Delhi pollution : दिल्ली हर सर्दी में स्मॉग से जूझती है, जो शहर की गंभीर वायु गुणवत्ता संकट की याद दिलाता है। लेकिन यह समस्या केवल सर्दियों तक सीमित नहीं है। गर्मियों के दौरान गर्मी और ओजोन के मिलकर होने वाले खतरों ने इसे सालभर की चुनौती बना दिया है।
मौसम के साथ बदलता प्रदूषण का पैटर्न
दिल्ली की वायु गुणवत्ता का ग्राफ एक चिंताजनक तस्वीर पेश करता है। “गुड” या “अच्छे” वायु गुणवत्ता वाले दिन (जब PM2.5 का स्तर 30 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर से कम हो) शहर में बहुत कम देखने को मिलते हैं। ये दिन मुख्य रूप से मॉनसून के महीने—जुलाई, अगस्त और सितंबर में ही आते हैं।
इनमें भी “अच्छे” दिनों की अधिकतम संख्या अगस्त में होती है, जबकि जुलाई और सितंबर में ये गिनती के दिन होते हैं। बारिश के दौरान वायु गुणवत्ता में थोड़ा सुधार होता है, लेकिन यह राहत अस्थायी होती है।
इसके विपरीत, “मॉडरेट” या “मध्यम” वायु गुणवत्ता वाले दिन (जब PM2.5 का स्तर 61 से 90 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर के बीच हो) फरवरी से जून तक गर्मियों के महीनों में छाए रहते हैं। अप्रैल का महीना, जब दिल्ली में तेज गर्मी पड़ती है, सबसे ज्यादा चुनौतीपूर्ण होता है।
इस दौरान बढ़ते तापमान, सूक्ष्म कण (PM2.5) और ग्राउंड-लेवल ओजोन का मिश्रण स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरे पैदा करता है।
गर्मियों का अनदेखा संकट
सर्दियों में प्रदूषण मुख्य रूप से मौसम, पराली जलाने और स्थानीय स्रोतों जैसे वाहनों और उद्योगों से होता है। लेकिन गर्मियों में प्रदूषण के कारण अलग होते हैं।
गर्मियों की भीषण गर्मी वातावरण में रासायनिक प्रक्रियाओं को तेज करती है, जिससे ग्राउंड-लेवल ओजोन बनता है। यह प्रदूषक आमतौर पर ध्यान नहीं खींचता, लेकिन श्वसन स्वास्थ्य के लिए बहुत खतरनाक है। हीटवेव (लू) इन प्रभावों को और बढ़ा देती है, जिससे अत्यधिक गर्मी और बढ़ते प्रदूषण का खतरनाक संयोजन बनता है।
इसके अलावा, गर्मियों की तेज धूप प्रदूषकों जैसे नाइट्रोजन ऑक्साइड और वाष्पशील कार्बनिक यौगिकों (VOC) को ओजोन में बदल देती है। दिल्ली जैसे शहरी इलाकों में, जहां वाहन, उद्योग और निर्माण कार्य इन प्रदूषकों का प्रमुख स्रोत हैं, यह समस्या और बढ़ जाती है।
दिल्ली की सालभर की प्रदूषण समस्या
दिल्ली में प्रदूषण सिर्फ मौसम के साथ घटता-बढ़ता नहीं है, बल्कि हर मौसम में अलग रूप में सामने आता है।
- सर्दी में: स्मॉग और PM2.5 का बढ़ा हुआ स्तर।
- गर्मी में: ओजोन और धूल कण।
- मौसम के बीच: बदलते प्रदूषण के प्रकार।
दिल्ली का भूगोल, बढ़ती शहरीकरण, वाहनों से उत्सर्जन और औद्योगिक गतिविधियां सुनिश्चित करती हैं कि प्रदूषण कभी कम न हो। इसका असर सिर्फ श्वसन बीमारियों तक सीमित नहीं है, बल्कि गर्मी के कारण तनाव और अन्य स्वास्थ्य समस्याएं भी बढ़ रही हैं।
स्थायी समाधान की जरूरत
दिल्ली के वायु प्रदूषण को केवल सर्दियों की समस्या समझना गलत होगा। यह एक सालभर की हकीकत है, जो हर मौसम में शहर के निवासियों को प्रभावित करती है। इसके समाधान के लिए सरकार, उद्योगों और आम नागरिकों को मिलकर काम करने की जरूरत है।
- वाहनों के उत्सर्जन को नियंत्रित करना।
- निर्माण कार्यों में धूल नियंत्रण।
- सस्टेनेबल शहरीकरण की ओर कदम बढ़ाना।
दिल्ली के प्रदूषण की कहानी एक ऐसे शहर की है जो हर मौसम में सांस लेने के लिए संघर्ष कर रहा है। इसे समझना और इसके लिए ठोस कदम उठाना अब और जरूरी हो गया है।