गंगा नदी में वन विभाग द्वारा कराई गई छह दिवसीय डॉल्फिन गिनती का परिणाम बेहद उत्साहजनक है। इस बार की गिनती में डॉल्फिन की संख्या में बढ़ोतरी दर्ज की गई है, जो जलीय जीव प्रेमियों के लिए एक बड़ी खुशखबरी है। मुजफ्फरनगर से नरोरा बैराज तक की गंगा धारा में 52 डॉल्फिन पाई गईं, जो पिछले साल की तुलना में दो अधिक हैं। पिछले वर्ष यह संख्या 50 थी, और 2020 में मात्र 41 थी।
नमामि गंगे अभियान की भूमिका
डॉल्फिन की बढ़ती संख्या का एक प्रमुख कारण नमामि गंगे अभियान है, जिसके तहत गंगा नदी में प्रदूषण पर नियंत्रण पाने के लिए प्रभावी कदम उठाए गए हैं। सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट की स्थापना और गंदे नालों के पानी को सीधे गंगा में छोड़े जाने पर सख्ती से रोक लगाए जाने से गंगा की स्वच्छता में काफी सुधार हुआ है।
इसके अलावा, वन विभाग द्वारा चलाए गए ‘मेरी गंगा मेरी सूंस’ अभियान के तहत शिकारियों और तस्करों पर भी कड़ा नियंत्रण लगाया गया है। इन प्रयासों ने डॉल्फिन को सुरक्षित वातावरण प्रदान किया है, जिससे उनकी संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है।
सफल गणना अभियान
5 से 12 अक्टूबर तक चलाए गए इस अभियान में वन विभाग की टीम ने मुजफ्फरनगर बैराज से नरोरा बैराज तक 205 किलोमीटर की दूरी में डॉल्फिन की गणना की। इस दौरान टीम ने 52 डॉल्फिन की पहचान की, जिनमें से 47 वयस्क और 5 अवयस्क थीं। इसके साथ ही, गिनती के दौरान घड़ियाल, मगरमच्छ, मछलियां और प्रवासी पक्षी भी नजर आए।
डॉल्फिन की सुरक्षा और आवासीय सुधार
गंगा नदी के उथले पानी में डॉल्फिन की अठखेलियां अब आम होती जा रही हैं। पिछले चार वर्षों में डॉल्फिन के कुनबे में 11 नए सदस्य जुड़े हैं। यह वृद्धि गंगा के स्वच्छता और प्राकृतिक आवासीय सुधारों का प्रत्यक्ष परिणाम है। वन विभाग ने तस्करों और शिकारियों पर लगाम कसते हुए गंगा के तलहटी क्षेत्र को डॉल्फिन के लिए सुरक्षित आवासीय क्षेत्र में बदलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
डॉल्फिन की बढ़ती संख्या गंगा नदी के इकोसिस्टम में हो रहे सुधारों का प्रमाण है। नमामि गंगे अभियान और वन विभाग के निरंतर प्रयासों ने गंगा को डॉल्फिन के लिए एक सुरक्षित और स्वच्छ वातावरण प्रदान किया है। यह कदम न केवल डॉल्फिन संरक्षण के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह गंगा नदी के पारिस्थितिकी तंत्र को संरक्षित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर भी है।