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दिल्ली की हवा 2,360% ज्यादा प्रदूषित: देश के 61% शहरों में हालात चिंताजनक, सिर्फ 8% में साफ हवा

by kishanchaubey
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Delhi Air Pollution : आज दिल्ली में लोग जिस हवा में सांस ले रहे हैं, वह विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा तय मानकों से 2,360% अधिक प्रदूषित है। हालांकि केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) द्वारा जारी आंकड़े बताते हैं कि कल के मुकाबले प्रदूषण में कमी आई है, लेकिन हवा की गुणवत्ता अब भी ‘बेहद खराब’ श्रेणी में है। दिल्ली का वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) आज 369 रिकॉर्ड किया गया, जो कल के 406 के मुकाबले कम है।

अन्य प्रदूषित शहर:

दिल्ली के अलावा, सीकर (348), गुरुग्राम (332), और पाली (329) जैसे शहरों में भी प्रदूषण का स्तर ‘बहुत खराब’ बना हुआ है। डब्ल्यूएचओ मानकों के अनुसार, इन शहरों की हवा 2,000% से अधिक प्रदूषित है।

देशभर के प्रमुख शहरों का हाल:


बेहद खराब वायु गुणवत्ता वाले शहर: अररिया (326), झुंझुनूं (326), जालौर (324), नागौर (320), हाजीपुर (312), सिरोही (310), और पीथमपुर (302)।

खराब वायु गुणवत्ता वाले शहर: फरीदाबाद (205), गाजियाबाद (255), नोएडा (269), और ग्रेटर नोएडा (230)।

मध्यम वायु गुणवत्ता: मुंबई (146), लखनऊ (182), जयपुर (222), और पटना (257)।

सबसे साफ हवा वाले शहर: आइजोल (21), चेन्नई (39), चिक्कामगलुरु, गडग, और मैसूर जैसे शहरों में एक्यूआई 50 से कम है।

हवा की गुणवत्ता का वर्गीकरण:

0-50: बेहतर (साफ हवा)

51-100: संतोषजनक

101-200: मध्यम

201-300: खराब

301-400: बेहद खराब (स्वास्थ्य पर गंभीर असर)

401-500: गंभीर (जानलेवा स्थिति)

प्रदूषण के बढ़ने के कारण:

वाहनों से निकलने वाला धुआं।

निर्माण कार्यों से उड़ती धूल।

पराली जलाने से उत्सर्जित धुआं।

फैक्ट्रियों और थर्मल पावर प्लांट्स से निकलने वाले प्रदूषक।

प्रदूषण कम करने के उपाय:

सार्वजनिक परिवहन का अधिक इस्तेमाल।

प्रदूषण फैलाने वाले उद्योगों पर सख्ती।

पराली जलाने की समस्या का स्थायी समाधान।

घरों और ऑफिस में एयर प्यूरीफायर का इस्तेमाल।

ग्रीन टेक्नोलॉजी को बढ़ावा।

दिल्ली और अन्य शहरों में प्रदूषण का स्तर चिंताजनक बना हुआ है। सरकार और नागरिकों दोनों को मिलकर प्रदूषण नियंत्रण के उपाय करने की जरूरत है। बेहतर वायु गुणवत्ता के लिए सामूहिक प्रयास ही स्थायी समाधान ला सकते हैं।

दिल्ली की तरह देश के अन्य प्रदूषित शहरों में भी प्रदूषण के स्तर को कम करने के लिए तत्काल कदम उठाने की आवश्यकता है। अगर समय रहते यह समस्या हल नहीं हुई, तो यह स्वास्थ्य पर दीर्घकालिक और गंभीर प्रभाव डाल सकती है।

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