देशभर में धूम्रपान को लेकर लोगों में जागरूकता बढ़ रही है। हाल ही में ‘तम्बाकू मुक्त भारत’ के तहत हुए एक सर्वे में लगभग 93% लोगों ने सार्वजनिक स्थानों को पूरी तरह धूम्रपान मुक्त बनाने की मांग की है, जबकि 97% लोगों ने रेलवे स्टेशनों की तरह हवाई अड्डों को भी धूम्रपान मुक्त क्षेत्र घोषित करने का समर्थन किया है। दो से 19 अक्टूबर के बीच ‘एक्स’ पर हुए इस सर्वे में 65,272 लोगों ने भाग लिया, जिससे यह स्पष्ट होता है कि भारतीय जनता में धूम्रपान के हानिकारक प्रभावों को लेकर गंभीर चिंता है।
स्वास्थ्य पर धूम्रपान का असर
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) की विशेषज्ञ डॉ. उमा कुमार के अनुसार, सिगरेट एवं अन्य तंबाकू उत्पाद अधिनियम (COTPA), 2003 के तहत सार्वजनिक स्थानों पर धूम्रपान पर प्रतिबंध लगाया गया है, लेकिन हवाई अड्डों, बड़े होटलों और बड़े रेस्तरां में धूम्रपान के लिए कुछ क्षेत्रों की अनुमति दी गई है। डॉ. कुमार ने कहा कि यह छूट जन स्वास्थ्य के लिए खतरा है। वैज्ञानिक साक्ष्य बताते हैं कि धूम्रपान न करने वाले लोग भी इसके जहरीले धुएं के संपर्क में आकर कई गंभीर बीमारियों के शिकार हो सकते हैं।
प्रसिद्ध हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. कर्नल शेखर कश्यप ने निकोटीन को बेहद खतरनाक और लत लगाने वाला पदार्थ बताया। निकोटीन के प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष सेवन से हृदय रोग, कैंसर, और अन्य घातक बीमारियों का खतरा बढ़ता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, भारत में हर साल लगभग 13 लाख लोग तंबाकू से संबंधित बीमारियों के कारण अपनी जान गंवाते हैं, जो इसे एक बड़े स्वास्थ्य संकट के रूप में स्थापित करता है।
पर्यावरण पर धूम्रपान का असर
सार्वजनिक स्थानों पर धूम्रपान न केवल स्वास्थ्य बल्कि पर्यावरण के लिए भी गंभीर खतरा है। सिगरेट के टुकड़े, या बट्स, न केवल प्रदूषण फैलाते हैं बल्कि मिट्टी और पानी में मिलकर कई जहरीले रसायनों का उत्सर्जन करते हैं। सिगरेट के फिल्टर में पाया जाने वाला प्लास्टिक और जहरीले रसायन मिट्टी की गुणवत्ता को खराब करते हैं और जलीय जीवों के लिए भी हानिकारक हैं। इस प्रकार, धूम्रपान के अवशेष पर्यावरण में प्लास्टिक प्रदूषण का प्रमुख स्रोत बनते जा रहे हैं।
इसके अतिरिक्त, धूम्रपान से होने वाला वायु प्रदूषण आसपास के लोगों के लिए हानिकारक है। सिगरेट के धुएं में कार्बन मोनोऑक्साइड, बेंजीन, और अमोनिया जैसे रसायन होते हैं जो वायु गुणवत्ता को प्रभावित करते हैं। धूम्रपान का धुआं हवा में मिलकर इसे जहरीला बनाता है और खासकर शहरी क्षेत्रों में वायु प्रदूषण को बढ़ाता है, जो अस्थमा और श्वसन संबंधी समस्याओं को जन्म देता है।
भारत की तंबाकू नियंत्रण में प्रगति और आगे का रास्ता
अंतरराष्ट्रीय पहलवान संग्राम सिंह ने बताया कि भारत ने तंबाकू नियंत्रण के क्षेत्र में महत्वपूर्ण प्रगति की है। उन्होंने बताया कि रेलवे परिसरों में धूम्रपान और तंबाकू उत्पादों की बिक्री पर प्रतिबंध लगाया गया है, जो एक सकारात्मक कदम है। लेकिन हवाई अड्डों में धूम्रपान क्षेत्रों की अनुमति चिंता का विषय बनी हुई है। इस समस्या से निपटने के लिए सरकारी नियमों को और सख्त करने की जरूरत है ताकि सार्वजनिक स्थानों पर सभी के लिए स्वस्थ और सुरक्षित वातावरण सुनिश्चित किया जा सके।
सर्वे में शामिल लोगों ने सरकार से मांग की है कि धूम्रपान पर कड़े नियम लागू किए जाएं और इसे जन स्वास्थ्य और पर्यावरण सुरक्षा का एक महत्वपूर्ण मुद्दा माना जाए।