशोषण में आई इस गिरावट में योगदान दिया हो सकता है।
स्वास्थ्य पर प्रभाव
पृथ्वी के तापमान को नियंत्रित करने वाली प्रक्रियाओं में गिरावट का स्वास्थ्य पर कई नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है:
- वायु गुणवत्ता में गिरावट: CO2 के बढ़ने से वायु गुणवत्ता बिगड़ती है, जिससे श्वसन संबंधी बीमारियाँ हो सकती हैं।
- जलवायु परिवर्तन से जुड़ी बीमारियाँ: बढ़ते तापमान से गर्मी संबंधित स्वास्थ्य समस्याएँ और मच्छर द्वारा फैलने वाली बीमारियाँ बढ़ सकती हैं।
- पोषण की कमी: भूमि पर कार्बन अवशोषण में कमी से कृषि उत्पादन प्रभावित होता है, जिससे कुपोषण का खतरा बढ़ सकता है।
- मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव: जलवायु परिवर्तन के कारण मानसिक स्वास्थ्य समस्याएँ, जैसे तनाव और चिंता बढ़ सकती हैं।
- जल संसाधनों की कमी: जलवायु परिवर्तन से सूखा और बाढ़ जैसी समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं, जिससे पानी से संबंधित बीमारियाँ बढ़ सकती हैं।
- जनसंख्या का स्वास्थ्य जोखिम: प्राकृतिक संसाधनों की कमी से खाद्य और जल सुरक्षा का संकट पैदा हो सकता है, खासकर कमजोर वर्गों के लिए।
- स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली पर बोझ: जलवायु परिवर्तन से स्वास्थ्य समस्याओं में वृद्धि के कारण स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली पर अतिरिक्त दबाव पड़ सकता है।
विशेषज्ञों की राय
जोहान रॉकस्ट्रॉम, जो पॉट्सडैम इंस्टीट्यूट फॉर क्लाइमेट इम्पैक्ट रिसर्च के निदेशक हैं, ने न्यूयॉर्क क्लाइमेट वीक 2023 में कहा, “हम पृथ्वी की प्रणालियों की क्षमता में बड़ी दरारें देख रहे हैं। स्थलीय पारिस्थितिकी तंत्र अपना कार्बन संग्रहण और अवशोषण क्षमता खो रहे हैं, और महासागर भी अस्थिरता के संकेत दे रहे हैं।”
एंड्रयू वॉटसन, यूनिवर्सिटी ऑफ एक्सेटर के समुद्री और वायुमंडलीय विज्ञान समूह के प्रमुख ने कहा, “वैज्ञानिकों ने लंबे समय से माना था कि प्राकृतिक कार्बन अवशोषण तंत्र समय के साथ अपनी क्षमता खो सकते हैं, लेकिन इतनी तेज गिरावट की उम्मीद नहीं थी।”
निष्कर्ष
यह अध्ययन बताता है कि जलवायु परिवर्तन और प्राकृतिक कार्बन अवशोषण में कमी के स्वास्थ्य पर कई गंभीर प्रभाव हो सकते हैं। समय रहते यदि ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो जलवायु संकट के परिणाम और भी गंभीर हो सकते हैं, जिनका असर न केवल आने वाली पीढ़ियों पर पड़ेगा, बल्कि आज की पीढ़ी के स्वास्थ्य पर भी नकारात्मक प्रभाव डालेगा।